‘निजी अस्पतालों की धांधली’, अपना व्यवसाय फलता-फूलता रहे तो कम लक्षण वाले रोगियों को भी कर रहे हैं भर्ती

Covid-19 में भी पैसे देख रहे हैं कुछ निजी अस्पताल?

आज कल अखबारों में हेडलाइन क्या होती है? किसी कोरोना संक्रमित मरीज को बेड नहीं मिला, तो किसी को ऑक्सीजन नहीं मिला। इस बीच उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर से एक अमानवीय खबर सामने आई है। जहां पर निजी अस्पताल ऐसे लोगों को एडमिट किया गया है, जिनका इलाज घर पर भी आसानी से हो सकता है। यह जानकारी मिलने के बाद जिला प्रशासन ने इन अस्पतालों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा दिया है।

अधिकारियों ने इस मामले के बारे में बताया कि, शुक्रवार को चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) दीपक ओहरी के नेतृत्व में स्वास्थ्य डिपार्टमेंट की टीमों ने गौतम बुद्ध नगर जिले के कई निजी अस्पतालों का दौरा किया, जहां पर पाया गया कि निजी अस्पताल के प्रबंधकों ने बिना किसी खास वजह के मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती किया। जबकि उन्हें अस्पताल में एडमिट होने की जरूरत नहीं है। हेल्थ डिपार्टमेंट ने प्राइवेट अस्पतालों के ऐसे करीब 200 बिस्तर खाली करवाए।

इसके साथ ही यह भी खबर आई है कि गौतम बुद्ध नगर में कई प्राइवेट अस्पतालों ने ऑक्सीजन और दवाएं खत्म होने की अफवाह फैलाई है जिससे लोगों के बीच अफरा तफरी मची हुई है। अधिकारियों ने इस मामले को संज्ञान में लिया है और जल्द से जल्द सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

जिला सूचना अधिकारी राकेश चौहान ने कहा कि, “डीएम ने सभी अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया कि जिले के प्रत्येक COVID -19 मरीज को राज्य सरकार के निर्देशानुसार सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।”

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जिला सूचना अधिकारी ने जानकारी दी, “DM के निर्देश पर CMO और उनकी टीम ने शुक्रवार को कई अस्पतालों में ऑन ग्राउंड स्थिति की समीक्षा की और पाया कि कुछ निजी अस्पतालों में कई ऐसे मरीजों को बेड मिला था, जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है।”

चौहान ने आगे कहा कि, “DM सुहास ने CMO ओहरी से शुक्रवार को अस्पतालों की समीक्षा के आधार पर एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है, जहां लोगों को बिना किसी आवश्यकता के बेड दिया गया है। ताकि ऐसी अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।”

एक तरफ जहां मरीजों को अस्पताल में बेड की कमी की वजह से एडमिट नहीं किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अस्पतालों में ऐसे लोगों का दाखिल किया गया है, जिसका इलाज घर पर भी आसानी से किया जा सकता है।

बता दें कि, स्वास्थ्य विभाग ने यह आदेश दिया था कि, ऐसे मरीज अस्पताल में जाए, जिनकी स्थिति गंभीर हो जिनके ऑक्सीजन लेवल में निरंतर गिरावट हो रही हो। मंत्रालय ने यह साफ बताया है कि, अस्पताल केवल और केवल इमरजेंसी परिस्थिति के लिए है।

कोरोना संकट में भी इंसान के दोनों रूप देखने को मिले है। एक तो कोरोना वॉरियर है, जो अपना पूरा दिन मरीजों की जान बचाने में लगा देते है। और एक तरफ ऐसे लोग है, जो ऑक्सीजन सिलेंडर, remdesivir इंजेक्शन और अस्पतालों के बेड में भी धांधली करते है। ऐसे लोग मानव जाति पर कलंक है। इनके ऊपर जल्द से जल्द और सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

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