दवाइयों की जमाखोरी का लाइसेन्स किसने दिया? : बॉम्बे हाईकोर्ट
कोरोना महामारी की इस विकट परिस्थिति में जब अस्पतालों और दवाखानों में ज़रूरी दवाएं out of Stock हो जा रही हैं, ऐसे में देश की कुछ हस्तियाँ सोशल मीडिया पर केवल tag किए जाने के बाद ही ये दवाएं कैसे प्रदान कर पा रही हैं? इस बात को गंभीरता से लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लिया और कहा कि आखिरकार जब दवाइयां दवाखाने में नहीं है तो हस्तियों और नेताओं के पास कैसे मौजूद है?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार और केंद्र को यह स्पष्ट करने के लिए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया कि मशहूर हस्तियां और नेता आखिर कैसे कोरोना वायरस रोगियों के लिए कोविड -19 दवाओं, Medical ऑक्सीजन और अन्य राहत सामग्री को खरीद कर उन्हें Stockpile कर सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि ये हस्तियां बिना किसी मेडिकल लाइसेंस या पर्चे के मुफ्त में दवा का वितरण कैसे कर सकती हैं।
बता दें कि हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने जरूरतमंदों के लिए कोविड -19 दवाएं खरीदने वाली मशहूर हस्तियों और राजनेताओं को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक रिपोर्ट सबमिट की थी। इस रिपोर्ट के हवाले से बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी ने कहा कि, “हमें अपने नागरिकों के जीवन की चिंता है। इसे किसी प्रकार का माइलेज और लोकप्रियता हासिल करने के लिए प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। अगर जरूरतमंद मरीजों को इससे वंचित रखा जा रहा है तो हमें बहुत दुख होता है। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।”
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने पिछले सप्ताह महाराष्ट्र सरकार से इस प्रकार के मामलों को लेकर विवरण मांगा था। इसके जवाब में बुधवार को राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा कि उसने मुंबई कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दीकी और सूद चैरिटी फाउंडेशन (अभिनेता सोनू सूद का एक एनजीओ) को कारण बताओ नोटिस (कोविड -19 राहत सामग्री की खरीद पर) दिया था, लेकिन अभी तक उनका कोई जवाब नहीं आया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई के दौरान, अधिवक्ता राजेश इनामदार ने पीठ को बताया था कि जब मरीज़ दवाखाने से दवा प्राप्त करने में विफल रहे, तो उन्होंने बॉलीवुड हस्तियों और राजनेताओं से सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क किया। इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को यह बताने के लिए कहा था कि राजनेताओं और मशहूर हस्तियों द्वारा remdesivir और अन्य प्रकार की दवाओं की खरीद और उनका वितरण आखिर कैसे किया जा रहा है, वह भी तब जब राज्य आपूर्ति में कमी की शिकायत करता है।
महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार एक हफ्ते में दायर करे अपनी-अपनी रिपोर्ट : कोर्ट
इतना ही नहीं, कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि, “कौन गारंटी देगा कि इन हस्तियों द्वारा दी जा रही दवाएं उचित गुणवत्ता की हैं या नहीं। इन दवाओं को आवंटित केंद्र सरकार करती है, उसके बाद राज्य सरकार इनका संग्रह करती है। इन सब के बीच इन हस्तियों की एंट्री आखिर कैसे हो जाती है? यही हमारी सबसे बड़ी चिंता है।” बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसके साथ ही महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार को अपनी-अपनी रिपोर्ट दायर करने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया है।
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स्पष्ट है कि हस्तियों द्वारा दवा का वितरण करना, समाज सेवा कम और अपना निजी PR स्टंट ज्यादा है, क्योंकि हर मरीज के पास सोशल मीडिया नहीं है लेकिन उसके पास दवाखाना जरूर है। सोशल मीडिया कोई dispensary नहीं है, जहां पर दवाओं को मुहैया कराया जाये। ऐसे में सरकार को कुछ खास कदम उठाकर इस आपदा के समय में सोनू सूद जैसी हस्तियों द्वारा किए जा रहे PR स्टंट पर रोक लगाने की आवश्यकता है।