वैक्सीन मारती नहीं है, वैक्सीन बचाती है। वैज्ञानिक आंकड़े इस बात की पुष्टि भी कर चुके हैं। हालांकि, भारत-विरोधी तत्व भारत के टीकाकरण अभियान को क्षति पहुंचाने के लिए अब किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। हाल ही में ऐसे तत्वों द्वारा एक झूठी खबर फैलाई गयी जिसमें एक फ्रेंच Virologist Luc Montagnier के हवाले से यह दावा किया गया कि वैक्सीन लगवाने वाले सभी व्यक्ति दो सालों के अंदर-अंदर अपनी जान गंवा देंगे और अब उनका कुछ नहीं किया जा सकता। हालांकि, इस फेक न्यूज़ का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार ने इस झूठी खबर का पर्दाफाश किया है और लोगों से इस खबर को forward ना करने की अपील की है।
An image allegedly quoting a French Nobel Laureate on #COVID19 vaccines is circulating on social media
The claim in the image is #FAKE. #COVID19 Vaccine is completely safe
Do not forward this image#PIBFactCheck pic.twitter.com/DMrxY8vdMN
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) May 25, 2021
Press Information Bureau ने एक फोटो को पोस्ट करते हुए लोगों को इस फेक न्यूज़ के बारे में आगाह किया। फोटो में मशहूर फ्रेंच Virologist और नोबल पुरस्कार विजेता Luc Montagnier के हवाले से कहा गया था कि “जिस-जिस ने भी कोरोना की वैक्सीन लगवाई है, वो सब 2 साल के अंदर मर जाएँगे। जिस किसी ने भी वैक्सीन ली है, उसे अब जीने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। एक इंटरव्यू में Virologist Luc Montagnier कहते हैं कि जिसने वैक्सीन लगवा ली है, उसे अब कोई नहीं बचा सकता और उनके मृत शरीरों को जलाने का प्रबंध अभी से किया जाना चाहिए।”
हालांकि, अब केंद्र सरकार ने साफ किया है कि किसी भी फ्रेंच Virologist की ओर से ऐसा दावा नहीं किया गया है और यह खबर एक दम फेक न्यूज़ है। मई की शुरुआत में Luc Montagnier ने एक इंटरव्यू ज़रूर दिया था, लेकिन उन्होंने अपने बयान में कहीं भी ऐसी कोई बात नहीं कही थी। उन्होंने बस यह कहा था कि वैक्सीन के कारण नए variants पैदा हो रहे हैं, जिसके कारण कोरोना का भयावह रूप देखने को मिल रहा है।
वैक्सीन के प्रति जागरूकता की कमी किस प्रकार घातक हो सकती है, वह हम पहले ही अपने देश में देख चुके हैं। अफवाहों का असर कितना बुरा हो सकता हैं, ये बात अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुए मौतों के तांडव के जरिए समझी जा सकती है। पिछले एक महीने से लेकर अब तक AMU के करीब 38 सेवारत और सेवानिवृत्त Professors की कोरोनावायरस के कारण मृत्यु हो चुकी है, जिसको लेकर कहा गया कि AMU में एक और ख़तरनाक स्ट्रेन आ गया है, जबकि ये फेक न्यूज थी, क्योंकि इन सभी की मृत्यु वैक्सिनेशन न कराने के कारण हुई थी। इन सभी ने वैक्सीन के दुष्प्रभावों को लेकर फैलाई जा रहीं अफवाहों पर विश्वास कर लिया और वैक्सीन को न कह दिया, जिसके बाद ये सभी कोरोना की मौत मर गए। देश में जब कोरोनावायरस की दोनों वैक्सीन लगना शुरू हुईं थीं, तभी से वैक्सीन की प्रभाविकता और साइड इफेक्ट्स को लेकर अफवाहें फैलाईं जा रही थी।
इसमें अफवाह ये थीं कि वैक्सीन लगाने से भी कोरोनावायरस हो सकता हैं। इतना ही नहीं वैक्सीन से नपुंसकता और मृत्यु होने तक के साइड इफेक्ट्स के बारे में अफवाहें फैलाईं गईं थी जो कि लोगों को भयभीत कर रही थी और इसके चलते देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार आज भी धीमी है। ऐसे में सरकार को इसी प्रकार तीव्र गति से देश-विरोधी तत्वों द्वारा चलाये जा रहे वैक्सीन-विरोधी एजेंडे को धराशायी करने की आवश्यकता है।