कोरोना की दूसरी लहर में आए दिन कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ने का मामला सामने आता है। उत्तर प्रदेश से ऐसी लापरवाही की उम्मीद नहीं थी, लेकिन ये असंभव बात संभव हो गई है। योगी प्रशासन की नाक के नीचे बदायूं जिले में काजी सलीमुल कादरी के निधन पर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ गईं हैं। घटना की तस्वीरे और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसके चलते ये कहा जाने लगा है कि बदायूं का ये प्रकरण कोरोना का नया बम फोड़ सकता है।
कोरोना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर लॉकडाउन लगा हुआ है। शादी से मृत्यु तक के लिए कोरोना प्रोटोकॉल बना हुआ है, जिसके पालन के लिए प्रत्येक नागरिक बाध्य हैं, लेकिन एक खास वर्ग जो हमेशा पीड़ित होने की बात करते हैं, उन्होंने इस बार शायद कोरोना बम फोड़ने की ठान ली है। बदायूं के काजी सलीमुल कादरी के निधन पर बड़ी संख्या में लोग उनके आवास मदरसा आलिया कादरी में जुट गए और चिंताजनक बात ये भी है कि बदायूं के आस-पास के कई जिलों के लोग भी शामिल हुए थे।
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सोशल मीडिया की तस्वीरें प्रदर्शित कर रही हैं कि लोगों ने कोरोना प्रोटोकॉल तो छोड़िए, मास्क या सोशल डिस्टेंसिंग तक का पालन नहीं किया है। हजारों की संख्या में मौजूद भीड़ देखकर दहशत उठ सकती है, कि जब इस दौर में लोग अपने परिजनों तक से दूरी बनाकर चल रहे हैं तो ये अराजक भीड़ सारे नियम कानूनों को धता बता रही है। काजी सलीमुल कादरी के निधन पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आबिद रजा हजरत भी पहुंच गए, जो कि आम लोगों के लिए खुली छूट की तरह है।
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पूर्व सांसद अवधेश यादव ने भी इस निधन पर संवेदना प्रकट की। उनका फर्ज बनता था कि वो भीड़ को इकट्ठा होने से रोकें, परंतु उन्होंने खुद ही अपने प्रतिनिधि को जनाजे में शामिल होने भेज दिया। साफ तौर पर कहा जाए तो इन नेताओं ने भी राजनीति के लिए कोरोना प्रोटोकॉल को ताक पर रख तांडव किया है। ये प्रकरण बदायूं ही नहीं बल्कि यूपी में कोरोना का नया गढ़ बन सकता है, जो कि तब्लीगी जमात 2.0 होगा।
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इस पूरे प्रकरण के बाद स्थानीय प्रशासन पर सवाल खड़े हो गए हैं कि जिले में इतना तांडव होता रहा, लेकिन प्रशासन मूक दर्शक बना बस देखता रहा? एसएसपी संकल्प शर्मा ने बताया कि इस भीड़ के जुटने पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। एसएसपी मुकदमे की बात कहकर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं, जबकि सवाल ये अगर इस प्रकरण के बाद यदि जिले या राज्य में कोरोना की रफ्तार बढ़ती है, तो उसका जिम्मेदार ये भीड़ तो होगी ही, लेकिन प्रशासनिक तौर पर जिम्मेदार कौन होगा?
बदायूं के इस प्रकरण को लेकर खड़े होते सवालों के बीच ये आवश्यक है कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री द्वारा प्रशासनिक स्तर पर एक सख्त कार्रवाई की जाए, जो भविष्य में अधिकारियों के लिए एक उदाहरण बन सके।