आज भारत में किसी राज्य की सबसे ज्यादा हालात खराब है तो वह है महाराष्ट्र। बता दें कि, महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने के कारण राज्य में स्वास्थ की हालत बहुत ज्यादा नाजुक स्थिति में है। और हो भी क्यों न, राज्य में स्वास्थ की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार पर होती है और राज्य सरकार के ऊपर तो रोज नए- नए भ्रष्टाचार के आरोप सामने आ रहे है। कुछ दिनों पहले ही मुंबई के पूर्व कमिश्नर ने राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की ऊगाही के आरोप लगाए थे। जिसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले की जांच की ज़िम्मेदारी CBI को सौंप दी थी। CBI के डर से अनिल देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली ताकि अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच राज्य की पुलिस को सौंप दी जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अनिल देशमुख की याचिका को खारीज़ कर दिया।
अगर हम मामले को विस्तार में बताए तो, मुंबई के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर ऊगाही के गंभीर आरोप लगाए थे। आरोप लगाने के बाद परमबीर ने सुप्रीम कोर्ट के पास मामले की जांच CBI को सौंपने के लिए याचिका डाली, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर से बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने को बोला। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंप दी। CBI द्वारा मामले की जांच की खबर सुनकर अनिल देशमुख घबरा गए और सुप्रीम कोर्ट के पास अपनी याचिका लेकर पहुंच गए।
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याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं। गृह मंत्री और पुलिस कमिश्नर इसमें शामिल हैं। यह आरोप ऐसे व्यक्ति का है जो गृह मंत्री का विश्वासपात्र था। अगर ऐसा नहीं होता तो उसे कमिश्नर का पद नहीं मिलता। यह कोई राजनीतिक प्रतिद्वंदिता का मामला नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने अनिल के वकील कपिल सिब्बल से आगे कहा कि, “आपको जांच एजेंसी चुनने का कोई हक नहीं है।”
बता दें कि, इससे पहले अनिल देशमुख ने अपने जांच के लिए रिटायर्ड हाईकोर्ट के जज से जांच करवाने की बात कहीं थी। 28 मार्च को जब अनिल ने गृह मंत्री पद से इस्तीफा दिया था और कहा था कि, “जो आरोप मुझ पर पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर ने लगाए थे, मैंने उसकी जांच कराने की मांग की थी। मुख्यमंत्री और राज्य शासन ने मुझ पर लगे आरोपों की जांच उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज के द्वारा करने का निर्णय लिया है। जो भी सच है वह सामने आएगा।” अनिल के बयान से साफ लग रहा है कि वो जांच पर अपना दबाव बनाकर खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश कर सकते थे।
महाराष्ट्र में बीते घटनाक्रम पर नज़र डाले तो यह संदेश मिल रहा है कि, महाविकास आघाडी सरकार पूरे तरह से अंबानी बॉम्ब केस और सचिन वाझे मामले में पूरे तरफ से फंस चुकी है। जिसके चलते जांच को दिशाहीन करने का पूरा प्रयत्न भी कर रही है। उद्धव ठाकरे सरकार ने इससे पहले अंबानी बॉम्ब केस NIA को दिये जाने पर एतराज जताया था और अब देशमुख की जांच CBI को दिये जाने पर भी एतराज दिखया है।
अंबानी बॉम्ब केस NIA को दिये जाने के बाद कई चौकने वाले सच सामने आए थे, जैसे कि, महाराष्ट्र सरकार के परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी अनिल देशमुख के साथ वसूली करने का आरोप सामने आया। ज़रा सोचिए, अभी मामले की केवल एक एंगल से जांच करने पर इतने बड़े सच से परदा हट गया है तो मामले की विस्तृत जांच करने के बाद न जाने कितने सच से परदा उठ जाए। CBI जांच की वजह से महाविकास आघाडी सरकार की नाक और कुर्सी दोनों दांव पर है।