बाइडन ने टेके मोदी के सामने घुटने- फार्मा लॉबी के दबाव के बावजूद वैक्सीन के IPR पर दी छूट

अब भारत बनाएगा अमेरिकी कंपनियों की वैक्सीन! रोक सको तो रोक लो!

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पिछले कुछ सप्ताह को देखें तो अमेरिका के बाइडन प्रशासन ने कई ऐसे फैसले लिए हैं जो भारत के पक्ष में है। पहले वैक्सीन के raw material पर से प्रतिबन्ध के फैसले को पलटना और अब एंटी कोविड वैक्सीन पर पेटेंट सुरक्षा हटाने का समर्थन करने का फैसला लिया जिसे भारत और साउथ अफ्रीका ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में प्रस्तावित किया था। इन दोनों फैसले को अमेरिका और भारत के परिपेक्ष्य में देखा जाये तो यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका में Pro-India लॉबी बहुत मजबूत हो गई है और बाइडन प्रशासन के ये दोनों फैसले इसका उदहारण हैं। अगर इसे वैश्विक परिपेक्ष्य में देखा जाये तो इन दोनों ही फैसलों से विश्व के कई देश लाभान्वित होंगे।

दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कोरोना वैक्सीन के लिए Intellectual Property protection कानून में ढील देते हुए कोविड वैक्सीन पर पेटेंट सुरक्षा हटाने के प्रस्‍ताव का समर्थन किया है।

इस प्रस्ताव को मानना बाइडन के लिए आसान नहीं था। अमेरिका की विश्व व्यापार संगठन में मजबूत और प्रभावी पकड़ है। ऐसे में साफ था का Intellectual Property protection कानून यानि पेटेंट कानून में छूट के लिए बाइडन प्रशासन की मंजूरी बहुत जरूरी थी। अमेरिका में जिस तरह फार्मा इंडस्ट्री की लॉबी मजबूत है उसे देखते बाइडन प्रशासन के लिए यह आसान इसलिए नहीं था क्योंकि ऐसे में उसे दवा कंपनियों की नाराजगी भी झेलने का खतरा था। परन्तु ऐसा लगता है कि कोरोना की बढ़ती महामारी को देखते हुए Pro-India लॉबी ने बाइडन को इस covid वैक्सीन के पेटेंट में छूट के लिए मना लिया।

बता दें कि इस प्रस्ताव के समर्थन में बहुत से डेमोक्रेट कांग्रेस सदस्यों ने बाइडन को पत्र भी लिखा था और छूट देने की मांग की थी। उसके बाद ही बाइडन को यह फैसला लेना ही पड़ा और बुधवार को अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन टाइन ने अमेरिकी प्रशासन के इस फैसले की जानकारी दी।

उन्होंने अपने बयान में कहा कि यह वैश्विक आपदा है और असामान्य हालातों में असामान्य कदम उठाने की जरूरत है। टाइ ने इस बयान में यह भी कहा है कि अमेरिका Intellectual Property protection में बहुत ज्यादा विश्वास करता है लेकिन इस महामारी को खत्म करने के लिए वह कोविड वैक्सीन के संरक्षण में छूट देने का समर्थन करता है।

बता दें कि WTO की Trade Related Intellectual Property Rights काउंसिल को  पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत और दक्षिण अफ्रीका ने Covid-19 महामारी के खिलाफ एक मजबूत और समन्वित लड़ाई के लिए Intellectual Property Rights की अस्थायी माफी का प्रस्ताव दिया था। अधिकांश विकासशील देश प्रस्ताव के समर्थन में थे लेकिन अमीर और विकसित देश, जैसे यूरोपीय संघ के राष्ट्र, अमेरिका और कनाडा इसके विरोध में थे। तब भी भारत की इस पहल का दुनिया की दिग्गज फॉर्मा कंपनियों ने विरोध किया था। परन्तु अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने डेमोक्रेटिक सांसदों और अन्य देशों के दबाव के कारण कोविड रोधी वैक्सीन के पेटेंट में छूट का अस्थायी समर्थन किया है। यहाँ देखा जाये तो भारत की मजबूत लॉबी का ही असर दिखाई देता है।

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इसी तरह अमेरिका ने DPA कानून के तहत वैक्सीन के लिए आवश्यक raw material के एक्सपोर्ट पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। कई बार कहने के बावजूद बाइडन प्रशासन ने प्रतिबन्ध हटाने के आग्रह को भी ठुकरा दिया था। परन्तु पिछले महीने के आखिर में बाइडन ने आवश्यक raw material भारत भेजने का फैसला किया। इसमें भी किसी और का नहीं बल्कि Pro-India लॉबी का ही हाथ था जिससे बाइडन प्रशासन को भारत की मदद के लिए राजी होना पड़ा।  देखा जाये तो डोनाल्ड ट्रंप के समय से ही अमेरिका में भारत समर्थक लॉबी मजबूत हुई है जिसका असर अब हमें देखने को मिल रहा है। यही कारण है कि बाइडन को दो दो मामले पर अपने फैसले को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा।

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