शव दफनाये गए 100 से ज़्यादा, रिपोर्ट सिर्फ 38 की; AMU में आग की तरह फैला है कोरोना

असली आंकड़े दिल दहला देने वाले हैं

AMU कोविड 100 पार

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में कोविड की वजह से 100 से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं है। हालांकि, आधिकारिक जानकारी के अनुसार कुल 38 लोगों की मौतें हुई थी, जिसमें टीचिंग अथवा नॉन टीचिंग स्टाफ भी शामिल है। परंतु नए खुलासे ने सभी को दंग कर दिया है क्योंकि लगभग सभी मौतें रमजान के महीने में हुई है।

द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में हाल ही में इतनी ज्यादा मौतें हुई है कि विश्वविद्यालय के कब्रिस्तान में जगह की कमी आ गई है। बता दें कि यह कब्रिस्तान विश्वविद्यालय परिसर के अंदर है और यहां केवल विश्वविद्यालय से जुड़े लोग आते है। साल 2003 से इस कब्रिस्तान के प्रभारी 46 वर्षीय मसरूर अहमद ने कहा कि उन्होंने पहले कभी “इतने शव नहीं देखे।”

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मसरूर अहमद ने आगे कहा कि, “अप्रैल में एक दिन 18 शव आए थे, जो अब तक सबसे अधिक थे। हमारे पास जगह खत्म हो गई थी, और हमें पुरानी कब्रों पर नए शवों को रखना पड़ा था। मौतों में वृद्धि के कारण हमें कब्र खोदने के लिए और लोगों को काम पर रखना पड़ा था।” 

द प्रिंट के अनुसार AMU विश्वविद्यालय में वास्तविक कोविड की मृत्यु का आंकड़ा 100 से अधिक है।

JNMC के एक डॉक्टर ने गोपनीयता रखने की शर्त पर बताया कि “इस बार यह बेहद दुखद रहा है। हमने अप्रैल से अब तक 100 से अधिक शिक्षण, गैर-शिक्षण और रिटायर्ड फैकल्टी मेंबर्स को वायरस से खो दिया है। आधिकारिक आंकड़ा कम है क्योंकि अधिकांश का परीक्षण नहीं हुआ और घर पर ही उनकी मृत्यु हो जाती थी।”

आपको बता दें कि AMU के ज्यादातर लोगों की कोविड से मौत इसलिए हुई है क्योंकि उन्होंने टीकाकरण नहीं करवाया था।

AMU विश्वविद्यालय में वैक्सीन को लेकर अफवाह फैलाई गई थी इस वजह से बहुत लोग कतरा रहे थे जबकि बहुतों ने रमजान के महीने की वजह से खुद को टीका से दूर रखा। अंततः उनकी कोविड संक्रमण की वजह से मौत हो गई।

बता दें कि AMU विश्वविद्यालय के अंदर COVAXIN का ट्रायल भी चल रहा था, उसके बावजूद लोगों ने टीका पर भरोसा नहीं दिखाया। विश्वविद्यालय में कोवैक्सिन परीक्षण के प्रमुख डॉ मोहम्मद शमीम ने कहा, “प्रोफेसरों सहित AMU कर्मचारी वैक्सीन प्राप्त करने के लिए आशंकित थे क्योंकि कोवैक्सिन का परीक्षण खत्म नहीं हुआ है। यहां ज्यादातर स्टॉक Covaxin का है।

डेटा पर विश्वास की कमी की वजह से लोगों ने वैक्सीन की प्रभावकारिता के ऊपर संदेह किया, यही वजह है कि वे सभी शॉट लेने से डरते थे। उन्हें डर था कि टीके से उनका स्वास्थ्य खराब हो जाएगा और यहां तक ​​कि मौत भी हो सकती है।”

हालांकि एक दूसरी रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि, AMU के 18 में 16 प्रोफेसरों ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी और उनकी मौत हो गई थी जबकि 2 प्रोफेसरों ने वैक्सीन लगवाई थी और और उन्हें कोविड भी हुआ परंतु वो जल्दी ही ठीक हो गए।

गौरतलब है कि AMU विश्वविद्यालय में इतनी भारी संख्या में मौत के पीछे का सिर्फ एकमात्र कारण है वैक्सीन न लगवाना। खैर, अब वहां लोगों को समझ आ गया है और डॉ मोहम्मद शमीम के मुताबिक, “इन मौतों की वजह से और बार-बार अपील के बाद टीकाकरण के लिए आने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। पिछले कुछ दिनों में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।”

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