कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता को लताड़कर मंत्रियों की जमानत याचिका रद्द की
बंगाल में नई सरकार बने अब काफी समय हो गया है, लेकिन चुनाव के समय शुरू हुआ राजनीतिक हिंसा का दौर अब तक खत्म नहीं हो सका है। इसी कड़ी में जब CBI ने सोमवार सुबह कड़ी कार्रवाई करते हुए नारदा केस में बंगाल सरकार के दो मंत्रियों व एक विधायक समेत चार नेताओं को गिरफ्तार किया तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बौखला गईं और उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं और टीएमसी के गुंडों के साथ मिलकर सीबीआई दफ्तर के सामने हंगामा खड़ा कर दिया। इतना ही नहीं, अपने भ्रष्ट नेताओं को छुड़ाने के लिए बंगाल सरकार ने स्पेशल सीबीआई न्यायालय में जमानत के लिए अपील भी की थी। पहले तो कोर्ट द्वारा जमानत की मंजूरी दे दी गई, परंतु जब CBI ने जमानत के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में अपील दायर की, तो हाई कोर्ट ने ममता को खरी-खरी सुनाते हुए TMC के मंत्रियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
और पढ़ें-ममता का आतंक बरकरार: CBI ऑफिस पर टीएमसी के गुंडों का हमला, गवर्नर को बंगाल छोड़ने को कहा
CBI ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ को बताया कि किस प्रकार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी CBI कार्यालय के बाहर अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठी गयी थीं। CBI ने हाई कोर्ट को यह भी बताया कि खुद बंगाल के कानून मंत्री मोलॉय घटक सीबीआई अदालत में अपने करीब 3 हज़ार समर्थकों को साथ लेकर पहुँच गए, और दफ्तर में बवाल खड़ा कर दिया गया।
एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि TMC के लोकसभा सांसद कल्याण बंदोपाध्याय जबरन सीबीआई कार्यालय में घुसे और अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मारपीट की।
यह सुनते ही कलकत्ता हाई कोर्ट ने हिरासत में लिए गए बंगाल के मंत्रियों को जमानत देने वाले आदेश पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में कहा, “हमारी राय में, भारत के सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध के संदर्भ में वर्तमान मामले का संज्ञान लेने के लिए उपरोक्त तथ्य पर्याप्त हैं। हम विवाद के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन जिस तरह से दबाव बनाने की कोशिश की गई, वह न्यायप्रक्रिया में लोगों के विश्वास को मजबूत नहीं करेगा। जिस परिस्थिति के दौरान दलीलें सुनी गईं और निचली अदालत द्वारा आदेश पारित किया गया था, उनको ध्यान में रखते हुए हम उस आदेश पर रोक लगाना और यह निर्देश देना उचित समझते हैं कि आरोपी व्यक्तियों को अगले आदेश तक न्यायिक हिरासत में ही रखा जाएगा।”
कलकत्ता हाई कोर्ट ने यहीं अपनी बात खत्म नहीं की। आगे कोर्ट ने कहा कि, “तृणमूल कांग्रेस के नेताओं की गिरफ्तारी के तुरंत बाद, उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भारी संख्या में CBI कार्यालय का घेराव किया और सीबीआई अधिकारियों को उनके कार्यालय से बाहर निकलने से रोका, ताकि वे आरोपियों को कोर्ट में पेश न कर सकें। इसके बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री श्रीमती ममता बनर्जी भी 10 बजकर 50 मिनट पर CBI कार्यालय पहुंची और भीड़ के साथ धरने पर बैठ गईं। सीबीआई कार्यालय से ही आरोपी की बिना शर्त रिहाई की मांग की जाने लगी थी।”
बता दें कि “नारदा घोटाला” मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट ने ही अप्रैल में आदेश दिया था। ऐसे में इस मामले में ममता सरकार द्वारा खड़े किए जा रहे बवाल को देखते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी को आड़े हाथ लिया और पश्चिम बंगाल की सरकार को कायदे-कानून का पाठ भी पढ़ाया।
कोर्ट ने आगे कहा कि, “यदि इस प्रकार की घटनाओं को होने दिया जाता है तो न्याय प्रणाली में लोगों का विश्वास कम हो जाएगा। न्याय व्यवस्था में जनता का विश्वास अधिक महत्वपूर्ण है, यही एकमात्र रास्ता है। इस मामले को देखकर जनता को यह महसूस होगा कि यहां लोकतन्त्र नहीं बल्कि भीड़तंत्र मौजूद है। जहां सीबीआई के कार्यालय में राज्य के मुख्यमंत्री और कानून मंत्री धरना और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हो, ऐसे में राज्य की जनता कानून व्यवस्था को कितना महत्व देगी।”
और पढ़ें-बंगाल हिंसा : CBI करेगी TMC के तीन नेताओं पर जांच, गवर्नर धनखड़ ने दिये आदेश
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कल रात वही बात दोहराई है जो, TFI पिछले कई महीनों से कहते आ रहा है। इस पूरे घटनाक्रम से यह फिर स्पष्ट हो चुका है कि पश्चिम बंगाल में हिंसा को हवा देने वाला और कोई नहीं बल्कि खुद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही हैं।