शशि थरूर ने तेजस्वी सूर्या को कहा “स्मार्ट” और “प्रतिभाशाली”, तो वामपंथियों ने माफी मांगने के लिए किया मजबूर

तेजस्वी सूर्या की प्रशंसा करना शशि थरूर को पड़ा भारी

शशि थरुर

हमारे देश में RSS तो फालतू में बदनाम है, असल गुंडई तो अंग्रेज़ी भाषी और अपने आप को ब्रह्मांड से भी ज्यादा बुद्धिमान व्यक्ति समझने वाले फैलाते हैं। इनके आराध्य के विरुद्ध किसी ने एक शब्द भी बोला तो उसकी खाल उधेड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन दूसरी तरफ यदि उन्ही के गुट के किसी व्यक्ति ने उनके किसी प्राइम टारगेट की गलती से भी तारीफ कर दी, तो वे उस व्यक्ति की आलोचना करेंगे और उस व्यक्ति को माफी मांगने पर विवश कर देंगे, जैसे कि अभी शशि थरूर के साथ हुआ।

लेकिन शशि थरूर ने ऐसा भी क्या किया जिसके कारण उन्हें सोशल मीडिया पर माफी माँगनी पड़ी? दरअसल उन्होंने भाजपा के युवा सांसद एल तेजस्वी सूर्या द्वारा कर्नाटक में अस्पताल में बेड आवंटन को लेकर हो रहे घोटाले की ओर प्रकाश डालने के विषय पर संयम बरतने की नसीहत दी। इसके साथ ही उन्होंने तेजस्वी सूर्या की तारीफ करते उन्हें परिपक्व और प्रतिभाशाली भी कहा।

तो इसमें समस्या क्या है? दरअसल तेजस्वी सूर्या भारतीय जनता पार्टी के सांसद है, जो भारत की पत्रकारिता और बौद्धिक क्षेत्र में डेरा जमाए वामपंथियों की आँखों में शूल की भांति चुभते है। ऐसे में शशि थरूर ने तेजस्वी सूर्या के बारे में कुछ सकारात्मक बोला तो बोला कैसे? इसके अलावा कर्नाटक के जिस अस्पताल घोटाले पर तेजस्वी सूर्या ने प्रकाश डाला था, उसके प्रमुख आरोपियों में कई कट्टरपंथी मुसलमान भी शामिल थे, जिनका काँग्रेस पार्टी से काफी गहरा नाता है। अपने आप को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रक्षक बताने वाले कुछ वामपंथियों ने तुरंत शशि थरूर पर धावा बोलते हुए उनकी आलोचना करनी शुरू कर दी।

घोर जातिवादी पत्रकार एवं कट्टर वामपंथी दिलीप मण्डल ने शशि थरूर को तेजस्वी सूर्या की ‘असलियत’ याद दिलाते हुए ट्वीट किया, “ऐसा कुछ नहीं है। वह एक नासमझ लड़का है, जिसे सेंट पॉल हाईस्कूल में पढ़ाई के कारण अच्छी अंग्रेज़ी आती है”।  वहीं दूसरी तरफ एक ऑनलाइन पत्रकार तारिक ने शशि थरूर की आलोचना करते हुए ट्वीट किया, “सीधे-सीधे नफरत फैलाने वाले के कृत्यों की निंदा करें, उसका महिमामंडन करने की कोई आवश्यकता नहीं”।

मामला बिगड़ता देखकर शशि थरूर को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा। उन्होंने ट्वीट किया, “एक कहावत है, ‘एक चम्मच चीनी से कड़वी दवाई भी पचाई जा सकती है’। मैंने देखा है कि कई मित्रों ने ‘चीनी’ पर ही ध्यान दिया, ‘दवाई’ पर नहीं। मेरा इरादा उस व्यक्ति [तेजस्वी सूर्या] के कृत्यों का बचाव करना नहीं था।”

लेकिन यह पहली बार नहीं है जब किसी राष्ट्रवादी नेता या उसकी नीतियों की तारीफ करने के लिए लोगों को वामपंथियों की आलोचना का सामना करना पड़ा हो। अभी कुछ दिनों पहले आईपीएल की टीम केकेआर के प्रतिभाशाली गेंदबाज पैट कमिन्स ने घोषणा की कि वे भारत के वुहान वायरस के विरुद्ध अभियान में सहायता हेतु पीएम केयर्स फंड में दान करेंगे, लेकिन उनके इस निर्णय के पीछे वामपंथियों ने उन्हे इतना बुरा भला कहा कि उन्हे विवश होकर अपना निर्णय बदलना पड़ा और अपना दान यूनिसेफ के ऑस्ट्रेलियाई इकाई को किया। जो शशि थरूर के साथ हुआ, उससे एक बार फिर सिद्ध हो गया कि आखिर हमारे देश में वामपंथी बुद्धिजीवियों को हेय की दृष्टि से क्यों देखा जाता है।

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