झूठ और एजेंडा फैलाने, दंगा भड़काने के लिए राजदीप को मिलता है ENBA बेस्ट एंकर अवार्ड

फेक न्यूज़ फैलाओ, अवार्ड पाओ!

इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई को ENBA अवार्ड 2020 में कुल पाँच श्रेणियों में पुरस्कार मिला है। आप यह न समझें कि यह पुरस्कार बेस्ट फेक न्यूज़ की कैटेगरी में मिले हैं। राजदीप सरदेसाई को बेस्ट एंकर, बेस्ट न्यूज़कवरेज, बेस्ट टॉक शो, अंतराष्ट्रीय विषयों पर बेस्ट न्यूज़ कवरेज और बेस्ट बिजनेस शो की श्रेणी में पुरस्कार मिला है। सभी पुरस्कार अंग्रेजी पत्रकारिता की श्रेणी में हैं।

लेकिन राजदीप को पुरस्कृत किया जाना तो अवार्ड शो की विश्वसनीयता को कठघरे में खड़ा करता है। हाल ही में राजदीप को उनके ही चैनल ने झूठी खबर फैलाने के कारण दो हफ़्तों तक ऑफ एयर कर दिया था। इतना ही नहीं उनका एक महीने का वेतन भी काट लिया गया था।

 

26 जनवरी को हुए उपद्रव के दौरान जब एक उपद्रवी अपने ट्रेक्टर से बैरिकेड तोड़ने का प्रयास कर रहा था तो उसका ट्रेक्टर पलट गया, जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। इसके बाद कुछ अन्य उपद्रवियों द्वारा उसकी मौत को लेकर यह अफवाह उड़ाई गई कि वह पुलिस की गोली से मरा है। जैसे ही यह अफवाह फैली, खुद को पत्रकारिता का गिद्ध कहने वाले राजदीप, एक वास्तविक गिद्ध की तरह, मौत की अफवाह को आगे बढ़ाने लगे। उन्होंने उस उपद्रवी की फोटो डालते हुए ट्वीट लिखा “45 वर्षीय नवनीत पुलिस की फायरिंग में मारा गया है। किसान कहते हैं कि उसका बलिदान बेकार नहीं जाएगा”

राजदीप यहीं नहीं रुके, उन्होंने बाकायदा लाइव आकर यह कहा कि तथाकथित किसान नवनीत सिंह की मौत पुलिस की गोली से हुई है। उन्होंने खबर फैलाई की पुलिस ने नवनीत को सिर में गोली मारी है। यह कल्पना के परे है कि एक ऐसे समय में जब हजारों की संख्या में उपद्रवी दिल्ली की सड़कों पर उत्पात मचा रहे हों, एक जिम्मेदार पत्रकार मौत की झूठी खबर फैला रहा है, जिससे दंगे और भड़क सकते हैं। लेकिन राजदीप ना तो जिम्मेदार हैं, ना ही पत्रकार हैं।

झूठी खबरें फैलाने का काम राजदीप आज से नहीं कर रहे, बल्कि अफवाह फैलाने और संवेदनहीनता दिखाने में भी एक पैटर्न देखा जा सकता है। इसी को लेकर ट्विटर यूजर दीक्षा नेगी ने ट्वीट किया

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झूठी खबरें फैलाने का काम राजदीप आज से नहीं कर रहे, बल्कि अफवाह फैलाने में भी एक पैटर्न देखा जा सकता है। आज केंद्र में भाजपा का शासन है तो राजदीप ऐसी झूठी खबरें फैला रहे हैं, जिससे सरकार की छवि धूमिल हो। जब कांग्रेस केंद्र में थी, तो राजदीप ऐसी अफवाह फैलाते थे, जिससे आंदोलनकारियों की छवि खराब हो। 2012 में दिल्ली में आंदोलन के दौरान राजदीप ने पुलिसकर्मी की मौत की झूठी खबर फैलाई थी। लेकिन ऐसे ट्रैक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति को अवार्ड मिलना भारतीय पत्रकारिता की वास्तविकता को प्रदर्शित करता है, जहाँ आप एक विशेष वैचारिक धड़े का समर्थन करते रहें तो आपके सारे पाप माफ हैं।

सबसे हास्यास्पद तो यह है कि राजदीप को बेस्टटॉक शो का पुरस्कार भी मिला है, जबकि राजदीप आये दिन अपने टॉक शो में बेइज्जत होने के नए नए कीर्तिमान स्थापित करते रहते हैं। पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न स्व० प्रणबमुखर्जी हों या देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी, राजदीप के शो में आने वाले लोग, अक्सर उनकी हरकतों से परेशान होकर, उन्हें नर्म अथवा सख्त लहजे में, फटकार ही देते हैं।

राजदीप की पत्रकारिता दिल्ली दंगे के समय भी अपने असली रंग में देखी गई थी। जहाँ सुधीर चौधरी जैसे जिम्मेदार पत्रकार दंगा पीड़ितों से उनका हाल पूछ रहे थे, वहीं राजदीप उनसे उनका नाम पहले पूछ रहे थे। उस समय सुधीर चौधरी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा भी था कि “दिल्ली के दंगों पर अपनी ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान मैंने साक्षात्कार देने वाले किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं पूछा। सभी इस त्रासदी में पीड़ित थे। और आपको एक दंगा पीड़ित का नाम क्यों पूछना है? अपनी कुत्सित राजनीति के लिए। ” उस समय दंगा पीड़ित लोगों का हाल पूछने के बजाए राजदीप उनसे पूछ रहे थे “क्या (भाजपा नेता) कपिल मिश्रा की वजह से माहौल नहीं बिगड़ा?”

 

राजदीप सोच समझ कर ऐसी पत्रकारिता करते हैं, जो वामपंथीउदारवादी राजनीति के लिए लाभदायक हो। दिल्ली दंगो के समय अपने एक ट्वीट में राजदीप ने रैडिकल इस्लाम को कठघरे में खड़ा किया। लेकिन जैसे ही राजदीप को यह महसूस हुआ कि उनका ट्वीट वामपंथी उदारवादी मीडिया के नरेटिव के अनुकूल नहीं, उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया।

राजदीप जैसे पत्रकार को ENBA पुरस्कार मिलना, यही सिद्ध करता है कि पुरस्कार पत्रकार की काबिलियत पर नहीं दिए जाते, बल्कि बैलेंस बनाए रखने के लिए दिए जाते हैं। दिल्ली चुनाव में जब AAP जीती थी तो राजदीप स्टूडियो में ही डांस करने लगे थे। ऐसे में ENBA चाहे तो राजदीप को बेस्टडांसर का पुरस्कार भी दे सकती है।

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