शाह ने हिंसा की जांच के लिए टीम भेजी तो ममता को कोरोना वायरस ध्यान आ गया

कोरोना त्रासदी के पीछे हिंसा के दागों को छिपाना चाहती है ममता

भाजपा भवानीपुर सीट

पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजे आने के बाद टीएमसी कार्यकर्ताओं ने जो हिंसा की, उसे संरक्षण देने में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी नियम कानून तोड़ दिए हैं। ऐसे में हिंसा के इस स्वरूप को रोकने और मामले की जान के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आदेश पर चार सदस्यीय उच्चस्तरीय टीम भेजी गई है, जिसको लेकर अब ममता ने टीम पर बयानबाजी करते हुए केन्द्र पर सवाल खड़े किए हैं।

ममता का कहना है कि कोविड के लिए वैक्सीन और ऑक्सीजन के लिए कोई जांच करने क्यों नहीं आता है? ममता ये दिखाने की कोशिश कर रही हैं कि अब उनकी पहली प्राथमिकता कोविड से लड़ना है। ममता का कोविड और ऑक्सीजन के बहाने केंद्रीय जांच टीम पर सवाल करना दिखाता है कि वो अब हिंसा पर सवालों से बचने के लिए कोविड का बहाना बना रही है।

दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि बंगाल के ऑक्सीजन कोटे को विस्तार दिया जाए। उन्होंने कहा, “इसके पहले भी 5 मई को मैंने पत्र लिखा था। मैंने कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण मेडिकल ऑक्सीजन की मांग लगातार बढ़ रही है। बंगाल में कोविड पोजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ रही है। l पिछले 24 घंटे के दौरान 470 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की खपत हुई है। यह अगले 7-8 दिनों में बढ़कर 570 मीट्रिक टन हो सकती है।” ममता ने मांग की है कि उन्हें आक्सीजन खपत के अनुसार उपलब्ध कराई जाए।

वहीं चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा की जांच करने के लिए बंगाल पहुंची केंद्रीय टीम पर सवाल करते हुए ममता ने कहा, “हम आपसे अब झगड़ा नहीं करना चाहते हैं। बुधवार को सुबह 10.45 पर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और शाम सात बजे तक केंद्र की ओर से एक पत्र मिल गया। उसमें लिखा गया था कि गुरुवार सुबह केंद्रीय टीम बंगाल पहुंच रही है। क्या कभी केंद्रीय टीम ऑक्सीजन और वैक्सीन की कमी के बारे में जानकारी लेने आई?”

इतना ही नहीं ममता बनर्जी अपने कार्यकर्ताओं द्वारा की गई हिंसा को अन्य राज्यों के मामलों से तुलना करने लगी हैं। उन्होंने कहा, “हम आशा करते हैं कि केंद्रीय टीम हाथरस सामूहिक दुष्कर्म के मामले और दिल्ली, उत्तर-प्रदेश में हुई हिंसा के मामले में भी इतनी तेजी दिखाती।”

साफ है कि ममता बनर्जी केन्द्रीय टीम के जाने पर खफा हैं, और उन्हें डर भी है कि उन पर कार्रवाई भी की जा सकती है। इसीलिए पहले उन्होंने मृतकों को मुआवजा देने की बात कही, और अब कोविड 19 के मुद्दे के पीछे छिपने की कोशिश कर रहीं हैं।

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अगर बंगाल में कोरोनावायरस की वृद्धि हुई है, तो उसकी जिम्मेदारी ममता बनर्जी की ही हैं। चुनावों के दौरान भी मुख्यमंत्री पद‌ उनके ही पास था, लेकिन उस दौरान उन्होंने कोविड से बचाव में कोई बड़ा फैसला किया ही नहीं। इतना ही नहीं वोट देने वालों को लेकर ममता ने ही कहा था कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में निकलकर लोग वोट करें और कोरोना वायरस की चिन्ता छोड़ दें, जो दिखाता है कि ममता कोविड को लेकर कभी संवेदनशील थी ही नहीं।

वह ममता अब कोरोना वायरस को लेकर संवेदनशीलता दिखाने की नौटंकी कर रहीं हैं, असल में वो गृहमंत्री द्वारा भेजी गई टीम की जांच प्रकिया में अड़ंगा लगाना चाहती हैं, क्योंकि जांच में उनकी पोल-पट्टी खुल सकती है।

केन्द्रीय जांच टीम का बंगाल पहुंचना, उसके बाद ममता के बयानों में केन्द्रीय टीम की आलोचना और पीएम मोदी को लिखे पत्र में आक्सीजन की बात दर्शाती है कि ममता अब कोरोनावायरस की त्रासदी के पीछे छिपकर हिंसा के दागों को छिपाना चाहती हैं।

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