कोरोना के बढ़ते मामलों ने बढ़ाई टिकैत की चिंता, सरकार कभी भी उनके आंदोलन को कुचल सकती है

आंदोलन की वजह से तेजी से फैल रहा कोरोना

राकेश टिकैत

PC : (AmarUjala)

असली गुनाहगार को एहसास हो जाता है कि कब उस पर कार्रवाई होगी। इसीलिए वह जनता के बीच ज्यादा बयानबाजी करने लगता है। कुछ ऐसा ही तथाकथित किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले राकेश टिकैत का भी हाल है, जिन्हें अब लगने लगा है कि तथाकथित किसानों के अराजक आंदोलन पर कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि केन्द्र ये मानने लगा है कि कोरोना वायरस के प्रसार में इस आंदोलन की बड़ी भूमिका है। ऐसे में अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किए गए आंदोलन पर सरकारी कार्रवाई के डर से टिकैत हड़बड़ाहट में बयान दे रहे हैं कि सरकार शाहीन बाग के आंदोलन की तरह इस आंदोलन को बर्बाद नहीं कर सकती है।

देश में कोरोना वायरस को लेकर डर का माहौल एक बार फिर बढ़ने लगा है। पिछले एक हफ्ते से प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं, जिसके चलते देश के कई राज्यों की सरकारों ने अब जनता के लिए पाबंदियों लगाना शुरु कर दिया है। इस मसले पर जब केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन से कोरोना की दूसरी लहर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसके पीछे तीन बड़े कारण बताएं हैं। उनका कहना है कि देश में शादियों के साथ ही किसान आंदोलन और निकाय चुनाव के कारण कोरोना का प्रसार सबसे ज्यादा हुआ है, जिसे अब नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

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इन परिस्थितियों के बीच तथाकथिक किसान आंदोलन के नेतृत्वकर्ता और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक अजीबो-गरीब बयान देकर दर्शा दिया है कि वो अराजकता फैलाने से तनिक भी गुरेज नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “सरकार किसानों के धरने को शाहीनबाग का धरना न समझे, किसान कोरोना की गाइडलाईन के बीच धरना जारी रखेंगे। कोरोना की गाइडलाइन का पालन होगा, मगर किसानों का धरना समाप्त नहीं होगा। यह किसानों का धरना है, सरकार इसे शाहीनबाग न समझे।

साफ है कि टिकैत सरकार के बयान के बाद बैकफुट पर चले गए हैं, इसके बावजूद भी उनकी अकड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। इसीलिए उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार ने शाहीन बाग के आंदोलन को खत्म कराया था, उस तरह वो अब किसानों के अराजकतावादी आंदोलन खत्म नहीं करा सकती है। देखने में तो यह बयान अकड़ जाहिर करता है, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। राकेश टिकैत कोरोना वायरस को लेकर सरकार द्वारा दिए गए बयान से डर गए हैं। इसीलिए अब वो शाहीन बाग का उदाहरण देकर खुद को उस आंदोलन से मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

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राकेश टिकैत द्वारा जाहिर किया गया ये डर सहज है, क्योंकि कोरोना वायरस को लेकर देश में फिलहाल जो परिस्थितियां हैं वो साफ जाहिर कर रही हैं कि अब लोगों को जरूरत से ज्यादा सावधानी बरतने की आवश्यकता है। जो लोग सावधानी नहीं बरतेंगे, सरकार उन्हें इसके लिए बाध्य करेगी और यही कारण है कि राकेश टिकैत अपनी अकड़ की आड़ में अपना डर जाहिर कर रहे हैं।

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