Li-ion को भारत का बढ़ावा: 20 हज़ार करोड़ का बोझ अब बनेगा लाखो-करोड़ों रुपयों का अवसर

आँखों के सामने आपदा को अवसर में बदलते देखिये!

मोदी

मोदी सरकार ने बुधवार को बैटरी के मैन्युफैक्चरिंग के लिए 18,000 करोड़ की Production Linked Incentive (PLI) स्कीम को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज के नेशनल प्रोग्राम को मंजूरी दी गई है। यह फैसला PM मोदी की आत्मनिर्भर भारत नीति का एक परिदृश्य होने के साथ ही मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है। इसके तहत अब से इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी देश में ही बनेंगी। यानी अब बैटरियों के आयात पर होने वाले खर्च को देश के विकास के काम में लगाया जा सकेगा।

मोदी सरकार में मंत्री जावड़ेकर ने बताया कि “बैटरी स्टोरेज बढ़े इसके लिए हम 20 हजार करोड़ की बैटरी बाहर से आयात करते हैं, लेकिन अब पीएलआई के तहत इसके उत्पादन को देश में किए जाने को बढ़ावा दिया जाएगा।” इसे ‘National Programme on Advanced Chemistry Cell (ACC) Battery Storage’ के तहत किया जायेगा। बता दें कि एसीसी उन्नत भंडारण प्रौद्योगिकियों की नई पीढ़ी की तकनीक है जो विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा के रूप में संग्रहित कर सकती है और आवश्यकता पड़ने पर इसे वापस विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर सकती है। आने वाले वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स समान, इलेक्ट्रिक वाहन, बिजली के उन्नत ग्रिड, सोलर रूफटॉप आदि, जो प्रमुख बैटरी खपत वाले क्षेत्र हैं, इनमें मजबूत वृद्धि की उम्मीद है। बैटरी के देश में ही उत्पादन से ईंधन की खपत में भी कमी आएगी जिससे न सिर्फ ईंधन का आयात कम होगा बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बेहतर होगा।

इस पहल का मकसद 50,000 मेगावाट घंटा एसीसी (उन्नत रसायन बैटरी) और 5,000 मेगावाट घंटा विशिष्ट एसीसी विनिर्माण क्षमता हासिल करना है। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण अनुकूल हरित वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा और तांबा तथा बॉक्साइट जैसे स्थानीय उत्पादों का सदुपयोग भी होगा।

केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि इससे आगे चलकर बड़े पैमाने पर ईंधन के आयात को भी कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि उन्नत रसायन सेल बैटरी भंडारण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम से 45,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है। इस योजना से इलेक्ट्रिकल व्हिकल योजना को भी लाभ मिलेगा। जब हम बैटरी स्टोरेज का इस्तेमाल करेंगे तो कोयला बचेगा। साथ ही एसीसी बैट्री से ई-वाहनों को प्रोत्साहन मिलेगा और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी। इस स्कीम के दौरान कम से कम 2 से ढाई लाख करोड़ रुपए तेल के आयात के बिल में बचत होगी।  बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भारत में स्वच्छ ऊर्जा वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, और इस दिशा में सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 1.4 बिलियन का एक विनिर्माण केंद्र बनाने की भी योजना शामिल है। वहीं नीति आयोग ने अगले 10 साल में लिथियम आयन बैटरियों के लिए 10 बड़ी फैक्ट्रियां बनाने का लक्ष्य तय किया है।

सरकार ने बताया है एसीसी बैटरी स्टोरेज निर्माताओं को पारदर्शी प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा। Mmanufacturing facility को दो साल की अवधि के भीतर चालू करना होगा। इसके बाद पाँच साल की अवधि के दौरान PLI का वितरण किया जाएगा।

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मोदी सरकार ने वर्ष 2030 तक देश को 100% ई-मोबिलिटी वाली अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इसकी एक बड़ी वजह ईंधन के रूप में बिजली के उपयोग को बढ़ावा देना भी है। इसलिए सरकार का फोकस ई-वाहनों के साथ-साथ घरों में बिजली से चलने वाले इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर भी है। इसके लिए देश में नई और एडवांस तरह की बैट्रियों की जरूरत है और इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस क्षेत्र के लिए PLI योजना को मंजूरी दी है।

बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल कोरोना के समय PLI स्कीम की शुरुआत की थी। इसका मतलब 12 सेक्टर को इस स्कीम के जरिए फायदा पहुंचाना था। इसी कड़ी में बैटरी स्टोरेज के लिए इसे अब मंजूरी दी गई है।

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