“4 करोड़ वैक्सीन लापता?”, Bharat Biotech ने नकारा लेकिन विपक्ष यही भ्रम फैला रहा है

विपक्ष के दावों की Bharat Biotech ने उड़ाई धज्जियां!

कोरोनावायरस की स्वदेशी को-वैक्सीन शुरू से ही विपक्ष के निशाने पर रही है, और अब वैक्सीन के गायब होने के लेकर अफवाहें फैलाई जा रही हैं। सरकारी डेटा और कंपनी के प्रोडक्शन को लेकर झोल दिखाकर ये साबित करने की कोशिश की जा रही है, कि भारत बायोटेक की 4 करोड़ वैक्सीन गायब हो गई है। वहीं, विपक्ष इस मुद्दे पर ऑडिट की मांग कर रहा है। ऐसे में कंपनी ने साफ कहा है कि टीके के प्रोडक्शन और सप्लाई की प्रक्रिया करीब 120 दिनों की है, यानी जो वैक्सीन मार्च में बनी हुई उसे जनता तक पहुंचने में करीब जून के आखिरी तक का वक्त लगेगा। इसके बावजूद वैक्सीन के उत्पादन और उसके गायब होने की खबरें हैं, जो कि विपक्ष द्वारा चलाया जा रहा एक एजेंडा है।

भारत बायोटेक की वैक्सीन के गायब होने को लेकर कंपनी के प्रमुख कृष्णा एला द्वारा हुए प्रोडक्शन के दावों और सरकार द्वारा ली गई वैक्सीन का डेटा मिलाकर ये साबित करने की कोशिश की जा रही है, कि भारत बायोटेक की को-वैक्सीन के चार करोड़ डोज गायब है। इसके पीछे तर्क है कि बकौल कंपनी मार्च में 1.5 करोड़, अप्रैल में 2 करोड़, मई में तीन करोड़ का संभावित प्रोडक्शन हो रहा है। मई के आंकड़ों को कम कर दें तो भी 5.5 करोड़ डोज का प्रोडक्शन माना जा रहा है। कंपनी ने दो करोड़ डोज जनवरी फ़रवरी में बना लिए थे, तो कुल 7.5 करोड़ हो गए। जिसमें सरकार ने 2 करोड़ वैक्सीनेशन के लिए ले लिए। साथ ही 2 करोड़ के करीब डोज वैक्सीन मैत्री के बीच भी वैक्सीन विदेश भेजी गई। इसके बावजूद क़रीब चार करोड़ वैक्सीन डोज गायब हैं। इसको लेकर अब कंपनी की तरफ से सफाई आई है।

और पढ़ें- सिर्फ Covid-19 नहीं बल्कि उसके हर स्ट्रेन से निपटने में सक्षम है भारत बायोटेक की स्वदेशी COVAXIN

कंपनी ने वैक्सीन के प्रोडक्शन की प्रणाली को बेहद जटिल बताया है। कंपनी ने कहा, “कोवैक्सिन को बनाने के साथ टेस्ट करने और उसका बैच रिलीज करने में 120 दिन लगते हैं। मतलब इस साल मार्च में कोवैक्सिन के जितने डोज बने, वे सप्लाई के लिए जून तक ही तैयार हो सकेंगे।” वैक्सीन के प्रोडक्शन को लेकर कंपनी ने कहा, “इसके कई चरण होते हैं और इसमें काफी कर्मचारी चाहिए होते हैं। वैक्सीन का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। इस वजह से आम लोगों तक टीका लगने में 4 महीने का वक्त लग जाता है।” साफ है कि वैक्सीन के डेटा में कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि उत्पादन प्रकिया ही जटिल है। इसके विपरीत कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा और विपक्षी नेताओं द्वारा ये भ्रम फ़ैलाया जा रहा है कि को-वैक्सीन की कई डोज गायब है।

इस मुद्दे पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिंदबरम ने भी झूठ फैलाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, “हर दिन ‘मिसिंग वैक्सीन’ का रहस्य गहराता जा रहा है। भारत बायोटेक ने टीको के एक बैच के उत्पादन के लिए आवश्यक ‘लीड टाइम’ के बारे में दिए बयान से और भ्रम पैदा कर दिया है। ‘क्षमता’ एक चीज है और ‘उत्पादन’ एक अलग चीज है। हम दो घरेलू निर्माताओं द्वारा अब तक उत्पादित वास्तविक मात्रा के बारे में जानना चाहेंगे। एक बार जब हम वास्तविक उत्पादन को जान लेते हैं, तो हमें बताया जाना चाहिए कि तारीख-वार क्या आपूर्ति की गई है और किसे?”

और पढ़ें- उद्धव सरकार पुणे में भारत बायोटेक की फैक्ट्री बंद करना चाहती थी, परंतु कंपनी ने HC की शरण ली और विजयी हुई

को-वैक्सीन को लेकर विपक्षी नेताओं की नफ़रत किसी से छिपी नहीं है। यही कारण है कि अब देश में वैक्सीन के प्रोडक्शन और सप्लाई डेटा को निकाल कर वैक्सीन के गायब होने का भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है, जिसका हकीकत से कोई सरोकार नहीं है। कंपनी की सफाई साबित करती है कि वैक्सीन के गायब होने को लेकर चलाई जा रही खबरें केवल एक प्रोपेगैंडा हैं, जिससे वैक्सीनेशन की प्रकिया में रुकावट पैदा हो।

Exit mobile version