भारत के सबसे बड़े कॉपर प्लांट में से एक तमिलनाडू के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को देश के वामपंथियों ने बंद करा दिया था। अब देश में जिस तरह से मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बढ़ रही है उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस प्लांट में 1000 टन ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता देखते हुए इस चालू किया जा सकता है। इसे चालू करने की जिम्मेदारी अब हरीश साल्वे ने ले ली है, और इस मामले पर आज सुनवाई होनी है।
BREAKING: Harish Salve appearing before Supreme Court for Vedanta seeks permission to reopen its Tuticorin plant. Salve says Vedanta can manufacture 1000 tonnes of oxygen there everyday and is ready to supply all 1000 tonnes free of cost.
— Nalini (@nalinisharma_) April 22, 2021
दरअसल, कॉपर निर्माता वेदांता लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक तत्काल आवेदन दिया है, जिसमें उसने तमिलनाडु में अपने संयंत्र को फिर से खोलने की अनुमति मांगी है – जिसे पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन के लिए बंद कर दिया गया था। अपने आवेदन में वेदांता ने यह कहा है कि वह COVID की चपेट में आए देश को मेडिकल ऑक्सीजन का मुक्त उत्पादन में मदद करना चाहता है। वेदांता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने गुरूवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के समक्ष इस मामले को विस्तृत रूप से रखा। साल्वे ने कहा कि अगर अनुमति मिल जाती है, तो वेदांता 5-6 दिनों के भीतर ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू करने में सक्षम हो जाएगा, जिससे कई लोगों के जीवन को बचाने में मदद मिलेगी। साल्वे का कहना है कि वेदांत हर रोज 1000 टन ऑक्सीजन का निर्माण कर सकता है और सभी 1000 टन मुफ्त में आपूर्ति करने के लिए तैयार है।
साल्वे मे स्पष्ट कहा, ‘वेदांता अपने ऑक्सीजन संयंत्र को क्रियाशील बनाने के लिए अनुरोध कर रहा है, ताकि उसे चिकित्सा उद्देश्यों के लिए हजारों टन ऑक्सीजन उपलब्ध कर सके। लोग रोज मर रहे हैं। हम केवल ऑक्सीजन संयंत्र शुरू करने की अनुमति चाहते हैं। इतना ही नहीं हम इसे मुफ्त में आपूर्ति करेंगे। अगर आज हमें अनुमति मिल जाए तो हम पांच-छह दिनों में इसका उत्पादन शुरू कर सकते हैं’।
रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने भी वेदांता के अनुरोध का समर्थन किया। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देश को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। एसजी ने स्पष्ट कहा,“वेदांता को केवल स्वास्थ्य उद्देश्यों के लिए ऑक्सीजन के निर्माण के लिए चालू करने की अनुमति दी जाए।” उन्होंने ये भी कहा कि ‘मानव जीवन की रक्षा और पर्यावरण की रक्षा में से किसी एक को चुनना हो तो फिलहाल हमें मानव जीवन की रक्षा पर गौर करना चाहिए’।
तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि उन्हें आज सुबह ही आवेदन प्राप्त हुआ और अगले सप्ताह के लिए समय मांगा।
CJI ने कहा कि अगर सीएस वैद्यनाथन ऑक्सीजन उत्पादन के लिए कंपनी की याचिका में बाधा डाल रहे हैं तो वह तमिलनाडु सरकार के इस रुख की सराहना नहीं करते। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस समय पर्यावरणीय विचारों की तुलना में मानव जीवन अधिक महत्वपूर्ण है। गुरूवार को CJI ने कहा कि आवेदन को सुनवाई के लिए कल सूचीबद्ध किया जाएगा। यानी आज इस मामले पर सुनवाई होगी। CJI का ऑक्सीजन प्लांट के प्रति रुख देख कर यह कहा जा सकता है कि हरीश साल्वे इस प्लांट को दोबारा खुलवाने में सफल होंगे। हरीश साल्वे का रिकॉर्ड किसी से छुपा नहीं है और आज जिस तरह से कोरोना बढ़ रहा है और मेडिकल ऑक्सीजन की मांग भी लगातार बढ़ रही है, ऐसे में यह प्लांट हजारों लोगों की जान बचा सकता है।
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इससे पहले स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पंकज कुमार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और तमिलनाडु सरकार को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कहा था कि Tuticorin में कंपनी के कॉपर प्लांट में दो ऑक्सीजन प्लांट है, जिसमें प्रतिदिन 1,000 टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। कुमार द्वारा ऐसा ही एक पत्र पलानीस्वामी को भी लिखा गया है, जिसमें ऑक्सीजन की कमी के कारण पैदा हुए संकट को हल करने के लिए कंपनी ने अपनी रूचि व्यक्त की है। पंकज कुमार ने पत्र में लिखा है कि, “हम आपके उपयोग के लिए इन सुविधाओं को मुहैया करना चाहते हैं। यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि राष्ट्र में महत्वपूर्ण वस्तु की कमी न हो और हम इस महत्वपूर्ण समय पर हम पीएम के सराहनीय प्रयासों का साथ देना चाहते हैं।”
बता दें कि तमिलनाडु का स्टरलाइट कॉपर प्लांट साल 2018 में इको- फैसिस्ट्स के विरोध के कारण बंद करना पड़ा था। उसके बाद से स्टरलाइट कॉपर प्लांट का मुद्दा उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक उलझकर रह गया है। पिछले वर्ष दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने वेदांता द्वारा इस प्लांट को फिर से खोलने की अनुमति देने के लिए की गई अंतरिम याचिका को खारिज कर दिया था। इसी मांग के साथ कंपनी द्वारा किए गए एक दूसरे आवेदन को भी सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जनवरी में खारिज कर दिया था। आज अगर स्टरलाइट कॉपर प्लांट चल रहा होता तो न जाने कितने लोगों की जान बचाई जा सकती थी।