भगवान शिव का प्रकोप: 3 इस्लामिस्टों ने स्वामी कोरागज्जा के मंदिर को अपवित्र किया, 1 की हुई मौत, दो आरोपियों ने किया आत्मसमर्पण

अब्दुल रहीम और तौफिक 'दैवीय श्राप' से बचने की भीख मांग रहे हैं!

कहते हैं, ईश्वर के क्रोध के आगे कोई नहीं टिक पाता। अब तक लोगों ने सिर्फ किस्से कहानियों में इस बात को सुना था। लेकिन कर्नाटक में भगवान शिव के एक मंदिर को अपमानित करने वाले कुछ विधर्मियों का जो हश्र हुआ, उसे सुनकर आप भी कहेंगे – ईश्वर की लीला अपरंपार है।

दरअसल, कर्नाटक के मंगलुरु में भगवान शिव के एक रूप, स्वामी कोरागज्जा के मंदिर में उपद्रव मचाया गया। स्थानीय पत्रकार चीरू भट्ट के ट्वीट थ्रेड के अनुसार, “हाल ही में कुछ ‘कट्टरपंथियों’ ने मंगलुरु के कुल देवता स्वामी कोरागज्जा के मंदिर में शर्मनाक हरकत की। न केवल मंदिर को अपवित्र किया गया बल्कि मंदिर के दानपेटी में कंडोम तक डाली गई। ऐसा एक नहीं, कई मंदिरों में हुआ, जिसके पीछे लोगों ने शिकायत भी दर्ज की”। इसके अलावा कंकनाडी के मंदिर के परिसर में पेशाब करने का एक मामला भी सामने आया था। इस घटना का सच पुलिस ने पता करने की कोशिश की परंतु सच सामने नहीं आ सका।

लेकिन ये बात उजागर कैसे हुई? इसके पीछे एक बड़ी अद्भुत पर रोचक कहानी है, जो स्वयं आरोपियों ने अपने आँखों से होते हुए देखी, और जिसके पीछे उन्हें आत्मसमर्पण करने पर विवश होना पड़ा। चीरू भट्ट ने ही अपने ट्वीट थ्रेड में आगे बताया, “पिछले 3-4 दिनों से कुछ मुसलमान मंदिर आकर मुख्य पुजारी से क्षमा याचना कर रहे थे। पहले तो पुजारी जी को लगा कि वे उनके साथ मज़ाक कर रहे हैं। परंतु ऐसा नहीं था, क्योंकि उसने बताया कि उसका एक मित्र था नवाज़, जिसने दान पात्र में आपत्तिजनक वस्तुएं डाली थी”।

इसके बाद उन आरोपियों ने पुजारी को बताया कि उनके मित्र नवाज़ को ऐसा अनर्थ करने का क्या परिणाम मिला। आरोपियों के अनुसार, “हमने जब ये काम किया, तो उसके बाद नवाज़ के व्यवहार में अचानक से परिवर्तन आया। पहले उसका पेट खराब हुआ, फिर उसे खून की उल्टियाँ होने लगी। इसके बाद वह अपने घर में अपना सर दीवार से भिड़ाने लगा, और सिर भिड़ाते भिड़ाते वह अपने प्राण गंवा बैठा। लेकिन मरते वक्त उसने कहा था, “ये स्वामी कोरगज्जा का प्रकोप है!”

अब केवल अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफीक ही जीवित हैं। लेकिन अब्दुल रहीम को भी वही बीमारी होने लगी, जिसके कारण नवाज़ अपने प्राण गंवा बैठा। इससे भयभीत होकर दोनों ने पहले मंदिर के पुजारी से और फिर गाँव वालों से माफी मांगी, और फिर उन्होंने अपने आप को पुलिस के हवाले किया। इस समय अब्दुल रहीम अस्पताल में भर्ती है। मंगलुरु के पुलिस अधिकारी भी इस बात से स्तब्ध हैं और उन्होंने कहा है कि वे इस मामले की गहन जांच पड़ताल करेंगे, ताकि पूरा सच सामने आ सके।

स्थानीय लोगों का मानना है कि स्वामी कोरगज्जा त्वरित न्याय प्रदान करते हैं और उनके दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटा है। तुलुनाडु क्षेत्र [जहां ये मंदिर है] के लोगों का मानना है कि इस दरबार में त्वरित न्याय मिलता है और ये शत प्रतिशत सटीक निकले हैं। फिलहाल आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (A) के तहत मामला दर्ज किया गया है और पुलिस घटना के सबूत जुटा रही है।

https://twitter.com/mechirubhat/status/1377594742108655618

अब इस घटना को सुनकर और समझकर आप क्या समझते हैं? क्या ये सत्य है? क्या ये मिथ्या है? क्या ये ईश्वर का न्याय है, या महज एक संयोग? इन सभी के प्रश्नों के उत्तर स्वामी कोरागज्जा ही बेहतर जानते हैं, परंतु यदि ये शत प्रतिशत सत्य है, तो नीतिगत न्याय का इससे बेहतरीन उदाहरण कोई नहीं हो सकता।

हर हर महादेव!

 

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