कोरोना से जूझते भारत को दुनियाभर से सहायता प्रदान की जा रही है। सिंगापुर से लेकर जापान और फ्रांस से लेकर अमेरिका तक, सब देश भारत को मदद प्रदान कर रहे हैं। ऐसे में एक देश ऐसा भी है जो भारत की सहायता को लेकर कुछ ज़्यादा ही आतुर है, और वह है तुर्की! कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ सुर से सुर मिलाने वाला तुर्की भारत की सहायता करने के लिए कुछ ज़्यादा ही उत्साहित दिखाई दे रहा है।
एक तरफ जहां 26 अप्रैल को तुर्की के विदेश मंत्री ने भारतीय समकक्ष से बात कर मदद का प्रस्ताव दिया तो वहीं अगले ही दिन तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के ने भारतीय NSA अजीत डोभाल को फोन कर भारत की सहायता करने के प्रति तुर्की की प्रतिबद्धता को ज़ाहिर किया। यह ऐसे वक्त में हो रहा है जब तुर्की में खुद कोरोना के कारण स्थिति चिंताजनक है और हाल ही में पूरे देश में Lockdown की घोषणा की गयी है।
हालांकि, यहाँ बड़ा सवाल यह है कि तुर्की अचानक भारत की सहायता के लिए इतना सक्रिय क्यों हुआ है, जबकि कश्मीर मुद्दे पर वह भारत को कई बार आक्रामक घोषित कर चुका है। इसके साथ ही यह भी खबरें आती रही हैं कि तुर्की सरकार कई NGOs के माध्यम से कश्मीर में अलगाववाद को भड़काने के प्रयासों में जुटी हुई है। तुर्की के अचानक हुए इस हृदय परिवर्तन का कारण तुर्की की कोरोना समस्या में छुपा है।
बता दें कि इस वक्त तुर्की में Vaccines की भयंकर कमी है। देश में कोरोना infection रेट यूरोप में सबसे ज़्यादा है और चीन द्वारा चीनी वैक्सीन की सप्लाई रोके जाने के बाद देश में vaccines की भारी किल्लत हो गयी है। तुर्की के विपक्ष ने आरोप लगाया है कि चीन ने उइगर मामले पर Turkey से सहयोग पाने के लिए वैक्सीन की सप्लाई रोक दी, जिसके कारण अगले दो महीनों तक तुर्की में वैक्सीन की भयंकर कमी देखने को मिल सकती है।
तुर्की ने रूस से 50 मिलियन Sputnik V वैक्सीन की खरीद का प्रस्ताव भी मंजूर किया हुआ है और अगले महीने से उसे वैक्सीन मिलना शुरू होगा। ऐसे में अब कोरोना की मार झेल रहे तुर्की को बस भारत से ही उम्मीद है। Turkey भारत की सहायता कर भारत के सामने अपनी छवि सुधारना चाहता है ताकि तुर्की को भारत से तत्काल वैक्सीन मिल सकें।
यह भारत के लिए एक शानदार अवसर है, और इसका फायदा उठाकर भारत Turkey को कश्मीर मुद्दे से हमेशा-हमेशा के लिए दूर रहने पर मजबूर कर सकता है। भारत तुर्की से सहायता स्वीकार कर उसे वैक्सीन उपलब्ध करा सकता है। हालांकि, बदले में भारत सरकार तुर्की को कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की सहायता ना करने का दबाव बना सकती है।
पिछले महीने ही 29 मार्च को “Heart of Asia – Istanbul Process” वार्ता के दौरान भारत और तुर्की के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी, जिसमें Turkey ने आपसी रिश्तों को बेहतर कर व्यापार और अर्थव्यवस्था पर ध्यान केन्द्रित करने पर सहमति जताई थी।
Turkey भी यह संदेश दे रहा है कि वह अपनी खराब होती अर्थव्यवस्था और कमजोर होती भू-राजनीति के बीच भारत के साथ दोस्ती करने का इच्छुक है। भारत को तुर्की के साथ रिश्ते सुधारकर पाकिस्तान को एक बड़ा झटका देने के इस सुनहरे अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए।