स्टरलाइट कॉपर प्लांट को तीन वर्षों तक बंद रहने पर मजबूर करने बाद अब तमिलनाडु की सभी द्रविड़ पार्टियां covid-19 संकट को देखते हुए इस संयंत्र को फिर से खोलने पर राजी हो चुकी है।
रिपोर्ट के अनुसार, “सोमवार को चेन्नई के सचिवालय में मुख्यमंत्री पलानीस्वामी की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक के बाद, राज्य सरकार ने मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करने के लिए तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर स्मेल्टर प्लांट को चार महीने के लिए फिर से खोलने का फैसला किया।इस बैठक में द्रविड़ पार्टियां जैसे AIADMK, DMK, DMDK, के अलवा BJP, PMK कम्युनिस्ट पार्टियों, पुलिस महानिदेशकों, स्वास्थ्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया था।”
मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने बताया कि “सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया और सभी पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन के लिए संयंत्र को फिर से खोला जाये।” बैठक के दौरान कई फैसले पारित किए गए। इसमें से सबसे पहला तूतीकोरिन में कॉपर प्लांट को केवल चार महीने की अवधि के लिए फिर से खोलने की अनुमति देना था।
यही नहीं यह भी फैसला लिया गया कि किसी भी परिस्थिति में वेदांता को अन्य प्लांट खोलने या संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जो कॉपर के उत्पादन के लिए उपयोग किए जाते हैं। ऑक्सीजन की आवश्यकता के आधार पर, यह अवधि चार महीने से अधिक भी बढ़ाई जा सकती है।
निर्धारित अवधि के समाप्त होने के बाद सरकार द्वारा ऑक्सीजन संयंत्रों में बिजली की आपूर्ति काट दी जाएगी। इस बैठक में तमिलनाडु सरकार ने यह भी फैसला किया कि तमिलनाडु की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद ही ऑक्सीजन को अन्य राज्यों में भेजा जाएगा।
द्रविड़ पार्टियां अब भी इस बात से डर रही है कि वेदांता कही फिर से ऑक्सीजन के बहाने कॉपर स्मेल्टर प्लांट न चालु कर दे। इसी कारण मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों की निगरानी के लिए जिला कलेक्टर के नेतृत्व में एक समिति बनाई जाएगी जिसमें जिला एसपी, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी, जिला पर्यावरण अधिकारी, स्थानीय प्रतिनिधि, पर्यावरण कार्यकर्ता, एंटी-स्टरलाइट संगठन के तीन लोग समिति का हिस्सा होंगे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अप्रैल को covid-19 स्थिति में इकाई को फिर से खोलने के लिए वेदांत की याचिका को सुनने के लिए सहमत हुआ था। तब वेदांत ने कोर्ट को बताया था कि वह अपने प्लांट में 1,000 टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकता है। हालाँकि, तब तमिलनाडु की सरकार ने 23 अप्रैल को राज्य की पिलानीस्वामी सरकार का कहना था कि “उनके यहां ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं है और स्टरलाइट प्लांट को शुरू करने से उस इलाके के आस-पास कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।”
यानी यह स्पष्ट था कि पलानीस्वामी की सरकार इसे किसी भी कीमत पर नहीं चालू होने देना चाहती थी चाहे उसके लिए राज्य में हजारों कोरोना मरीज की मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से जान ही क्यों न चली जाये।
इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं तो ऐेसे में तमिलनाडु सरकार 2018 से बंद पड़ी वेदांता की स्टरलाइट इंडस्ट्री को अपने हाथ में लेकर Covid-19 मरीजों की जान बचाने के लिये ऑक्सीजन का उत्पादन क्यों नहीं करती?
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हमें कोई दिलचस्पी नहीं है कि वेदांता को A चलाये या B या फिर C। हम इसमें रुचि रखते हैं कि ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाना चाहिए।“
इससे पहले वर्ष 2018 में तमिलनाडु में कुछ फर्जी पर्यावरणविदों ने स्टरलाइट कॉपर प्लांट के खिलाफ सुनियोजित एजेंडा फैलाकर जमकर विरोध प्रदर्शन करवाए थे, जिसके बाद राज्य सरकार को इसे बंद करने के आदेश जारी करने पड़े थे।
तूतीकोरिन स्थित स्टरलाइट प्लांट के बंद होने के चलते लगभग 4 लाख टन कॉपर का उत्पादन बंद हो गया।
पिछले साल प्लांट को फिर से खोलने की वेदांता की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इससे पहले, मद्रास उच्च न्यायालय ने भी वेदांता को अनुमति देने से इनकार कर दिया था। वहीं अब देश में कोरोना संक्रमण के बेहताशा आ रहे मामलों के देखते हुए सभी द्रविड़ पार्टियों को आखिरकार इसे खोलने के लिए राजी होना ही पड़ा ताकि, राज्य के लोगों को जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन दी जा सके।