भारत की शानदार वैक्सीन उत्पादन क्षमता देखकर पश्चिमी देशों के सीने में लगी आग, कच्चे माल की सप्लाई रोकी

पश्चिमी देशों! कितना नीचे गिरोगे?

अमेरिका वैक्सीन सर्टिफिकेट

दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माताओं में से एक Serum Institute of India हर महीने Covishield की करीब साढ़े छः करोड़ vaccines का उत्पादन कर रहा है। यह Serum Institute of India की शानदार उत्पादन क्षमता ही है जिसके कारण भारत अपनी वैक्सीन डिप्लोमेसी में चीन तक को मात देने में सफ़ल रहा है। हालांकि, अभी इस संस्था के CEO अदार पूनावाला ने खुलासा किया है कि वैक्सीन उत्पादन में ज़रूरी कुछ supplies के निर्यात पर अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रोक लगा दी है, जिसके कारण आने वाले दिनों में Serum Institute of India की वैक्सीन उत्पादन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

अदार पूनावाला के एक बयान के मुताबिक “हम भारतीयों को प्राथमिकता ज़रूर दे रहे हैं, लेकिन हमने निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाए हैं। दूसरी ओर अमेरिका और यूरोप ने वैक्सीन के साथ-साथ कच्चे माल की सप्लाई पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इन पश्चिमी देशों को इस मामले को वैश्विक नज़रिये से देखना चाहिए।” आगे उन्होंने बताया कि कैसे कच्चे माल की कमी का असर Serum Institute of India की उत्पादन क्षमता पर पड़ेगा। उन्होंने कहा “कच्चे माल की कमी के कारण भारत के वैक्सीन निर्माता अपने लक्ष्य के हिसाब से उत्पादन नहीं कर पाएंगे। इससे अमेरिकी कंपनी Novavax के साथ एक समझौते के तहत बनाई जा रही Covovax के उत्पादन पर बेहद गंभीर असर पड़ेगा।”

पश्चिमी देशों द्वारा वैक्सीन के उत्पादन के लिए ज़रूरी कच्चे माल की सप्लाई पर रोक लगाना यह दर्शाता है कि ये देश वैश्विक हितों को परे रख सिर्फ अपने नागरिकों को वैक्सीन प्रदान करने के इच्छुक हैं। Cells के उत्पादन के लिए Single use plastic bags और filters ऐसी कुछ चीज़ें हैं, जिनके exports पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिया है। यूरोप और अमेरिका अपने वैक्सीन निर्माताओं पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुके हैं ताकि वे वैक्सीन को एक्सपोर्ट न कर सकें। अब रही सही कसर वे कच्चे माल के export पर बैन लगाकर पूरी करना चाहते हैं।

बता दें कि भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी अब तक शानदार रही है। भारत अपने वैक्सीन मैत्री अभियान के तहत अब तक वैक्सीन की करीब 6 करोड़ 50 लाख डोज़ एक्सपोर्ट कर चुका है। सफ़ल वैक्सीन डिप्लोमेसी के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन कई मौकों पर भारत की प्रशंसा कर चुका है। 25 फरवरी को WHO के अध्यक्ष टेड्रोस ने ट्वीट कर कहा था “दुनियाभर में वैक्सीन की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद! Covax के प्रति आपकी प्रतिबद्धता और कोरोना की वैक्सीन साझा कर आप 60 से अधिक देशों में Front line workers को वैक्सीन दिये जाने के कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहे हैं। आशा है कि बाकी देश भी भारत को फॉलो करेंगे।”

फरवरी में टेड्रोस ने दुनिया के अन्य देशों के सामने भारत की मिसाल पेश की थी। आज करीब 2 महीनों बाद हालत ऐसी है कि ये देश भारत की वैक्सीन उत्पादन क्षमता को ही कम करने का घिनौना प्रयास कर रहे हैं। सफ़ल वैक्सीन डिप्लोमेसी के कारण ना सिर्फ भारतीय कंपनियों को आर्थिक फायदा हो रहा है, बल्कि इसकी वजह से सभी देशों में भारत का प्रभाव भी बढ़ रहा है। भारत ने इस क्षेत्र में चीन तक को मात दे दी है। ऐसे में अब पश्चिमी देशों ने भारत के इस सफ़ल अभियान को derail करने का मंसूबा तैयार किया है।

इससे पहले भारत की फार्मा इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचाने के लिए चीन भी ऐसे ही कदम उठा चुका है। पिछले कुछ महीनों में चीन द्वारा दवाइयों के उत्पादन के लिए आवश्यक active pharmaceutical ingredients यानि API के दाम 100 प्रतिशत तक बढ़ा दिये गए हैं। नवंबर महीने के बाद से ही यह ट्रेंड देखने को मिल रहा है, जिससे भारत में Paracetamol जैसे ड्रग्स का उत्पादन महंगा हो गया है। यही कारण है कि भारत अब APIs के लिए चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के विकल्पों पर काम करना शुरू कर चुका है।

अब यूरोपीय देशों और अमेरिका द्वारा कच्चे माल की सप्लाई रोकना भारत के सफ़ल वैक्सीन मैत्री अभियान को नुकसान पहुंचाने की ही कोशिश है, जिसका औंधे मुंह गिरना निश्चित है। अदार पूनावाला ने कहा है कि कच्चे माल की सप्लाई कम होने से Covishield के उत्पादन पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। इसके साथ ही पूनावाला ने ये भी कहा है कि आने वाले कुछ महीनों में वे अन्य suppliers से माल आयात करने की नीति पर काम कर रहे हैं। स्पष्ट है कि वैक्सीन उत्पादन क्षेत्र में भारत को पीछे धकेलने की कोशिश कर रहे देशों को केवल असफलता ही हाथ लगने वाली है।

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