“भारत का उदय होने वाला है” जल्द ही दुनिया के अधिकतर बुद्धजीवी इस बात को स्वीकार करेंगे

विश्वगुरु बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है भारत

भारत का उदय

जैसे –जैसे समय बदल रहा है, वैसे वैसे संसार भी बदल रहा है। इस समय भले ही भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण घबराहट का माहौल है और लोगों को सकारात्मक परिवर्तन की कोई आशा दूर दूर तक नहीं दिखाई दे रही हो, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। यह समय न केवल भारत के उदय का है, बल्कि चीन के पतन का भी है, जिसे दुनिया के अधिकतर बुद्धिजीवी अभी भी स्वीकारने से हिचकिचा रहे हैं।

ऐसा कैसे हो सकता है ? चीन तो इस समय विश्व का सबसे ताकतवर देश बनने की ओर अग्रसर है ? बिल्कुल भी नहीं। इस समय चीन की हालत केवल आर्थिक तौर पर ही नहीं, सामाजिक और राजनीतिक तौर पर भी बेहद खराब है। TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने इस विषय पर एक विश्लेषणात्मक ट्वीट थ्रेड निकाला है, जिसके अनुसार, “चीन बस नीचे ही गिरता जा रहा है – आर्थिक तौर पर भी और सामाजिक तौर पर भी। इस समय 3 गुटों में लड़ाई है – डेंग गुट, जो उदारवादी नीतियों का समर्थन करता है, जिनपिंग गुट, जो शी जिनपिंग का समर्थन करता है और बुद्धिजीवी, जो किसी भी तरह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को सत्ता से दूर करना चाहती है।”

 

लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं होती। चीन भले ही दुनिया को दिखाना चाहता है कि चीन में सब कुछ सही है और किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। अतुल मिश्रा के ट्वीट थ्रेड में ही आगे लिखा गया है, “चीन इस समय दूसरा क्यूबा बनने की ओर अग्रसर है, जहां उदारवाद नाममात्र का भी नहीं है। दुनिया के विश्लेषक आपको जितना समझाने का प्रयास करे कि चीन दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति बनने जा रहा है, सच तो ये है कि चीन उससे कोसों दूर है।”

इसमें भारत का उदय कैसे संभव है ? दरअसल जहां एक तरफ दुनिया के कई शक्तिशाली कोरोना वायरस के सामने घुटने टेक चुके हैं और कई देशों को जबरदस्त नुकसान हुआ है। वहीं भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसे नुकसान तो अवश्य हुआ है, लेकिन उससे तुरंत उबरकर वह सकारात्मक आर्थिक वृद्धि की ओर भी अपने कदम बढ़ा रहा है। कोरोना वायरस की दूसरी लहर को देखते हुए आपको ये बातें हास्यास्पद अवश्य लग सकती हैं, लेकिन हकीकत में ये हास्यपद नहीं हैं।

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जिस समय दुनिया के कई बड़े देशों की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के कारण मंदी के सागर में गोते लगा रही थी, उस समय भारत ने इस संकट से काफी हद तक निजात पाई है। आज भारत उन चंद देशों में शामिल है, जो न केवल दुनियाभर को वैक्सीन प्रदान कर रहे हैं, बल्कि आर्थिक प्रगति में भी दिन प्रतिदिन वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। भारत में इस समय वैक्सीनेशन दर दुनिया के टीकाकरण के सबसे तेज दरों में से एक है। साथ ही 11-14 अप्रैल तक युद्धस्तर पर देशभर में टीकाकरण कराने के लिए केंद्र सरकार ‘टीका उत्सव’ का आयोजन करा रही है।

इसके अलावा भारत न केवल कूटनीतिक तौर पर, बल्कि आक्रामक तौर पर भी देश के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। चीन वास्तव में कितना शक्तिशाली है, इसका अंदाजा आप बस इसी बात से लगा सकते हैं कि गलवान घाटी में मारे गए चीनी सैनिकों की वास्तविक संख्या पूछे जाने पर आज भी चीनी प्रशासन को सांप सूंघ जाता है।

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 इन्हीं बातों पर गौर करते हुए अतुल मिश्रा ने अपने ट्वीट थ्रेड में आगे लिखा है, “यह समय है भारत के उदय का। एक ऐसे देश के उदय का, जो आर्थिक महाशक्ति है, सैन्य महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है, और बौद्धिक ज्ञान का अथाह सागर है। पश्चिमी जगत इस बात से असहज रहा है, चीन इस बात से असहज रहा है। पर कुछ कहानियाँ होती ही इसलिए हैं, क्योंकि उनका घटित होना तय है।”

 

क्या अमेरिका इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा ? किसी समय ये सोचना भी हास्यास्पद था, लेकिन बाइडन प्रशासन की कृपा से अब अमेरिका इस स्थिति में बिल्कुल भी नहीं है, जहां वह भारत की प्रगति में हस्तक्षेप कर सके। वामपंथियों ने शासन की बागडोर जरूर संभाल ली है, लेकिन वे दूसरे देशों पर प्रभाव डालने के बजाय अमेरिका को ही अन्दर से खोखला बना रहे हैं।

आज स्थिति ऐसी हो चुकी है कि अमेरिकी जीडीपी के 1 डॉलर के मुकाबले साढ़े पाँच डॉलर कर्ज उत्पन्न हो रहा है। ऐसे में अमेरिका अपने आप को संभाल ले, वही बहुत बड़ी बात होगी। जहां चीन आर्थिक तौर पर विनाश की ओर अग्रसर है और अमेरिका अपने ही कर्ज के बोझ तले दबा जा रहा है। वहीं भारत अनेक चुनौतियों को पार करते हुए पुनः विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है, जिसे रोकना किसी के लिए आसान नहीं होगा।

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