चीनी Propaganda कहता है कि चीन ने एक दिन में 1.4 करोड़ वैक्सीन डोज़ दिये, सच्चाई इससे बहुत दूर है

ये रहा दिन का सबसे बड़ा Chinese Fact Check!

चीन

चीन के Propaganda के बारे में अब पूरी दुनिया जानती है। चीन अपने देश की उपलब्धियों को बढ़ा चढ़ाकर दिखाता है, दूसरे देशों में खुद के शासनतंत्र को आदर्श मॉडल की तरह प्रस्तुत करता है। कमाल ये है कि या तो मूर्खता के कारण या किसी अन्य निहित स्वार्थ के वशीभूत होकर कुछ लोग चीन के इस प्रोपेगेंडा को आगे भी बढ़ाते हैं। पिछले दिनों चीन की प्रोपेगेंडा मशीन ने यह खबर चलाई की China में वैक्सीनेशन बहुत तेजी से हो रहा है। चीन एक दिन में 14 मिलियन लोगों को वैक्सीन लगा रहा है।

इसके बाद भारत में चीन की वाहवाही करने के लिए लोगों की लाइन लग गई। कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने इस खबर को चलाया की कैसे चीन दुनिया में रिकॉर्ड दर से वैक्सीनेशन की प्रक्रिया चला रहा है। The Hindu के अलावा Bussiness standard ने भी इसपर रिपोर्ट छापी। वहीं ट्विटर पर भी कई तथाकथित पत्रकारों ने यह खबर चलाई और चीन की भारत के साथ तुलना करने लगे, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है।

https://twitter.com/jenniferatntd/status/1397756449204355075?s=20

दरसल, चीन में वैक्सीनेशन के लिए सेंटर पर लोगों की भारी भीड़ जमा है। एक वायरल वीडियो ने चीनी स्वास्थ विभाग की पोल खोल दी। वीडियो देखकर यही पता चलता है कि चीन में वैक्सीन को लेकर अफरातफरी का माहौल है। लोग एक दूसरे से धक्का मुक्की करते देखे जा सकते हैं।

यह हाल तब है जब चीन की वैक्सीन को लेकर विश्वसनीयता भी संदिग्ध है। पिछले दिनों हमने एक रिपोर्ट में यह बताया था कि UAE, बहरीन, सेशल्स जैसे देशों ने चीन की वैक्सीन का इस्तेमाल किया, लेकिन फिर भी उनके यहां लोगों में हर्ड इम्युनिटी का स्तर नहीं बन सका। यहाँ तक कि UAE और बहरीन को अब अपने लोगों को वैक्सीन की तीसरी डोज देनी पड़ रही है। China वैक्सीन दूसरे देशों में जैसा प्रदर्शन कर रही है उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि चीन अगर अपने लोगों का बड़ी संख्या में वैक्सीनेशन कर भी ले, तो भी उसे कोई लाभ नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चीन में केवल चीनी वैक्सीन ही इस्तेमाल हो रही है और उसकी कार्यक्षमता जगजाहिर है।

इन सब बातों के सामने होते हुए भी कुछ लोग चीन की वैक्सीनेशन प्रक्रिया की तारीफ कर रहे हैं और उसे भारत से बेहतर बता रहे हैं। यह सब कार्य किस उद्देश्य से किया जा रहा है इसपर कोई टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है।

सत्य यह है कि China ने शुरू से कोरोना के बारे में झूठ ही फैलाया है, फिर चाहे वह कोरोना से जुड़ी जानकारी छुपाना हो या अपने यहाँ होने वाली मौत का आंकड़ा छूपाना हो।

सभी जानते हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को कोरोना के संक्रामक होने की बात बहुत पहले ही पता चल चुकी थी, लेकिन उन्होंने इसे लेकर दुनिया को भ्रम में रखा। लम्बे समय तक चीन ने यह खबर दबा के रखी कि कोरोना आदमी से आदमी में फैलता है। इसके बाद जब यह पता चला कि यह एक संक्रामक बीमारी है तो भी China इसकी वास्तविक शक्ति को कम करके पेश करता रहा और यह कहता रहा कि वह इस बीमारी को संभाल सकता है तथा दुनिया को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। यदि चीन ने समय पर दुनिया को चेतावनी जारी कर दी होती तो आज हालात इतने नहीं बिगड़े होते।

लेकिन अब इन बातों का महत्व नहीं रह गया है क्योंकि जो नए तथ्य सामने आ रहे हैं उनसे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि ऐसी संभावना है कि चीन के वैज्ञानिकों ने इस वायरस का निर्माण स्वयं किया हो। पिछले दिनों एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि चीन के वैज्ञानिकों में कोरोना वायरस का जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने को लेकर 2015 से बातचीत चल रही थी।

इन सब के बाद भी यदि कोई चीन के किसी भी प्रकार के दावे पर आंख बन्द करके भरोसा करना चाहता है, चीन की वाहवाही करना चाहता है तो यह बहुत हास्यास्पद है।

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