ईद से पहले बाजारों में भीड़ और नमाज़ के दौरान No Mask, हैदराबाद में कोरोना गाइडलाइन बनी मजाक

KCR इस पर कुछ नहीं कहेंगे

हाल ही में हैदराबाद में चार मीनार के पास ईद उल फितर की तैयारियों के लिए भारी भीड़ बाजार में देखी गई थी, इस भीड़ में किसी को भी न सोशल डिस्टेंसिंग की चिंता थी, न मास्क पहनने की जरूरत महसूस हो रही थी। अभी यह वीडियो पुराना भी नहीं हुआ था कि एक नए वीडियो में लोगों को मक्का मस्जिद में भीड़ जुटाकर जुमे की नमाज अदा करते देखा जा सकता है।
ईद के पहले रमजान महीने के अंतिम शुक्रवार को हैदराबाद में मुसलमानों की भारी भीड़ मक्का मस्जिद में अंतिम जुमे की नमाज अदा करने आई थी। बता दें कि तेलंगाना राज्य में बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने हिन्दू विवाह में अधिकतम 100 लोगों को बुलाने की अनुमति दी है, जबकि हिंदुओं को अंतिम संस्कार में मात्र 20 व्यक्तियों को ले जाने की अनुमति है। किंतु मक्का मस्जिद और चारमीनार के पास के बाजार से आए दो वीडियो देखकर ऐसा लग रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लिए सरकार किसी प्रकार की कोई कड़ाई नहीं रख रही है।

अभी तेलंगाना में रोजाना 6000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं, इनमें से 1000 मामले केवल हैदराबाद से ही हैं। ऐसी स्थिति में एक ऐसे आयोजन की अनुमति कैसे दी जा सकती है, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में लोग सम्मिलित हों। ऐसी छूट हैदराबाद को नया कोरोना हब बना सकती है।

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अभी अप्रैल महीने के अंत तक तेलंगाना का यह हाल था कि यहाँ रोजाना कोरोना के दस हजार से अधिक मामले सामने आ रहे थे। हालांकि पिछले कुछ दिनों में ठीक हुए लोगों की संख्या नए मामलों की संख्या से अधिक रही थी, जिससे राज्य की स्थिति सुधरने के आसार दिखने लगे थे। किंतु अभी जो स्थितियां पैदा हो रही हैं उसे देखकर यह लगता है कि सरकार ने कोरोना के विरुद्ध लड़ाई से ज्यादा महत्व अपने वोट बैंक की राजनीति को दिया है।

बता दें कि हैदराबाद की राजनीति में मुस्लिम तुष्टिकरण एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। किंतु इस समय, जब देश के कई राज्यों में पहले ही हॉस्पिटल बेड, ऑक्सीजन आदि की किल्लत हो रही है, TRS सरकार द्वारा मस्जिदों में ऐसे जमावड़े लगने की अनुमति देना, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।

पिछले वर्ष तब्लीगी जमात के कार्यक्रम से कोरोना के मामले देशव्यापी हो गए थे, लेकिन उस घटना से भी कई राज्य सरकारों ने सबक नहीं लिया है। जिस प्रकार का रोष कुम्भ मेले पर दिखाया गया था, उसका आधा रोष भी रमजान के दौरान देखने को नहीं मिल रहा। राजनीतिक दल भूल रहे हैं कि कोरोना की बीमारी उनसे कई गुना अधिक पंथनिरपेक्ष है, यह हिंदुओं और मुस्लिमों को समान रूप से प्रभावित करेगी।

राजनीतिक दल यह नहीं समझ रहे कि उनकी वोटबैंक की राजनीति से कोरोना की विभीषिका के और अधिक बढ़ने का खतरा है। साथ ही मुस्लिम समुदाय द्वारा भी गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाया जा रहा है। ईश्वर न करें किन्तु यदि इन सबसे हैदराबाद की परिस्थितियां बिगड़ती हैं तो उससे मुसलमानों के साथ ही।आम लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा।

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