महाराष्ट्र और MP के बाद राजस्थान में भी Frontline Workers कांग्रेस के निशाने पर, कर्मचारी का गला पकड़ा

Covid-19 पर राजनीति के बाद, कांग्रेस की एक और घिनौनी करतूत

कांग्रेस सभापति बिना गुप्ता ने frontline वर्कर को अपमानित किया

कोरोना काल में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं की सत्ता से बाहर होने कि खींझ सभी ने देखी है। आए दिन अस्पतालों में फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ झड़प के मामले सामने आते रहे हैं, और कुछ ऐसा ही अब राजस्थान में हुआ है। एक निजी अस्पताल के संचालक द्वारा कांग्रेस सभापति का फोन न उठाना उन्हें रास नहीं आया है। इस पर कांग्रेस नेत्री बीना गुप्ता अपने समर्थकों के साथ अस्पताल पहुंच गईं।

इस दौरान उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ अस्पताल परिसर में अफरा तफरी का माहौल पैदा कर दिया, और अस्पताल बंद कराने की धमकी तक दे डाली। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का ये रवैया दिखाता है कि कैसे ये लोग फ्रंटलाइन वर्कर्स के काम में बाधा बन रहे हैं।

कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता अपने रसूख का फायदा उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही राजस्थान में भी हुआ। दरअसल, राजस्थान के अलवर में कांग्रेस की सभापति बीना गुप्ता की परिचित महिला वहां के निजी हरीश अस्पताल में भर्ती थे। इसी संबंध में उन्होंने अस्पताल संचालक को फोन किया, परंतु फोन नहीं उठा। इसी तरह परिजनों ने रिसेप्शन पर बात कराने की कोशिश की तो उन्होंने काम में व्यस्त होने की बात कहकर टाल दिया।

अस्पताल प्रबंधन का ये व्यवहार कांग्रेस नेत्री और सभापति बीना गुप्ता के रसूख को चोट कर गया और उन्होंने अस्पताल में जाकर बवाल मचा दिया।

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कांग्रेस नेत्री और सभापति बीना गुप्ता अपने कई पार्षदों और कार्यकर्ताओं को लेकर हरीश अस्पताल पहुंच गईं। उन्होंने अस्पताल के परिसर में जमकर हंगामा किया। केवल हंगामा ही नहीं बल्कि अस्पताल के रिसेप्शन पर बैठी युवती का कॉलर पकड़ कर सभापति ने बाहर की तरफ खींचकर उसे अपमानित किया। इस पूरे मामले के बीच पुलिस भी मौके पर पहुंची और मामले को सुलझाने की कोशिश करने लगीं, जिससे मामले को दबाया जा सके।

अस्पताल प्रबंधन और संचालक को भी सभापति बीना गुप्ता का ये रवैया रास नहीं आया है। इस मुद्दे पर संचालक हरीश गुप्ता ने कहा, “कोरोना महामारी के इस दौर में मरीजों को संभालना पहली प्राथमिकता है और फोन साइलेंट पर होता है। इसके चलते फोन नहीं उठ पाता ,लेकिन अस्पताल कर्मचारियों के साथ सभापति का व्यवहार ठीक नहीं। अगर सभापति चाहती हैं वो इलाज बंद कर दे तो हम यहां से मरीजों को वापिस भेज देंगे।”

किसी भी फ्रंटलाइन वर्कर के लिए ये पल बेहद ही चुनौतीपूर्ण होते हैं, जहां उसे बीमारी से तो लड़ना ही है, साथ ही रसूख में अंधे लोगों की मूर्खता का भी सामना करना पड़ता है।

कुछ इसी तरह महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में कांग्रेस नेता के बेटे ने डॉक्टरों के साथ मारपीट की थी, और इलाज कार्य को बाधित किया था। इतना ही नहीं मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस विधायक ने एक युवक की कोविड से हुई मौत के बाद मशहूर डॉक्टर योगेन्द्र श्रीवास्तव के साथ अभद्रता की थी, जिसे कंट्रोल करने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक को दखल देनी पड़ी थी।

साफ है कि कोरोना काल में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने अस्पतालों के साथ डॉक्टरों और फ्रंटलाइन वर्कर्स का अपमान करने की ठान ली है, हालांकि इससे कांग्रेस की छवि पहले से अधिक धूमिल हो गई है, इसका परिणाम उसे जनता के जरिए भुगतना पड़ेगा।

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