चुनावों से पहले पुरुलिया के गांवों में 24×7 पानी आ रहा था, अब यहाँ के नल सूख चुके हैं

चुनावों के बाद ममता के विकास की NO GUARANTEE!

चार दिन की चांदनी, फिर अंधरी रात !! यही हाल पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के लोगों का हो रहा है। जब तक मतदान चल रहा था तब तक खूब पानी मिला, लेकिन अब चुनाव समाप्त होते ही पुरुलिया और अंडाल में लोग एक बार फिर पेयजल के लिए तरसने लगे हैं।

प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार, नियमित जलापूर्ति की मांग पर अंडाल के एक गांव में लोगों ने 4 घंटे तक रोड जाम कर दिया। पुरुलिया जिला के रघुनाथपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रखंड एक के अंतर्गत आढ़रा ग्राम पंचायत इलाके में पाइपलाइन से पानी की सप्लाई हो रही थी, जिसे मतदान खत्म होने के बाद बंद कर दिया गया। इससे स्थानीय लोगों में काफी रोष है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पुरुलिया में अपनी रैली के दौरान इस क्षेत्र में पानी की कमी को लेकर ममता बनर्जी पर सवाल उठाए थे। उन्होंने ‘खेला होबे’ के नारे के जवाब में ‘विकास होबे’ का नारा दिया था।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि चुनाव से पहले नल से जो पानी आता था, उससे उनका गुजारा हो जाता था। लेकिन चुनाव समाप्त होते ही पानी की सप्लाई पूरी तरह से ठप कर दी गयी है। यह सब तब हो रहा है जब भीषण गर्मी की शुरुआत हो रही है। ऐसे में लोगों को  पानी के लिए तरसना पड़ रहा है और प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

स्थानीय भाजपा नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार ने नल-जल परियोजना के लिए जो रुपये राज्य सरकार को दिये थे, उसी से घर-घर पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा था। इस काम के लिए नियुक्त ठेकेदार से तृणमूल के नेताओं ने इतनी ‘कट मनी’ ली कि काम ही पूरा ही नहीं हो पाया। उनका कहना है कि केवल वोट लेने के लिए कुछ दिन पाइप से पानी की सप्लाई की गयी। ‘कट मनी’ देने के बाद ठेकेदार ने घटिया पाइप लगा दी, जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

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यह विडम्बना है कि जिस जिले में भगवान राम ने वनवास के दौरान सीता जी की प्यास बुझाने के लिए जमीन पर एक बाण चलाकर पानी की धारा पैदा कर दी थी। वही पुरुलिया अब बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। यहाँ की सांस्कृतिक नदी भी सुख चुकी है। पुरुलिया में अजुध्या नाम का एक पर्वत है और एक ग्राम पंचायत का नाम भी अजुध्या है।

यहां का सीताकुंड सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। ऐसी आस्था है कि वनवास के दौरान जब एक बार सीता जी को प्यास लगी और आसपास पानी का कोई स्रोत नहीं था तो राम जी ने धरती पर बाण चलाया, जिससे एक जल धारा निकली। यह जल धारा लोगों के लिए आज भी आकर्षण का केंद्र है।

आज हालात यह है कि लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। अब यह देखना होगा कि वहां की जनता इस विधान सभा में किसे जिताती है, क्योंकि उनके प्रतनिधि का सबसे पहला काम लोगों को पानी की आपूर्ति करना होगा।

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पानी एक ऐसी जरूरत है, जिसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। ऐसे में लोगों का पानी के लिए संघर्ष करना दिखाता है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में किस प्रकार का विकास हुआ है और लोगों को किन समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है।

इतने सालों तक सत्ता में रहने के बाद भी ममता बनर्जी का अपने राज्य में लोगों को शुद्ध पीने का पानी न उपलब्ध करवा पाना अक्षमता को ही दिखाता है। अब चुनाव से पहले सिर्फ वोट के लिए लोगों को पानी देना और फिर चुनाव के बाद पानी बंद करना TMC की कुंठा को भी प्रदर्शित करता है।

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