रोजगार और जातिगत आरक्षण के बाद अब वैक्सीन में भी आरक्षण, शुक्र है कि ये तुच्छ सोच सिर्फ अजित पवार की ही है

अजीत पवार का ख्याली पुलाव!

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रोजगार और जातिगत आरक्षण के बाद अब वैक्सीन में भी आरक्षण

आरक्षण एक ऐसा मुद्दा है जिस पर पूरा देश बंटा रहता है, लेकिन फिर भी आज तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया है। अभी तक नौकरी और पढ़ाई में आरक्षण को लेकर विवाद रहता था, लेकिन आज कोरोनावायरस की वैक्सीन के मुद्दे पर भी आरक्षण की बात होने लगी है। ये बात कही है महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने। उनका कहना है कि महाराष्ट्र के ही पुणे में कोरोना की वैक्सीन बन रही है, इसलिए महाराष्ट्र को वैक्सीन में 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। अजित पवार का ये रुख दिखाता है कि वो कितनी संकुचित मानसिकता रखने वाले राजनेता है, जो वैक्सीन से जुड़े मानवीय मुद्दे पर भी राजनीति कर रहे हैं।

दरअसल हाल ही स्वदेशी वैक्सीन कंपनी भारत बायोटेक ने प्रोडक्शन प्लांट खोलने के लिए महाराष्ट्र सरकार से 11.58 प्रतिशत जमीन मांगी थी। जिसको लेकर महाराष्ट्र सरकार का रुख भी सकारात्मक है, लेकिन इस मामले महाराष्ट्र के ही उप मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार का रुख संकुचित सोच वाला है। उन्होंने कहा है कि वो महाराष्ट्र में भारत बायोटेक को जमीन तो दे ही देंगे, लेकिन बदले में उन्हें भारत बायोटेक से 50 फीसदी आरक्षण पर महाराष्ट्र के लिए वैक्सीन चाहिए।

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दरअसल, पुणे में एक कोविड संबंधित मीटिंग की अध्यक्षता के दौरान अजित पवार ने एक बेहद ही अजीबो-गरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा, “ वैक्सीन कंपनी भारत बायोटेक ने पुणे जिले में वैक्सीन प्रोडक्शन प्लांट के लिए 11.58 हेक्टेयर भूमि माँगी थी और सरकार इस मामले में सक्रिय भी है।” उन्होंने प्लांट को सभी सुविधाएं मुहैया कराने के वादें के साथ ही एक कुतर्क भी कर दिया और कहा, “पुणे संभागीय आयुक्त और जिला कलेक्टर जल्द जमीन के अनुरोध पर कार्रवाई करेंगे। वे प्लांट के लिए पानी, बिजली और अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति के लिए शीघ्र मंजूरी पर भी सक्रिय हैं।”

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वैक्सीन उत्पादन से लेकर समयावधि के उनके सारे तर्क सही हैं, लेकिन वो महाराष्ट्र के लिए वैक्सीन के मुद्दे पर भी आरक्षण मांगने लगे उन्होंने कहा, “प्लांट में वैक्सीन का उत्पादन शुरू होने में तीन महीने तक का समय लग सकता है। कंपनी को वैक्सीन का 50 फीसदी केंद्र सरकार को देना होगा। हालाँकि, हम भारत बायोटेक से राज्य के भीतर उपयोग के लिए बाकी वैक्सीन आरक्षित करने का अनुरोध करेंगे।”

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 पिछले डेढ़ साल को देखें तो महाराष्ट्र की इस महाविकास अघाड़ी सरकार ने प्रत्येक मुद्दे पर राजनीति ही की है। इसके इतर महाराष्ट्र के सबसे विकसित होने के बावजूद ये सरकार कोरोना को रोकने में विफल रही है। अभी तक इस सरकार की राजनीतिक पार्टियां राज्य में मराठा आरक्षण के लिए बयान देती थीं, लेकिन वैक्सीन जैसे मानवीय हितों वाले मुद्दे पर भी आरक्षण की मांग कर के अजित पवार ने महत्वाकांक्षा और राजनीतिक क्रूरता की पराकाष्ठा पार कर दी है।

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