उद्धव सरकार कोरोना संक्रमण को नियंत्रण करने में पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। अगर हम कोरोना महामारी पर शुरू से ध्यान दें तो आप देखेंगे कि महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना के मामले कभी भा कम नहीं हुए थे। जब देश में कोरोना संक्रमण का ग्राफ नीचे गिरा था, तब भी महाराष्ट्र में संक्रमण तेजी से फैल रहा था। अब जब देश में ऑक्सीजन की कमी हो रही है तब ऐसे में मिलने वाली मदद को भी उद्धव सरकार पटरी से उतरना चाहती है। रिपोर्ट के अनुसार, मध्यप्रदेश के इंदौर में कोरोना स्थिति की गंभीरता को देखते हुए चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन ने विदेशों में रह रहे इंदौर के नागरिकों की सहायता से नीदरलैंड से 45 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे थे। हालाँकि, ये 45 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 24 घंटे में नीदरलैंड से भारत पहुंच गए, लेकिन इन्हें मुंबई से इंदौर लाने में 48 घंटे का समय लग गया। इन कंसंट्रेटर को इंदौर तक पहुँचाने में न सिर्फ टैक्स भरना पड़ा बल्कि रास्ते में रिश्वत भी देना पड़ी। यानी ऐसा लगता है कि उद्धव सरकार चाहती ही नहीं कि अन्य राज्यों को मदद मिले।
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित मध्य प्रदेश के इंदौर तक इन 45 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लाने के लिए तीन लाख रुपये का टैक्स भरना पड़ा और एक हजार रुपये रिश्वत भी देनी पड़ी।
दरअसल, इंदौर में कोरोना संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए विदेश में रह रहे इंदौर के लोगों ने करीब 18 लाख रुपये जमा किए। इसके बाद सीए संस्था ने अपने सदस्यों से 12 लाख रुपये जुटाए। 30 लाख रुपये में 45 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर नीदरलैंड से खरीदे गए।
आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, नीदरलैंड की सरकार ने भारत में कोरोना की गंभीरता को देखते हुए केवल 24 घंटे में सभी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई तक पहुंचवा दिया। परन्तु यहाँ से असली समस्या शुरू हुई। उद्धव सरकार ने इस मदद को ऐसे उलझाया कि उसे इंदौर तक पहुँचने में 48 घंटे लग गए। यानी नीदरलैंड से चले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सात हजार किलोमीटर दूर मुंबई एयरपोर्ट पर 3 मई को ही पहुंच गए थे, परन्तु बाद में वह महाराष्ट्र में टैक्स के नियम-कायदों और सिस्टम के भ्रष्टाचार में उलझे रह गए।
रिपोर्ट के अनुसार, पहले तो इन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को मुंबई से निकलने के लिए तीन लाख रुपये कस्टम ड्यूटी चुकानी पड़ी, इसके बाद रास्ते में भी ट्रक को कई जगह रोका गया। उद्धव सरकार में अब ऐसी वसूली की प्रक्रिया हो चुकी है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ट्रक की काफी देर तक जांच चलती रही।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि रास्ते में एक हजार रुपये रिश्वत भी देनी पड़ी तब जाकर 48 घंटे में ये ऑक्सीजन कंसंट्रेटर इंदौर पहुंच पाए।
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चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष कीर्ति जोशी ने नाराजगी जाहिर करते हुए बताया कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 3 मई को ही मुंबई पहुँच चुके थे, लेकिन इंदौर 5 मई की शाम को पहुंच पाये। वो भी तब जबकि तीन लाख रुपये टैक्स के अलावा रास्ते में एक हजार रुपये रिश्वत भी देनी पड़ी।
ऐसा लगता है कि उद्धव सरकार मध्यप्रदेश तक ये मदद पहुँचने ही नहीं देना चाहते थे। आज देश के सभी राज्य कोरोना से जूझ रहे हैं। मदद करने वाले अपने-अपने तरीके से मदद करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। अगर मिलने वाली मदद को इस तरह से रोकने का प्रयास किया जायेगा तो फिर इस चीनी वायरस से लड़ाई कमजोर पड़ जाएगी।