PM ने Oxygen Plant के लिए खूब सहायता की, राज्य सरकारों ने एक धेला तक नहीं खर्च किया

केजरीवाल, ममता और उद्धव, राज्यों की बिगाड़ती हालत के लिए ये सब जिम्मेदार है

जब कोई विपत्ति सामने आती है, तब सभी के असली चरित्र की भी परीक्षा होती है। वुहान वायरस की दूसरी लहर ने जहां एक तरफ भारतीय जनमानस की कमर तोड़ दी है, तो दूसरी तरफ इस महामारी ने कई राज्यों के प्रशासकों के असली चरित्र सामने ला दिए हैं। इस समय जो भी ऑक्सीजन के लिए हाय तौबा मचा रहे हैं, उनमें से अधिकतर ऐसे हैं, जिन्होंने केंद्र सरकार की स्पष्ट सहायता के बावजूद एक भी ऑक्सीजन प्लांट को सुचारु रूप से चालू नहीं करवाया।

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट के सामने सुनवाई में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक चौंकाने वाले खुलासे में ये स्पष्ट किया कि सरकार ने पिछले वर्ष ही कई राज्यों को ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता आवंटित की थी, जिसमें से स्पष्ट तौर पर दिल्ली को 8 ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड के अंतर्गत वित्तीय सहायता दी थी।

रिपोर्टस के मुताबिक, पीएम केयर्स फंड के तहत 202 करोड़ की लागत से देश भर में 162 PSA (Pressure Swing Adsoprtion यानी ऑक्सीजन बनाने वाला प्लांट) लगाए जाने थे। राज्य सरकारों को केवल इंस्टॉलेशन का पैसा देना था और यहां से अस्पताल तक के लिए पाइपलाइन बनाने का खर्चा अस्पताल को खुद उठाना था। परंतु किसी भी राज्य द्वारा कोई तत्परता नहीं देखी गई है। अब तक 162 ऐसे प्लांट्स में से केवल 33 प्लांट्स निर्मित हुए हैं, जिनमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब और दिल्ली जैसे राज्यों में केवल 1 प्लांट निर्मित हुआ है। आश्चर्यजनक रूप से दिल्ली में भी अब तक केवल 1 Oxygen प्लांट चालू हुआ है, जिसके संचालन और उसके प्रोडक्शन को लेकर भी संशय व्याप्त है। जिस प्रकार से दिल्ली में Oxygen को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है, उससे स्पष्ट पता चलता है कि पिछले कई महीनों में जो पैसा ऑक्सीजन प्लांट के सेटअप के लिए दिया गया था वह कहाँ गायब हुआ होगा।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इस स्थिति के लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराने का पूरा प्रयास किया। उनकी पहली पोल तब खुली जब प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्रियों की एक अहम मीटिंग को केजरीवाल द्वारा लीक करने के प्रयास में पीएम मोदी ने उन्हे रंगे हाथों पकड़ लिया। इसके बाद पोल तब खुली जब दिल्ली हाईकोर्ट के सामने ये साक्ष्य पेश किए गए कि केजरीवाल के दावों के ठीक उलट दिल्ली के अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन आवंटित करना तो दूर की बात, Oxygen के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस पहल भी नहीं की गई।यहाँ तक कि रेलवे अफसरों तक ने खुलासा कर दिया कि केजरीवाल ने Oxygen एक्सप्रेस के लिए अनुरोध  तो किया परंतु कोई व्यव्स्था नहीं की।

इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने भड़कते हुए केजरीवाल सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई और कहा कि केजरीवाल सरकार को हर चीज बैठे बिठाए नहीं मिल जाएगी। उन्हें अपनी ओर से भी कुछ प्रयास करने होंगे। लेकिन जिस व्यक्ति का ध्यान अपने क्षेत्रवासियों के लिए उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था कराने से ज्यादा सस्ती लोकप्रियता के लिए गोपनीय मीटिंग लीक करने की हो, उनसे ऐसी उम्मीद कम ही करे तो ठीक।

लेकिन ये बात सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं है। पंजाब, झारखंड और महाराष्ट्र में भी स्थिति उतनी ही बेकार है। पंजाब और झारखंड में तो पीएम केयर फंड्स की सहायता से भेजे गए वेन्टिलेटर तक इस्तेमाल में नहीं लाए गए, तो फिर ऑक्सीजन प्लांट के निर्माण की उम्मीद कैसे करें? सच कहें तो केंद्र सरकार अपनी तरफ से वुहान वायरस को खत्म करने के जितने प्रयास करें, कुछ राज्य सरकारों की अकर्मण्यता के कारण वो सब मिट्टी में मिलती हुई दिखाई दे रहे हैं।

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