पिछले कुछ दिनों में भारत सरकार ने बेलगाम सोशल मीडिया एप्स और OTT प्लेटफॉर्म के ऊपर अंकुश लगाने और उन्हें घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है। इसी कड़ी में एक और खबर सामने आई जब केंद्रीय सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने ऑनलाइन न्यूज पब्लिश करने वाले अखबारों, टीवी चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से नए IT नियम के अंतर्गत जानकारी मांगी है और उन्हें जवाब देने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी है।
ऑनलाइन न्यूज पब्लिशर्स से केंद्र ने 15 दिन के भीतर नए डिजिटल मीडिया नियमों के अनुपालन का ब्योरा मांगा है। मतलब सरकार यह जानना चाहती है कि डिजिटल मीडिया पब्लिशर्स नए नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं और इन नियमों के पालन में पब्लिशर्स क्या-क्या कदम उठा चुके हैं।
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बता दें कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 25 फरवरी को ‘मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता नियम, 2021’ को नोटिफाई किया था और 26 मई से ये नियम लागू किए जाने थे। बहरहाल कोई डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म इस नए नियम का अनुपालन करते नहीं दिख रहे हैं, इसलिए केंद्र सरकार ने उनको बैन करने से पहले आखिरी 15 दिनों का समय दिया है।
अगर हम देखे तो सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा लाए गए नए नियम राष्ट्रहित और जनहित के लिए ही है। मिसाल के तौर पर डिजिटल मीडिया के लिए नोटिफाई किए गए नियम को ही देख लीजिए। इसमें डिजिटल मीडिया को प्रेस काउंसिल,केबल टीवी एक्ट के नियमों का पालन करना होगा। थ्री लेवल शिकायत निवारण सिस्टम बनाना होगा। सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी। शिकायत निवारण अफसर तैनात करना होगा जो 15 दिन में सुनवाई करे। सरकार भी अपनी ओर से कोई निगरानी सिस्टम बनाएगी।
अर्थात डिजिटल मीडिया को उन्हीं नियमों के अंतर्गत काम करना होगा जिसके तहत आज प्रेस काउंसिल और केबल टीवी पहले से ही काम कर रहे हैं।
आज डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म के लिए यह नए नियम क्यों लाने पड़े, इसका उत्तर ढूंढने के लिए आपको ज्यादा नहीं पिछले 3 से 4 महीने में बीते घटनाक्रम पर ध्यान देना होगा।
जैसे कि हाल ही में बरखा दत्त ने अपने डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म मोजो पर प्रयागराज में शव दफन को लेकर झूठी खबर फैलाई। शव दहन के पीछे की असली की कहानी क्या है दैनिक जागरण ने अपनी रिपोर्ट में पेश किया था। ऐसे ही कुछ हाथरस कांड के समय हुआ था।
चुंकी बरखा दत्त का यूट्यूब चैनल डिजिटल मीडिया के श्रेणी में आता है उनके ऊपर प्रेस काउंसिल एक्ट 1978 के तहत कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती थी, पर अब नए नियम आने के बाद कार्रवाई हो सकती है।
ऐसे ही डिजिटल मीडिया द्वारा आधारहीन और तथ्यहीन खबर फैलाने वालों की कोई कमी नहीं है। इसलिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा लाए गए नए नियम को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए ताकि डिजिटल मीडिया की जवाबदेही तय की जा सके।