कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले देख महाराष्ट्र सरकार द्वारा लगाया गया लॉकडाउन मुसीबत कम करने की बजाय मुसीबतों को और बढ़ा रहा है। बता दें कि, महाराष्ट्र में 15 अप्रैल से लॉकडाउन का ऐलान हुआ है। 15 अप्रैल से आज तक कोरोना संक्रमण के मामले कम नहीं हुए, लेकिन बिना सोचे समझे लॉकडाउन लगाने से महाराष्ट्र के परिवहन सेक्टर को प्रतिदिन 315 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ रहा है। हालांकि, महाविकास आघाड़ी सरकार इसे लॉकडाउन का नाम न देकर कर्फ्यू का नाम दिया है।
अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस (AIMTC) के पूर्व अध्यक्ष और कोर कमेटी के अध्यक्ष बल मलकीत सिंह ने ANI से वार्ता के दौरान कहा कि, “महाराष्ट्र में आवश्यक वस्तुओं वाली दुकानों को छोड़कर बाकी सभी दुकानें बंद हैं, राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंधों ने परिवहन क्षेत्र को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। देश भर में प्रतिबंध के कारण इस क्षेत्र को प्रतिदिन 315 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।”
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बल मलकीत सिंह इस मामले को विस्तार में बताते हुए आगे कहा कि, “हमारे आकलन के अनुसार देशभर में ट्रकों का डिमांड 50 प्रतिशत तक कम हुआ है। जहां तक सुविधाओं की बात है तो PPE किट, दवाइयां, ऑक्सीजन सिलेंडर जैसे मेडिकल सामान के साथ खाने के समान, अनाज जैसे सामान ही फिलहाल ट्रांसपोर्ट हो रहे है। इसके अलावा बाकी के सामानों पर महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में पूरे तरह से रोक है।”
बल मलकीत सिंह ने ट्रांसपोर्ट सेक्टर को हो रहे है नुकसान के साथ ही, इस क्षेत्र से जुड़े लोग जैसे कि, ट्रक मालिकों और ड्राइवरों के आर्थिक तंगी को लेकर भी सवाल खड़े किए। सिंह ने कहां कि, “COVID-19 लॉकडाउन के कारण ट्रक मालिकों और ड्राइवरों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ रहा है। ट्रक मालिकों को टैक्स, बीमा, श्रमिकों और ड्राइवरों के लिए वेतन, और समान मासिक किश्तों (ईएमआई) की व्यवस्था करनी पड़ती है।”
सिंह ने सरकार से ट्रांसपोर्ट सेक्टर को राहत पैकेज देने की मांग की है। इसके अलावा सिंह ने कहा कि,टोल टैक्स, फिटनेस टैक्स, राज्य टैक्स, और अन्य टैक्स से छुटकारा मिलना चाहिए। और इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को जल्द से जल्द टीकाकरण करना चाहिए।
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महाराष्ट्र सरकार कोरोना संक्रमण पर काबू पाने में पूरी तरह से फेल हो चुकी है, ऐसे में सरकार ने बिना सोचे समझे लॉकडाउन लगा दिया। बता दें कि, लॉकडाउन लगाने के बाद भी महाराष्ट्र में आज 68,000 से ज्यादा कोरोना के नए मामले आए है। उद्धव सरकार महामारी पर तो नियंत्रण नहीं पा सकी, लेकिन राज्य को आर्थिक तंगी की ओर जरूर धकेल रही है।