माफ़ नहीं किया जाएगा: चीन को बहलाने की लिए अमेरिकी जहाज ने किया भारतीय समुद्री सीमा का उल्लंघन

अमेरिका! अब परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहो!

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जब डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तो अमेरिका का पूरा ध्यान चीन पर केन्द्रित था। अब जब जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति हैं तो अमेरिका भारत को ही आँखें दिखाने पर उतर आया है। हालांकि, आगे चलकर अमेरिका को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

दरअसल, हाल ही में अमेरिका की ओर से एक बेहद ही असमान्य चाल देखने को मिली। अमेरिका ने 7 अप्रैल को लक्षद्वीप के पास भारत के Exclusive Economic Zone में अपना युद्धपोत भेजकर क्षेत्र में भारत के दावों को सीधी चुनौती दे डाली। इतना ही नहीं, इसके बाद अमेरिका ने एक भारत-विरोधी बयान भी जारी किया।

अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े ने एक बयान जारी करके कहा, “7 अप्रैल को युद्धपोत यूएसएस जॉन पॉल जोन्‍स ने भारत से अनुमति लिए बिना ही लक्षद्वीप से 130 समुद्री मील की दूरी पर भारतीय क्षेत्र में नौवहन अधिकारों और स्‍वतंत्रता का प्रदर्शन किया। यह अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के मुताबिक है। भारत का यह दावा कि उसके विशेष आर्थिक क्षेत्र में सैन्‍य अभ्‍यास या आने-जाने से पहले पूर्व सूचना देनी होगी, यह अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों से मेल नहीं खाता है।”

अमेरिका के इस कदम से भारत के अधिकारी भी सकते में है और वे इस मामले पर अभी अध्यन्न कर रहे हैं कि अमेरिका के युद्धपोत ने भारत के Exclusive Economic Zone में किसी प्रकार की सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया या नहीं! अगर किसी सैन्य कार्रवाई की पुष्टि होती है तो इस मामले को अमेरिकी सरकार के साथ भी उठाया जाएगा।

आपको यह बता दें कि भारत ने अपने Exclusive Economic Zone में विदेशी जहाजों के आगमन को लेकर UNCLOS के इतर भी अपना कुछ कानून बनाए हुए हैं। भारतीय नियम के तहत अगर किसी विदेशी जहाज़ को भारत के EEZ से होकर गुजरना है तो उसे भारतीय सरकार को सूचना देनी होगी। इसके साथ ही अगर किसी देश को भारत के EEZ में सैन्य कार्रवाई करनी है तो उसे इससे पहले भारत सरकार की अनुमति लेनी होगी। UNCLOS में ऐसे किसी प्रतिबंध का उल्लेख नहीं है जिसके कारण अमेरिका भारत के इस कानून को नहीं मानता है। हालांकि, कभी इस मुद्दे पर इस प्रकार सार्वजनिक रूप से कोई टकराव देखने को नहीं मिला था।

अमेरिका ने जिस प्रकार की गतिविधि भारत के EEZ में की है, वह इस प्रकार की कार्रवाई दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों को खारिज करने हेतु करता रहता है। हालांकि, Quad के सबसे अहम देश भारत के खिलाफ ही अमेरिका की इस आक्रामकता ने कई सवालों को जन्म दिया है। बाइडन प्रशासन का यह कदम भारतीय EEZ में घुसपैठ करने के लिए चीन को प्रोत्साहित कर सकता है। इसके साथ ही भारत और अमेरिका के बीच किसी प्रकार का तनाव बढ़ना क्षेत्र में चीन के हितों को बढ़ावा देने का काम करेगा।

ऐसा भी हो सकता है कि दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी जहाजों की मौजूदगी के कारण चिढ़े चीन को खुश करने के लिए अमेरिका ने भारत के खिलाफ यह कदम चला है। बाइडन प्रशासन के इस कदम के गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ना सिर्फ Indo-Pacific क्षेत्र की सबसे बड़ी सैन्य शक्तियों में से एक है बल्कि वह Quad का अति-महत्वपूर्ण सदस्य देश भी है। अमेरिका का यह कदम चीन को बेशक खुश कर सकता है लेकिन इन कदमों से चीन-विरोधी Quad को बड़ा झटका ज़रूर पहुंचेगा!

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