देश में कोरोना के दूसरे चरण में बिगड़े हुए हालात से लोहा लेने के लिए केंद्र सरकार लगातार कोशिश कर रही है। कोरोना के खिलाफ इस युद्ध में डिफेंस तकनीक पर काम करने वाला DRDO लगातार मदद कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार DRDO की तरफ से तैयार की गई 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज दवा को इमरजेंसी यूज की मंजूरी के सबसे पहले दिल्ली के DRDO कोविड अस्पताल में भर्ती मरीजों को दिया जाएगा।
दरअसल, DRDO ने कोरोना के खिलाफ पिछले एक साल से रिसर्च और क्लीनिकल ट्रायल के आधार पर 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज दवा तैयार किया है। DRDO ने इसे डॉ. रेड्डीज लैब के साथ मिलकर तैयार की है। रिपोर्ट के अनुसार क्लीनिकल रिसर्च के दौरान 2-डीजी दवा के 5.85 ग्राम के पाउच तैयार किए गए। तैयार दावा को सुबह-शाम एक-एक पाउच पानी में घोलकर कोरोना के मरीजों को दिया गया। जिन मरीजों को दवा दी गई थी, उनमें तेजी से रिकवरी देखी गई। तीसरे चरण के ट्रायल रिजल्ट के मुताबिक 2-डीजी दवा से लक्षण वाले मरीजों में उल्लेखनीय सुधार हुआ और तीसरे दिन से ही एसओसी के मुकाबले इस दवा से ऑक्सीजन निर्भरता पूरी तरह से समाप्त हो गई। इसी तरह का सुधार 65 साल से अधिक उम्र के मरीजों में भी देखने को मिला।
इसी आधार पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इस दवा के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। 1 मई को, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने तीसरे चरण के सफल परीक्षणों के बाद गंभीर कोविड -19 रोगियों के लिए सहायक चिकित्सा के रूप में दवा के आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी। यह दवा पाउच में पाउडर के रूप में आती है, जिसे पानी में घोलकर Orally लिया जाता है।
अब परिक्षण के बाद अधिकारियों का मानना है कि एक-दो दिन में इस दवा को दिल्ली स्थिति DRDO के अस्पताल में भेजा जाएगा। DRDO के अधिकारियों ने बताया, देशभर के जिन 27 अस्पतालों में इस दवा के आखिरी ट्रायल किए गए थे। वहां से बचा हुआ स्टॉक भी इकट्ठा किया गया है। इसे दिल्ली के DRDO के अस्पताल में पहुंचाया जाएगा।
हालाँकि अभी इस दवा का इस्तेमाल सीमित ही है और अस्पतालों में यह दवा डॉक्टर की सलाह पर ही दी जाएगी। हालांकि, मार्केट में बिकने से पहले इसके लिए DCGI से मंजूरी लेना जरूरी होगा।
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रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) का प्राथमिक कार्य अत्याधुनिक हथियारों, रणनीतिक मिसाइलों और बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों को विकसित करना है, लेकिन भारत में कोरोना महामारी के कारण संगठन ने मिसाइल फायरिंग से अपना ध्यान हटकार भारतीयों की जान बचाने की ओर केन्द्रित किया है। कई राज्यों में अस्पतालों को बनाने के अलावा DRDO हल्के लड़ाकू विमान तेजस में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक की मदद से अस्पतालों में ऑक्सीजन के प्लांट्स लगा रहा है, जिससे अस्पताल Oxygen के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेंगे। यह तकनीक हल्के लड़ाकू विमान तेजस के लिए विकसित Onboard Oxygen (OBOX) generation system के आधार पर तैयार की गयी है जो वातावरण की हवा से सीधे ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। इसके अलावा DRDO ने Non‐Contact Thermal Probe, Multi‐Probe Thermal Scanner, Paper Disinfector तथा UV disinfection tower जैसी तकनीक भी विकसित की है जो कोरोना से लड़ाई में मदद कर रहा है। अब उसके द्वारा तैयार की गयी दवा भी जल्द ही मार्केट में आने की उम्मीद है।