बच्चों पर Vaccine ट्रायल पूरा होने से पहले ही कांग्रेस ने मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए ‘मूर्खतापूर्ण अभियान’ शुरू कर दिया है

इसे तर्क नहीं कुतर्क कहते है

कांग्रेस पार्टी से लॉजिक की उम्मीद करना मतलब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से लोकतंत्र की उम्मीद करना। दोनों असंभव है। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने एक बार फिर बिना किसी तथ्य के प्रधानमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इस बार कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी द्वारा लगाए गए पोस्टरों जिनमें लिखा है कि, “मोदी जी, हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दिया” को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर करके अपनी अज्ञानता का परिचय दिया है।

दरअसल बात यह है कि, दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कुछ पोस्टर्स छपवाए, उसके बाद बड़ी चालाकी से गरीब रिक्शा चालक और मजदूरी करने वालों से पैसा के लालच में पोस्टर्स लगवाए और उन्हें पैसे भी नहीं दिए। इस मामले को दिल्ली पुलिस ने संज्ञान में लिया और 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई। फिर क्या था, कांग्रेस पार्टी ऐसा बना बनाया माहौल कैसे छोड़ सकती थी, और इस तरह एक-एक करके सारे कांग्रेस के नेता बहती गंगा में अपना धोने की कोशिश करने लगे।

प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और शशि थरूर जैसे नेताओं ने सिर्फ बहती गंगा में सिर्फ हाथ ही नहीं धोए बल्कि पूरा नहा भी लिए। अर्थात, उन्होंने पोस्टर साझा करने के अलावा उससे अपना डिस्प्ले पिक्चर (DP) भी लगा लिया।

आपको बता दें कि पोस्टर पर लिखा है कि, “मोदी जी, हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेजी” असल में हकीकत यह है कि, अभी बच्चों (2-18) की वैक्सीन देश के बच्चों के लिए बनना तो दूर, उस वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल का दूसरा और तीसरा चरण भी खत्म नहीं हुआ। जी हां, हाल ही में भारत बायोटेक को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने इंडिया ने दो से 18 वर्ष की आयु के लोगों पर इसके दूसरे/तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी दिया है।

कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी अपनी राजनीति चमकाने के लिए ‘ वैक्सीन मैत्री’ जैसे अभियान की भी गरिमा को ठेस पहुंचाया है। बता दे कि वैक्सीन मैत्री का पीछे का मंत्र है “वसुधैव कुटुम्बकम्”। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश के राजनीतिक दल अपनी ओछी राजनीति के कारण सनातन धर्म के संस्कार को भी भुला दिया है।

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खैर, जिस कांग्रेस पार्टी का जड़ इटली से जुड़ा हो और जिस पार्टी में राहुल गांधी जैसे विवेकहीन नेता हो, उनसे तो हमे भारतीय संस्कृति की उम्मीद करनी चाहिए और न ही कॉमन सेंस की।

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