महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार में कोरोना की वैक्सीन के मुफ्त होने को लेकर एक उहापोह की स्थिति है। एक तरफ जहां शिवसेना और एनसीपी नेता लगातार कोरोनावायरस की वैक्सीन को मुफ्त देने को लेकर बयान दे रहे हैं, तो दूसरी ओर कांग्रेस इसको लेकर दोनों ही राजनीतिक पार्टियों पर बरस पड़ी है। कांग्रेस का कहना है, महाविकास आघाड़ी की दोनों पार्टियां क्रेडिट लेने में लगी हुई हैं, जबकि स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का यहां तक कहना है कि एक मई से वैक्सिनेशन के लिए महाराष्ट्र के पास वैक्सीन का कोई स्टॉक ही नहीं है। साफ है कि वैक्सिनेशन की शुरुआत से पहले ही इसको लेकर क्रडिट लेने की होड़ शुरू हो गई है।
दरअसल, कुछ दिनों पहले एनसीपी नेता और मंत्री नवाब मलिक ने अपने एक बयान में कहा था कि वैक्सिनेशन का काम मुफ्त होगा। उन्होंने कहा, “राज्य में 18 से 45 साल के लोगों को कोरोना का टीका बिल्कुल मुफ्त लगाया जाएगा। यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह वैक्सीनेशन अभियान कैसे शुरू करती है।” कुछ इसी तरह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने भी मुफ्त वैक्सीनेशन को लेकर ट्वीट किया और बाद में उसे डिलीट कर दिया। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, “महाराष्ट्र सरकार ने अपने नागरिकों को मुफ्त में वैक्सीन देने का फैसला किया है। ये कुछ ऐसा नहीं है जिसे हम एक विकल्प के रूप में सोचते हैं, लेकिन एक कर्तव्य जिसे हम अत्यधिक महत्वपूर्ण मानते हैं।”
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अपने ट्वीट को डिलीट करने को लेकर उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र की आधिकारिक वैक्सीन नीति के बारे में कोई भ्रम नहीं पैदा करना चाहते थे, ये पूरी तरह से तेज, कुशल नीति है जिसके तहत सभी लोगों को वैक्सीन लगेगी।” इस मुद्दे पर अब कांग्रेस बिफर गई है। कांग्रेस को वैक्सीन के मुद्दे पर बयानबाजी पसंद नहीं आई है, और वैक्सीन का यही मसला महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में फूट पड़ने की वजह बन सकता है क्योंकि कांग्रेस इसमें कमजोर पड़ती दिख रही है।
कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा, “मुख्यमंत्री की घोषणा से पहले ही श्रेय लेने के लिए अगर कोई इस निर्णय को जाहिर करता है तो यह गलत है, हमें यह बात पसंद नहीं आई। कांग्रेस इस कदम पर अपनी नाराजगी व्यक्त करती है। मुफ्त में वैक्सीन दिए जाने के निर्णय पर श्रेय लूटने की लड़ाई शुरू है। यह किसी भी तरह से उचित नहीं है. इसकी घोषणा मुख्यमंत्री की तरफ से ही की जानी चाहिए। कोई भी उठकर श्रेय लेने के लिए इसकी घोषणा करे, यह ठीक नहीं है।” उन्होंने कहा कि पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड में मुफ्त वैक्सीन कांग्रेस सरकार ही दे रही है।
इससे इतर महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे वैक्सीन के स्टॉक को लेकर अजीबो-गरीब बयानबाजी कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक मई से वैक्सिनेशन के शुरू होने की संभावनाएं कम हैं, क्योंकि वैक्सीन की उपलब्धता ही मुश्किल है। साफ है कि वैक्सिनेशन के मुद्दे पर आंतरिक रूप से महाविकास आघाड़ी गठबंधन में सिर फुटौव्वल की स्थिति आ गई है, जबकि असलियत ये है कि वैक्सीन के स्टॉक के लिए भी अभी समस्याएं हैं, लेकिन क्षेय लेने की होड़ में तीनों पार्टियों में ही खींचतान की स्थिति है।
कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट के बयान से ही बात अगर कांग्रेस की करें तो राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड की कांग्रेस शासित सरकारें कह चुकी हैं कि वो एक मई से वैक्सिनेशन शुरू नहीं कर सकतीं। साफ है कि कांग्रेस वहां मुख्य पार्टी होने के चलते केंद्र के साथ राजनीतिक दांव पेंच खेल रही है, लेकिन उसकी ये नीति महाराष्ट्र में तीसरे नंबर की पार्टी होने के चलते नहीं चल पा रही है। इसीलिए कांग्रेस यहां मुफ़्त वैक्सीन देने के श्रेय लेने से पीछे नहीं रहना चाहती है, और इसके चलते वैक्सीन की उपलब्धता से पहले ही वहां गठबंधन में आंतरिक राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है।