‘25 सालों में बांग्लादेश में कोई हिन्दू नहीं बचेगा’, टॉप थिंक टैंक का चौंकाने वाला दावा

बांग्लादेश का 100% इस्लामीकरण- Coming Soon!

बांग्लादेश

(PC: India Legal)

नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA इतना जरूरी कानून क्यों है, इसका प्रमाण एक बार फिर सामने आया है। हाल ही में सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लूरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स (CDPHR) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार अगर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति ऐसी ही रही तो आने वाले 25 सालों में वहां एक भी अल्पसंख्यक (हिन्दू) नहीं बचेगा।

CDPHR रिपोर्ट में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया, श्रीलंका और तिब्बत की बात की गई है। CDPHR रिपोर्ट दुनियाभर के जाने माने विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई है। रिपोर्ट के अंदर ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्दुल बरकत की रिपोर्ट का ज़िक्र भी है, जिसमें चौंकाने वाला सच सामने आया है।

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प्रोफेसर बरकत की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 40 सालों में 2.3 लाख लोग बांग्लादेश छोड़ कर चले गए, जिसमें ज्यादातर हिन्दू धर्म के लोग हैं। उनके पलायन का मुख्य कारण उनके ऊपर हो रहे अत्याचार हैं। साल 1950 में बांग्लादेश में हिंदुओं के आबादी 22 प्रतिशत से ज्यादा हुआ करती थी। साल 2020 में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी घटकर महज 8 प्रतिशत रह गई है। बांग्लादेश में भी पाकिस्तान की तरह हिंदुओं के साथ ‘Ethnic-Cleansing’ हुआ है।

खैर, पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रहे नरसंघार के बारे में सभी जानते हैं। रिपोर्ट मे भी यह दावा किया गया है कि भारत के विभाजन के समय पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या 3.5 करोड़ हुआ करती थी। वहीं अब वहां हिंदुओं की जनसंख्या महज 50-60 लाख रह गई है। पाकिस्तान में हिन्दुओं के साथ-साथ ईसाई और सिख धर्म के लोग भी महफूज़ नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अलपसंख्यकों की घर की लड़कियां और औरतें भी सुरक्षित नहीं हैं।

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TFI ने इससे पहले भी पड़ोसी मुल्कों में हो रहे हिंदुओं के साथ अत्याचार के बारे में बताया है। चाहे पाकिस्तान हो या बांग्लादेश या फिर अफ़गानिस्तान हिंदुओं के साथ हो रहे Ethnic-Cleansing के बारे में पूरी जानती है, लेकिन सभी ने अपनी आँखें बंद कर ली हैं। United Nations तो दुनिया भर में मानवाधिकर को प्राथमिकता देता आ रहा है और अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाता आ रहा है, लेकिन आज वह भी चुप है। नतीजतन भारत ने अपने हाथ में यह जिम्मेदारी ली और पड़ोसी देशों के हिंदुओं को बचाने CAA जैसा अहम कदम उठाया।

 

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