पवित्र समाधान: नदियों में शवों को फेंकने से रोकने के लिए योगी सरकार साधुओं-संतों की लेगी सहायता

गंगा में न प्रवाहित हो शव, UP सरकार ने आर्थिक मदद देने का किया फैसला

ग्रेटर नोएडा निवेश

पिछले दिनों गंगा के तट पर बड़ी संख्या में मृतकों की शव मिलने के बाद हड़कंप मच गया था। मीडिया ने इस मुद्दे को लेकर योगी सरकार का घेराव भी किया, साथ ही प्रशासनिक महकमा भी सकते में आ गया था। गंगा के तट पर जिन लोगों की लाश दफनाई मिली है, उनके कोरोना मरीज होने की पुष्टि हुई है। कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई कि लोगों ने मृतकों के शव को गंगा में प्रवाहित भी कर दिया है।

इस घटना के उजागर होते ही सरकार ने इसका संज्ञान लिया और मामले की तह तक जानकर इस समस्या के समाधान के लिए नई नीति बनाई है। सरकार ने लोगों को उनके परिजनों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करने के लिए आर्थिक मदद देने का फैसला किया है। साथ ही विभिन्न आध्यात्मिक गुरुओं और सन्तों से गोरखनाथ पीठाधीश्वर और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपील की है कि वह लोगों में इसे लेकर जागरूकता फैलाएं।

इस मामले में पूछताछ पर स्थानीय लोगों ने बताया कि घाट पर लकड़ी महंगी होने के कारण उन्हें मजबूरी में अपने परिजनों को या तो दफनाना पड़ रहा है, या फिर उनकी मृतक के शव को गंगा में बहाना पड़ रहा है। कोरोना से हो रही मौतों के कारण घाट पर लकड़ी महंगी हुई है। यह हालात दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, सभी जगहों पर है।

यह दुखद है कि किसी हिन्दू को मृत्यु के बाद सम्मानपूर्वक अग्नि न मिले। इसी कारण अब योगी सरकार ने निर्णय किया है कि वह जरूरतमन्द लोगों को आर्थिक मदद देगी। यहाँ तक कि लावारिस लाशों को भी उचित सम्मान के साथ जलाने का आदेश दिया गया है।

सन्त-महात्माओं से अनुरोध किया गया है कि वह लोगों में इस बात को लेकर जागरूकता फैलाएं कि मृतकों के शव को गंगा में न प्रवाहित किया जाए। सरकार ने पुलिस प्रशासन को आदेश दिया है कि नदियों में पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए, और लोगों को ऐसा करने से रोका जाए।

योगी आदित्यनाथ के लिए कोरोना से निपटना कितना कठिन काम है यह इसी बात से समझा जा सकता है कि उन्हें सपा और बसपा से विरासत में ऐसा प्रदेश मिला था, जहाँ न तो औद्योगिक इकाइयां थीं, न किसी प्रकार का आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर। देश में सबसे पिछड़े हुए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ, 24 करोड़ की आबादी को संभालना कितना कठिन कार्य है, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है।

यह भी पढ़ें :- मात्र 17 दिनों में योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में Oxygen संकट खत्म कर दिया

योगी सरकार के गठन के कुछ महीनों के भीतर ही गोरखपुर में ऑक्सीजन की कमी से नवजात शिशुओं की दुखद मृत्यु हुई थी। इस घटना ने उजागर कर दिया था कि योगी आदित्यनाथ पिछली सरकारों से को एक मृतप्राय हेल्थ सिस्टम मिला है। लेकिन आज उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में ऑक्सीजन प्लांट लग गए हैं और हर जिले में ऑक्सीजन प्लांट बनाने की योजना पर काम शुरू हो गया है।

Exit mobile version