एक Tweet और 2 गलत संदेश, ये BJP वाले सुशील मोदी का ट्विटर अकाउंट क्यों नहीं बंद कराते

ऐसे नेता पार्टी द्वारा किये गये कामों पर पानी फेर देते हैं

सुशील

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के चार चरण सम्पन्न हो चुके हैं, जबकि चार चरणों के चुनाव होने अभी बाकी हैं। इस बीच बीजेपी के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि बंगाल को शोनार बांग्ला बनाने वाला असल परिवर्तन तय है। यही नहीं उन्होंने आगे कहा कि पड़ोसी राज्य में बदलाव होने से बिहार के विकास में मदद मिलेगी और बिहारी मूल के लाखों लोगों को वहां रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।

दरअसल राज्यसभा सांसद ने ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि, ”पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की रैलियों और रोड-शो में उमड़े जन समर्थन के बाद तृणमूल के रणनीतिकारों ने भी स्वीकार कर लिया कि बंगाल में भाजपा सरकार बनने जा रही है। बंगाल को शोनार बांग्ला बनाने वाला असल परिवर्तन तय है।

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इसके बाद भाजपा नेता सुशील मोदी ने एक और ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि, “ पड़ोसी राज्य में बदलाव होने से बिहार के विकास में मदद मिलेगी और बिहारी मूल के लाखों लोगों को वहां रोजगार के नये अवसर मिलेंगे।“

 

देखा जाये तो सुशील मोदी की बात कई मायनों में आपत्तिजनक है, न सिर्फ बिहार के लोगों के लिए बल्कि राज्य की स्थिति के लिए भी। सबसे पहली बात तो इस ट्वीट से सुशील मोदी के अन्दर कूट कूट कर भरी हुई समाजवाद की बू आती है, जिसने देश की स्वतंत्रता के बाद भी बिहार को गरीबी से निकलने नहीं दिया। उनका ट्वीट दर्शाता है कि बिहार में विकास होने वाला ही नहीं है, जिससे यहां के लोगों को नौकरी मिले और उनका पलायन बंद हो। साथ ही इससे यह भी संदेश जाता है कि बिहार सिर्फ मजदूर का उत्पादन करता है।

दूसरा संदेश जाता है कि ममता बनर्जी चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी पर आरोप लगाती आयीं हैं, वे अब सच होने वाले हैं। दरअसल सुशील मोदी के ट्वीट से यह प्रतीत होता है कि यह बीजेपी की योजना है और चुनाव जीतने के बाद पश्चिम बंगाल में बिहार के लोगों को भेजकर जनसांख्यिकी बदलाव करना चाहती है। बता दें कि बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता भाजपा पर यूपी –बिहार से गुडों को बंगाल लाये जाने के आरोप लगाती आई हैं।

इस ट्वीट से सुशील मोदी ने न सिर्फ BJP के पांव पर कुल्हाड़ी मारी है, बल्कि यह भी बता दिया है कि उनका इरादा कभी बिहार को विकसित करना का था ही नहीं, जिससे पलायन रुके और राज्य में रोजगार बढ़े। बता दें कि साल 2018-19 में बिहार सरकार की कुल आमदनी 1 लाख 81 हजार 255 करोड़ थी, जिसमें से सिर्फ 31 हजार करोड़ रुपये बिहार सरकार ने राज्य के करदाताओं से जमा किये थे।

वित्तीय वर्ष 2019 की बात करें तो बिहार की जीडीपी 5.15 लाख करोड़ थी और इसके साथ ही बिहार देश के सभी राज्यों की सूची में जीडीपी के मामले में 15वें स्थान पर था। वहीं जनसंख्या के मामले में बात करें तो बिहार तीसरे स्थान पर है। आपको जानकर हैरानी होगी कि देश का हर व्यक्ति एक बिहारी के मुक़ाबले तीन गुना अधिक कमाई करता है।

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बिहार की दुर्दशा की अगर बात करें तो राज्य की बड़ी आबादी गरीबी रेखा नीचे है। साल 2013 में जारी हुए एक आंकड़े के मुताबिक, राज्य की 33.74 फीसद आबादी गरीबी रेखा के नीचे है। यानी भारत की कुल जनसंख्या के अनुरूप बिहार की एक तिहाई से अधिक जनसंख्या गरीबी से जूझ रही है। बिहार की ज़्यादातर आबादी कृषि पर ही निर्भर है, क्योंकि राज्य की लचर कानून व्यवस्था की वजह से बड़ी कंपनियां और इंडस्ट्रीज स्थापित नहीं की जाती हैं।

अगर लालू यादव ने 15 वर्षों में बिहार को दो दशक पीछे धकेला तो नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने मिल कर अपने कार्यकाल में इसे दो दशक से अधिक पीछे ले गए हैं। बिहार चुनाव में कैम्पेन के दौरान नीतीश कुमार का कहना था कि बिहार समुद्र से नहीं घिरा है, इसलिए यहां उद्योग नहीं हैं। अब ऐसी सोच से किसी राज्य का भला नहीं होने वाला है, जब सत्ता में बैठा एक नेता ही राज्य में इंडस्ट्री न होने का बहाना समुद्र पर थोप रहा है और दूसरा नेता जनता को दूसरे राज्य में जा कर मजदूरी करने के ख्वाब दिख रहा है।

बीजेपी को चाहिए कि तुरंत सुशील मोदी को फटकार लगाये और उनका ट्विटर अकाउंट बर्खास्त करे। नेताओं की बयानबाजी कई बार जनता की उम्मीदों पर पानी फेर देते हैं जिससे न सिर्फ विरोधी माहौल बनता है, बल्कि पार्टी द्वारा किये गये अच्छे काम का भी महत्व भी खत्म हो जाता है।

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