कोरोना से लड़ने के लिए योगी की ताबड़-तोड़ कार्रवाई- रिटायर्ड कर्मचारियों समेत पूरा मेडिकल स्टाफ किया तैनात

आवश्यक कदम!

योगी सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना से जूझने के लिए युद्धस्तर पर कार्य कर रही है। भारत में सबसे अधिक आबादी वाले राज्य में कोरोना को संभालना बेहद मुश्किल है, क्योंकि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या, विश्व में 5वें नम्बर पर आने वाले देश पाकिस्तान से भी अधिक है। इतनी बड़ी आबादी को कोरोना से बचाना हिमालय से संजीवनी लाने जैसा काम है, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इसके लिए कमर कस चुके हैं।

योगी ने नए आदेश जारी करते हुए रिटायर हो चुके डॉक्टरों को पुनः काम पर बुलाया है। योगी ने पैरामेडिकल स्टाफ की नई टीम बनानी शुरू की है। उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए बताया “ऐसे लोग जिन्होंने कोरोना को सफलतापूर्वक पराजित किया है, वे स्वेच्छा से अपनी सेवा देने को तैयार हैं। इस संदर्भ में, अस्पतालों में श्रमशक्ति बढ़ाने के लिए, रिटायर डॉक्टरों का अनुभव, लैब टेकनीशियन और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही पूर्व सैन्यकर्मियों का इस्तेमाल लाभ पहुंचा सकता है।”

इसके अलावा उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने और कालाबाजारी एवं जमाखोरी रोकने तथा मनमानी वसूली पर नियंत्रण के लिए भी नए आदेश दिए गए हैं। इसके लिए सरकार ऑक्सीजन ऑडिट कर रही है। योगी ने इस संदर्भ में आदेश देते हुए कहा है “उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कुछ अस्पतालों में नियत दर से अधिक मनमाने ढंग से शुल्क वसूला जा रहा है।” उन्होंने कहा “निजी अस्पतालों में मनमानी वसूली को हर हाल में रोका जाए।” योगी ने यह भी कहा है कि ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई की जाएगी।

सरकार के निर्देश पर विभिन्न डॉक्टरों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद से घर बैठे रोगियों को उचित परामर्श देने की योजना तैयार की गई है। ऐसी व्यवस्था की गई है कि ऐसे रोगी जिनमें सामान्य लक्षण है, उनका इलाज घर पर ही हो सके और उन्हें घर पर फोन से ही चिकित्सकीय परामर्श मिल सके।

सरकार ने ऐसी दवाएं जिनकी बाजार में किल्लत नहीं है, उनके वितरण के लिए भी स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद ली है जो रोगियों के घर पर ही दवाई उपलब्ध करवा रही हैं। इसके अतिरिक्त ऐसी दवाइयां जिनकी उपलब्धता कम है, एवं जिनकी जमाखोरी की आशंका है, उन्हें प्राप्त करने के लिए CMO के आदेश की आवश्यकता पड़ रही है। CMO कार्यालय से एक पत्र लेकर, जिस मेडिकल स्टोर से दवा लेने की अनुमति मिली हो, वहाँ से उसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। यह कदम जमाखोरी रोकने के लिए कारगर साबित हुआ है।

रेमडेसिविर की फ्री में उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। सरकार ने रेमडेसिविर की बड़ी मात्रा में खरीद की है, जिसे सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में मुहैया करवाया जा रहा है। सरकारी अस्पतालों को आदेश जारी किया गया है कि वह किसी भी रोगी को गंभीर हालत में वापस न भेजें, इसके बजाए उन्हें निजी अस्पतालों को रेफर किया जाए। निजी अस्पतालों में होने वाले इलाज का खर्च भी सरकार उठा रही है।

इसके अतिरिक्त ऑक्सीजन की कमी को सुलझाने के लिए सरकार ने 18 अप्रैल को 10 नए प्लांट बनाने का काम शुरू किया था, जिसकी संख्या बढ़ाकर 32 कर दी गई है। इसमें 18 प्लांट DRDO की जेट विमान में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक पर आधारित होने वाले हैं। PM केअर फंड के तहत 47 और प्लांट बन रहे हैं। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले 4 सालों में 32 प्लांट बनाए थे, किंतु कोरोना की तीव्रता ने इनकी संख्या को अपर्याप्त कर दिया, फिर भी सरकार अपने प्रयास को और तेज करके इस परिस्थिति से जूझ रही है।

उत्तर प्रदेश पहला प्रदेश था जिसने सभी वयस्कों के लिए फ्री वैक्सीन की घोषणा की थी। लेफ्ट लिबरल मीडिया में उत्तर प्रदेश के मामलों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में अब तक 23 करोड़ से अधिक की आबादी में अब तक 11 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें 8 लाख से अधिक लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं, मृतकों की संख्या 11 हजार से अधिक है। रोजाना करीब 32 हजार मामले आ रहे हैं, जबकि महाराष्ट्र में इसकी आधी आबादी है, और मामले दो गुने, केरल की आबादी 7 गुना कम है लेकिन रोजाना मामले में यह उत्तर प्रदेश से आगे है। इसके बावजूद मीडिया का एक धड़ा जानबूझकर इन आंकड़ों और योगी सरकार के प्रयासों को अनदेखा कर रहा है।

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