जब से कोरोना मामलों में बढ़ोतरी हुई है तब से अचानक पूरे भारत में इन दिनों Remdesivir की मांग कई गुना बढ़ गयी है। सोशल मीडिया पर Remdesivir की मांग करते हुए कई लोगों को देखा जा सकता है। कहा यह जा रहा है कि इस दवा की अत्यधिक मांग इसलिए है क्योंकि इसे COVID-19 संक्रमण के उपचार में प्रभावी बताया गया है। इसी मांग को देखते हुए इस दवा हालांकि, एम्स के प्रमुख डॉ रणदीप गुलेरिया ने बुधवार (21 अप्रैल) को स्पष्ट किया कि इस दवा को कोरोना वायरस के खिलाफ कोई “जादू की गोली” नहीं माना जाना चाहिए।
डॉ गुलेरिया ने नारायण हेल्थ के अध्यक्ष डॉ देवी शेट्टी और मेदांता के अध्यक्ष डॉ नरेश त्रेहन के साथ एक ऑनलाइन बातचीत में यह टिप्पणी की।
There is no data that suggests that #Remdesivir taken in mild disease will save lives or will have any benefit.
Don't consider it to be a magic bullet.
-AIIMS Director, Dr. Randeep Guleria#IndiaFightsCorona pic.twitter.com/70sbXlhUa9
— PIB India (@PIB_India) April 22, 2021
उन्होंने कहा कि, “हममें से ज्यादातर लोग जो घर से आइसोलेशन में हैं या अस्पताल में हैं, उन्हें वास्तव में किसी विशिष्ट उपचार की आवश्यकता नहीं है। केवल एक छोटे प्रतिशत के लिए Remdesivir की आवश्यकता होती है। डॉ गुलेरिया ने स्पष्ट कहा कि इसे जादू की गोली मत समझिए”।
उन्होंने कहा कि, ” Remdesivir एक जादू की गोली नहीं है और यह एक ऐसी दवा नहीं है जो मृत्यु दर को कम करे। हम इसका उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि हमारे पास अच्छी एंटीवायरल दवा नहीं है। इसकी एक सीमित भूमिका है और हमें इसके उपयोग में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।”
उन्होंने बातचीत में आगे कहा कि, “COVID में, 85% से अधिक लोग किसी भी विशिष्ट उपचार के बिना रेमेडिसविर आदि के रूप में ठीक हो जाएंगे। अधिकांश लोगों में सामान्य सर्दी, गले में खराश आदि जैसे लक्षण होंगे। 5-7 दिनों में वे symptomatic treatment के साथ ठीक हो जाएंगे। केवल 15% लोगों में ही बीमारी अगले स्टेज में जा सकती है।“
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डॉ त्रेहान ने भी Remdesivir के उपयोग के बारे में इसी तरह के सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि Remdesivir दावा COVID-19 के खिलाफ ‘रामबाण’ नहीं है।
उन्होंने कहा, “हमने अब एक प्रोटोकॉल बनाया है, जिसके तहत Remdesivir हर किसी को नहीं दिया जाएगा जो कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे है। जब डॉक्टर एक मरीज के टेस्ट के परिणाम, लक्षण, स्थिति को देखते हुए ही यह दावा दी जाएगी। Remdesivir ‘रामबाण’ नहीं है, यह केवल उन लोगों में वायरल लोड को कम करता है जिन्हें इसकी आवश्यकता है।“
वहीँ NITI Aayog के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा कि Remdesivir का इस्तेमाल घरेलू सेटिंग में नहीं किया जाना चाहिए और केमिस्ट की दुकानों से खरीद नहीं किया जाएगा। अब तक के अध्ययनों से पता चला है कि Remdesivir का मृत्यु दर कम करने में कोई प्रभाव नहीं है।
यानी अब लोगों को Remdesivir के लिए भाग दौड़ करने के बजाये अब सावधानी बरतने में अधिक ध्यान देना चाहिए जिससे जिसे अत्यधिक आवश्यकता है उसे यह दावा मिल सके। बता दें कि Remdesivir की मांग देश में ऐसी बढ़ी कि लोग अपने घरों तक में इसे रखने लगे और तो और इसकी Black Marketing भी धड्ड़ले से हो रही है। चाहे महाराष्ट्र हो, मध्य प्रदेश या बिहार या कोई अन्य राज्य देशभर में इस दवा के जरिये आम जनता को लूटने का काम जारी है जिससे आम जनता में हताशा है। अपनों की जान बचाने के लिए रोगी के परिजन हज़ारों रुपये इस दवा के लिए देने पर मजबूर हो रहे हैं। आये दिन राज्य की पुलिस भी ऐसे अपराधियों को पकड़ रही है। रोगी की मजबूरी के नाम पर इस वैक्सीन के लिए उन्हें खुब लूटा जा रहा था। लत जानकारी के कारण लोग 20 से 30,000 रुपए तक देकर इस दवा को खरीद रहे हैं। ऐसे समय में डॉक्टर की सलाह से आम जनता को थोड़ी राहत जरूर मिली होगी।