आनंद बर्मन को किसने मारा? ममता की माने तो CRPF ने, पर सच्चाई कुछ और ही है

आनंद बर्मन की मौत के ऊपर क्यों चुप है ममता बनर्जी?

पश्चिम बंगाल चुनाव के चौथे चरण में हुई हिंसा के घाव अभी ताजे ही थे कि ममता बनर्जी ने हिंसा में हुई मौत के ऊपर राजनीति शुरू कर दी है। ममता बनर्जी हिंसा के तुरंत बाद ही भाजपा, चुनाव आयोग और सुरक्षा बलों के साथ आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेलने लगी। ममता बनर्जी अपने भाषण में केवल 4 लोगों की बात का ज़िक्र करते हुए नज़र आ रही है, जबकि पाचवें आनंद बर्मन की मौत के बारे में वे चुप है।ममता बनर्जी के इस अज्ञानता का जवाब अमित शाह ने अपनी शांतिपुर की रैली में दिया और कहा, “ममता बनर्जी आनंद बर्मन की मौत के ऊपर क्यों चुप है क्योंकि वो उनका वोट बैंक नहीं था?”

बता दें कि, ममता बनर्जी शनिवार को हुई  हिंसा को लेकर लगातार राजनीति कर रही है और जहां पर भी जाती है केवल 4 मृत्यकों के बारे में बात करती है इसके साथ ही ममता बनर्जी ने केवल 4 लोगों के मौत के ऊपर खेद प्रकट किया है। ममता बनर्जी वहीं 4 उपद्रियों की बात कर रही है जिन्होने CISF का घेराओ किया और उनके हथियार छीन लिए जिसके बाद CISF को आत्मरक्षा के लिए उनके ऊपर मजबूरन फायर करना पड़ा जिससे उनकी मौत हो गई। इन उपद्रियों के मौत के अलावा सिताकुलची के ही एक दूसरे बूथ पर हिंसा की  घटना में पहली बार मतदान देने आए आनंद बर्मन के ऊपर शरारती तत्वों ने हमला बोल दिया जिससे उसकी मौत हो गई।

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ममता बनर्जी के इस अज्ञानता का जवाब अमित शाह ने अपनी रैली मे दिया और कहा, “ ममता बनर्जी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। ममता बनर्जी ने आनंद बर्मन के परिवार वालों से अभी तक बात क्यों नहीं की? सिर्फ वोट डालने के कारण बर्मन की हत्या कर दी। उसका कसूर सिर्फ यह था कि वह नवयुवक था और वोट डालना चाहता था और बूथ पर ही उसकी हत्या गुंडों द्वारा की जाती है।” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने  आगे कहा कि “आनंद बर्मन के परिवार वालों से ममता दीदी क्यों नहीं बात करती हैं?

क्या वह बंगाल का बेटा नहीं है? उन्होंने कहा कि कल सीतलकुची के बूथ पर गुंडों ने सुरक्षाबलों के हथियार छीनने का प्रयास किया। उसके बाद आत्मरक्षा में फायरिंग होती है जिसके बाद 4 लोगों की मृत्यु हो जाती है। लेकिन ममता बनर्जी सिर्फ उन्हीं चार लोगों की बात करती हैं आनंद बर्मन की क्यों नहीं? मैं पांच की मृत्यु मानता हूं चार नहीं ,लेकिन ममता जी तुष्टिकरण की वजह से आनंद बर्मन को छोड़ देती है।”

जब जन की बात के संस्थापक प्रदीप भण्डारी ने आनंद बर्मन के गाँव जाकर मामले की जांच पड़ताल की तो चौकने वाला सच सामने आया। एक चश्मदीद ने प्रदीप भण्डारी से बात करते हुए कहा कि, “आनंद वोट डालने के लिए लाइन में खड़ा था, वह लोग बॉम्ब लेकर आए और फिर आनंद के घर की तरफ भागे, उन लोगों ने गोली चलाई जिससे आनंद मर गया।” चश्मदीद के बयान से साफ हो रहा है कि शरारती तत्वों ने बर्मन के ऊपर निजी कारणों से हमला किया था।

यह निजी कारण क्या हो सकता है? इसका जवाब बर्मन के माता-पिता ने खुद दिया है। बर्मन के घर वालों ने कहा है कि, बर्मन भाजपा का बूथ कार्यकर्ता था, जिसके वजह से उसकी मौत हो गई है। जब तृणमूल कांग्रेस से बर्मन के बारे में पूछा गया तो उन्होने अपने मुख्यमंत्री की तरह आरोप- प्रत्यारोप का खेल खेलने लगे और कहा कि, बर्मन तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता थे। अब आपको तय करना है कि, आनंद बर्मन के माता- पिता सच बोल रहे है या तृणमूल कांग्रेस।

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पश्चिम बंगाल चुनाव में हिंसा का सिलसिला दशकों से चला आ रहा है। तृणमूल कांग्रेस से पहले लेफ्ट और कांग्रेस चुनाव में हिंसा को अंजाम देते थे। लेकिन 2011 के बाद से हिंसा का दामोदार ममता बनर्जी ने अपने कंधे पर ले लिया है। अब हम उम्मीद कर सकते है कि, 2 मई को पश्चिम बंगाल से नई सरकार बने और पश्चिम बंगाल को अपराध मुक्त और भय मुक्त बनाए।

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