एक तरफ चीन अब और आक्रामक हो कर ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार दिखाई दे रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका इस क्षेत्र को लेकर उदासीन रवैया अपनाए हुए है। चीन ने पहली बार सेनकाकू द्वीप समूह के आस पास अपनी आक्रामकता दिखाई तो उसके बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी तटरक्षक बल को इस क्षेत्र में ओपन फायरिंग की खुली छूट दे दी। अब अंत में पेपर ड्रैगन ने दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस को उकसाया है। इतनी घटनाओं के बाद भी बाइडन प्रशासन ने कभी भी चीनी सेना को रोकने का प्रयास नहीं किया। इसलिए, चीन अब अपने अंतिम लक्ष्य- ताइवान पर हमले के लिए तैयार दिख रहा है।
चीन की स्टेट मीडिया और सेना के कार्यों तथा शब्दों से यह प्रतीत होता है कि बीजिंग यह समझ चुका है कि वह ताइवान को धमका लेगा, और बाइडन प्रशासन प्रतिक्रिया भी नहीं देगा। ताइवान की राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, इस कम्युनिस्ट देश ने ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र के दक्षिण-पश्चिम खंड में 25 युद्धक विमानों को तैनात किया। यह इस वर्ष ताइवान की ओर चीन की सबसे बड़ी sortie थी।
चीनी स्टेट मीडिया भी ताइवान के बारे में कुछ अधिक ही कठोर भाषा का उपयोग कर रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय के लिए एक मुखपत्र के रूप में कार्य करने वाले चीनी मीडिया आउटलेट ग्लोबल टाइम्स के मुख्य संपादक Hu Xijin ने कहा कि यदि वाशिंगटन और ताइपे के बीच संबंध सुधरते हैं तो चीनी लड़ाकू विमान ताइवान के ऊपर से उड़ान भर कर अपनी “संप्रभुता की घोषणा” करेंगे।
Xijin ने ताइवान की ओर बड़ी sortie के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि यह ऑपरेशन अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की ओर से ताइवान और अमेरिकी अधिकारियों के बीच बातचीत के कम होने के बाद एक प्रतिक्रिया थी।
Xijin ने आगे चेतावनी दी कि ताइवान और अमेरिका के बीच अगर संबंध बढ़ते हैं तो मामले में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) “सैन्य दबाव बढ़ाएगी” है। ग्लोबल टाइम्स के मुख्य संपादक ने कहा, “अगर ताइवान की सेना ने गोलाबारी की, तो वह ताइवान स्ट्रेट में चौतरफा युद्ध का क्षण होगा।”
ग्लोबल टाइम्स के मुख्य संपादक ने आगे कहा कि, अमेरिका और ताइवान को “उकसावे बंद करने” या “ताइवान के करीब या यहां तक कि सीधे द्वीप के ऊपर भी और अधिक पीएलए विमानों के स्वागत के लिए तैयार रहने की जरूरत है।”
चीन ने ताइवान के साथ जो किया और जिस तरह से चीनी स्टेट मीडिया अमेरिका और ताइवान के लिए चेतावनी जारी करने में कामयाब रहा वह बीजिंग की गुंडागर्दी के ही संकेत हैं। चीन अब यह समझ चुका है कि अब बाइडन प्रशासन की मंशा ताइवान को बचाने की नहीं है।
यह सच है कि बाइडन प्रशासन के अधिकारियों ने चीन-ताइवान तनाव के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने यहां तक कहा, “किसी के लिए भी बल द्वारा मौजूदा यथास्थिति को बदलने की कोशिश करना एक गंभीर गलती होगी।” लेकिन तब चीनी अधिकारियों को समझ में आ गया कि अमेरिका बयानबाजी और मात्र शब्दों से आगे बढ़ने में सक्षम नहीं है।
बीजिंग बार-बार बाइडन का टेस्ट ले रहा है। पहले सेनकाकू द्वीप समूह के पास जापानी जल क्षेत्र में चीन के आक्रामक होने के बावजूद बाइडन ने कोई एक्शन नहीं लिया। इसी तरह, दक्षिण चीन सागर में Whitsun Reef में चीनी समुद्री मिलिशिया ने गुंडागर्दी की परंतु इस मामले में भी अमेरिका उचित प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है।
इस कारण से चीन अब यह समझ चुका है कि वह इंडो पैसिफिक में कितनी भी गुंडागर्दी कर ले अमेरिका बाइडन के नेतृत्व में तो कुछ नहीं करने वाला हैं। बीजिंग ने मान लिया है कि उसके पास ताइवान के खिलाफ एक्शन लेने का लाइसेंस है, और इस दौरान अमेरिका में एक डरपोक प्रशासन के चुपचाप बैठने की संभावना है। इसलिए, पेपर ड्रैगन अब खुले तौर पर द्वीप राष्ट्र के खिलाफ अपनी अपनी करतूतों को अंजाम देने की तैयारी में जुट चुका है।