“VIP कल्चर के कारण कोविड के खिलाफ लड़ाई कमजोर”, डॉक्टर्स ने PM मोदी से की “VIP नेताओं” की शिकायत

देशभर में VIP कल्चर का चलन कोरोना के बीच भी नहीं थमा है। ऐसे में जगह जगह से ऐसी खबरें आ रही हैं जहाँ डॉक्टरों के साथ कभी कोई नेता दुर्व्यवहार करता है, तो कभी उसके समर्थक, तो कभी सरकारी अधिकारी भी ऐसा करते हैं।

ऐसी ही एक खबर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से आई है। बिलासपुर जिले के रतनपुर में नगर पालिका अधिकारी द्वारा वीआईपी ट्रीटमेंट न देने पर दुर्व्यवहार करने का मामला सामने आया है।

यह मामला रतनपुर स्वास्थ्य केंद्र का है, जहां रविवार 11 अप्रैल को कोरोना जांच के लिए भीड़ लगी हुई थी। दोपहर 12 बजे नगर पालिका अधिकारी मधुलिका सिंह चंदेल अपने तीन-चार परिजनों को बिलासपुर से कोविड टेस्ट कराने स्वास्थ्य केंद्र पहुंची और जांच केंद्र के प्रभारी डॉक्टर अविनाश सिंह पर तुरंत जांच करने के लिए दबाव बनाने लगी। ऐसे में डॉ. अविनाश ने समझाया कि अभी कोविड लैब में बहुत भीड़ है, 93 लोग वेटिंग में है। रविवार होने के कारण स्टॉफ की कमी है। कुछ देर बाद प्राथमिता से जांच करा दिया जाएगा। आरोप है कि सीएमओ मधुलिका सिंह और उसके साथ आए मुकेश जोशी ने कुछ भी समझने से इंकार करते हुए चिल्लाना शुरु कर दिया और डॉक्टर अविनाश से दुर्व्यवहार करने लगे।

इसके बाद डॉक्टर अविनाश ने कलेक्टर और अनुविभागीय अधिकारी कोटा को फोन पर पूरी घटना की जानकारी दी लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों द्बारा भी सीएमओ का पक्ष लेते हुए डॉक्टर पर दबाव बनाया गया।

अंततः दुर्व्यवहार से क्षुब्ध होकर डॉक्टर अविनाश ने सीएमएचओ डॉ.प्रमोद महाजन को पत्र लिखकर केंद्र प्रभारी के पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी। उन्होंने लिखते हुए कहा है कि “एक साल से कोरोना महामारी में दिन रात काम कर रहें है। आम लोगों के लिए मेरी संवेदना गलत है क्या, जो वीआईपी लोगों की जांच के लिए आमजनों को परेशान करूँ?” डॉक्टर अविनाश ने कहा कि “मैं इस व्यवहार से मानसिक रुप से परेशान हूँ, मुझे रतनपुर के प्रभारी पद से हटा दिया जाये। ऐसी स्थिती में मैं काम नहीं करना चाहता हूँ, प्रभार से मुक्त होना चाहता हूँ।”

ऐसा ही मामला मध्यप्रदेश में सामने आया था जहां कांग्रेस नेता PC शर्मा के दुर्व्यवहार से क्षुब्ध होकर, डॉक्टर योगेंद्र श्रीवास्तव ने इस्तीफा दे दिया था। उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें डॉ० श्रीवास्तव रो रहे थे। बाद में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा था।

VIP कल्चर लाख प्रयासों के बाद भी देश पर एक बोझ बना हुआ है। स्वयं प्रधानमंत्री एक आम नागरिक की तरह सुबह-सुबह AIIMS जाकर कोरोना का टीका लगवा रहे हैं, लेकिन मोहल्ले के सभासद तक का रुतबा इतना है कि वह यही कोशिश करता है, उसे आम आदमी की तरह लाइन में न लगना पड़े।

The Federation of All India Medical Association ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर VIP कल्चर की शिकायत की है। एसोसिएशन ने शिकायत की है कि अधिकांश नेता आम लोगों से अलग काउंटर का इस्तेमाल करना चाहते हैं, उनमें से कई तो डॉक्टरों को घर बुलाते हैं, जबकि डॉक्टर खुद लाइन में लगते हैं, जबकि कोरोना के फैलाव से अब तक वह फ्रंट पर आकर कोरोना का मुकाबला कर रहे हैं।

बिलासपुर और भोपाल जैसे शहरों में जैसा दुर्व्यवहार चिकित्सकों के साथ हो रहा है यह कोई नई बात नहीं। कोरोना की शुरुआत से ऐसा चला आ रहा है। कभी तब्लीगी जमाती उनपर थूकते हैं, तो कभी कोई नेता इन्हें डराता है। ऐसे में आवश्यकता सख्त कदम उठाने की है, और उससे भी अधिक आवश्यक है नेताओं के बीच उदाहरण बनने की। यदि प्रधानमंत्री की तरह ही हर राजनीतिक दल के बड़े नेता भी VIP कल्चर को समाप्त करने के प्रयास करते, तो ऐसे मामले कम हो सकते हैं।

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