अर्नब को जेल पहुंचाने वालों के जेल पहुँचने के बाद मुंबई पुलिस ने बंद किया अर्नब गोस्वामी केस

अर्नब के सामने नहीं टिक सके झूठे मुकदमे

अर्नब

हाल में ही एक अहम निर्णय लेते हुए मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ चल रहे लगभग सभी मामले रद्द कर दिये हैं। अर्नब गोस्वामी के खिलाफ मुंबई पुलिस ने जो ‘Chapter Proceedings’ विभिन्न मामलों में शुरू किये थे, उसपर अब पूर्णविराम लगा दिया है।ऐसा भी क्या हुआ, जिसके कारण मुंबई पुलिस का ऐसा कायाकल्प हो गया ?

दरअसल मुंबई पुलिस का कोई कायाकल्प नहीं हुआ है, बल्कि जिन लोगों ने अर्नब को झूठे मुकदमों में फँसवाकर जेल पहुंचाया था, अब वो खुद ही जेल में है या जेल जाने की लाइन में प्रतीक्षारत हैं। चाहे निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे हो या फिर सचिन वाझे का सहायक रियाज़ काज़ी, अर्नब गोस्वामी के खिलाफ जिन्होंने भी केस दायर किया था, उनमें से अधिकतर जेल में है और मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह की तो अलग ही समस्याएँ हैं।

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अर्नब गोस्वामी ने ऐसा भी क्या किया था, जिसके कारण मुंबई पुलिस उनके पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई थी ? दरअसल यह सारा मामला शुरू होता है 16 अप्रैल 2020 से, जब दो हिन्दू साधुओं को एक सुनियोजित योजना के तहत पीट-पीटकर मार डाला गया था। इसपर काँग्रेस की चुप्पी को आड़े हाथों लेते हुए अर्नब गोस्वामी ने सोनिया गांधी की काफी आलोचना की थी। इसके पीछे मुंबई पुलिस ने एक के बाद एक अर्नब गोस्वामी पर कई झूठे मुकदमे दायर किये।

इसके वाबजूद अर्नब गोस्वामी अपने विचारों से टस से मस नहीं हुए और उन्होंने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमई मौत पर महाराष्ट्र सरकार के रवैये को लेकर एक बार फिर उद्धव सरकार की आलोचना की, जिसकी वजह से पहले उन्हें टीआरपी घोटाला और फिर अन्वय नायक की आत्महत्या के मामले में फंसा दिया गया।

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 जैसे ही मुकेश अंबानी के घर के सामने जिलेटिन रॉड से भरी एसयूवी के मामले में NIA ने सचिन वाझे को हिरासत में लिया, अर्नब गोस्वामी के खिलाफ दायर सारे मुकदमों की पोल भी खुलने लगी। अभी हाल ही में यह भी सामने आया था कि सचिन वाझे BARC के अफसरों से 30 लाख रुपये वसूल रहा था। पैसे नहीं देने पर अफसरों को उद्धव सरकार की जी हुजूरी न करने के लिए सचिन वाझे और उसके चमचों द्वारा प्रताड़ित भी किया जा सकता था। ऐसे में समझदार को इशारा काफी है।

ऐसे में जब अर्नब गोस्वामी के खिलाफ जांच करने वाले ‘अधिकारी’ ही सलाखों के पीछे हों, तो भला कब तक ये झूठे मुकदमे टिक सकते थे। इसीलिए अर्नब गोस्वामी के खिलाफ मुंबई पुलिस को लगभग सभी मामले रद्द करने पड़े हैं, ताकि आगे चलकर और फजीहत न झेलनी पड़े।

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