प्रिय RP ‘निशंक’ जी, NCERT रामायण का अनादर कर रही है और बच्चों को Double Meaning कविताएं पढ़ा रही है

इस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

NCERT कविता

भारत में शिक्षा का स्तर आज भी चिंताजनक है। स्वतंत्रता के बाद अंग्रेजों के चाटुकार इतिहासकारों ने ऐसी शिक्षा पद्धति बनायीं की उसके जहर का असर आज भी देखा जा सकता है। ये सिर्फ प्राइवेट पुस्तकों में नहीं बल्कि NCERT की किताबों में, वह भी कक्षा 1 के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इन किताबों में न सिर्फ हिन्दुओं की आस्था का मजाक उड़ाया जा रहा है बल्कि उन्हें ऐसी भाषा में कविता पढ़ाई जा रही है जिसे पढ़कर ही शर्म आती है।

सोशल मिडिया पर NCERT की एक किताब रिमझिम-1 की एक कविता सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रही है। यह किताब कक्षा I के बच्चों के लिए हैं। कविता का शीर्षक है ‘आम की टोकरी’ है। कविता में उस बच्ची को ‘छोकरी’ कहकर संबोधित किया गया है। देश के कई हिस्सों में ‘छोकरी’ शब्द को बालिकाओं के लिए अपमानजनक शब्द समझा जाता है।

हालाँकि कविता में प्रयुक्त भाषा शुद्ध हिंदी नहीं बल्कि आम बोल चाल की भाषा है लेकिन कविता की भाषा को पढ़कर कुछ लोगों का कहना है कि यह डबल मीनिंग दे रही है, इसलिए इसे पाठ्यक्रम से हटा देना चाहिए। बता दें कि कक्षा 1 के पाठ्यक्रम में इसे 2006 से लगातार पढ़ाया जा रहा है। NCERT की इस कविता को लेकर सबसे पहले छत्तीसगढ़ कैडर के IAS ने ट्विटर पर आपत्ति जताई थी।

इसके बाद कई यूजर्स भी इस कविता के खिलाफ NCERT को और HRD मंत्रालय को टैग करने लगे। आईएएस अवनीश शरण ने इस संबंध में ट्वीट में लिखा, “ये किस ‘सड़क छाप’ कवि की रचना है ?? कृपया इस पाठ को पाठ्यपुस्तक से बाहर करें।”

ट्विटर यूजर संजीव नेवर ने कविता शेयर कर लिखा, “हम अपने बच्चों को साहित्यिक शिक्षा दे रहे हैं या उन्हें उर्दूछाप लिरिक्स की ट्रेनिंग दे रहे रहे हैं।”

अभिनव प्रकाश ने इस कविता पर सरकार को लानत दी। उन्होंने कहा कि, 7 सालों के बावजूद एनसीईआरटी किताब से एक सिंगल लाइन भी नहीं हटी। शर्म आनी चाहिए।

https://twitter.com/Abhina_Prakash/status/1395282405884260357?s=20

अनुराधा शर्मा ने लिखा कि, “NCERT शर्म करो। और यह केवल एक उदाहरण है। अगर मेरा बेटा यही पढ़ता है, तो वह दूसरी लड़कियों से इस तरह बात करेगा। हिंदी एक खूबसूरत भाषा है, इतनी अश्लीलता क्यों?”

यह सिर्फ एक मामला नहीं था। लोगों ने कई किताबों की तस्वीरों को साझा किया जिसमें हिन्दू मान्यताओं से भी खिलवाड़ किया गया है। NCERT की कई किताबों में औरंगजेब की तारीफ तो आम बात है लेकिन रामायण की भी खिल्ली उड़ाई गयी है। एक ट्वीटर यूजर ने एक पुस्तक की तस्वीर शेयर की जिसमें तुलसीदास नामक पाठ में रामायण को स्त्री विरोधी और न जाने क्या क्या लिखी हुई है।

https://twitter.com/THU_Reloaded/status/1395976245175717891?s=20

वहीँ एक और यूजर ने एक पुस्तक में ‘द लिटिल बुली’ पाठ के बारे में भी बताया है जिसमें विष्णु भगवान के प्रचलित नाम ‘हरि’ के नाम पर एक ऐसे बच्चे की कहानी कही गई है जो लड़कियों को चिढ़ाता है, उन्हें परेशान करता है, तथा धौंस ज़माने की फ़िराक में रहता है और आखिर में एक केकड़ा उसे काटकर सबक सिखाता है।

अगर इस कहानी की वास्तविकता को देखे तो इस कहानी के मूल स्वरुप में लड़के का नाम हरी के स्थान पर हेनरी रहता है। ब्रिटेन की एनिड ब्लिटन के 1946 में प्रकाशित कहानियों के लोकप्रिय संग्रह ‘चिमनी कॉर्नर स्टोरीज’ से लिया गया है। इस कहानी में मूल चरित्र का नाम है ‘हेनरी’।

इस एक छोटे से बदलाव का असर बच्चों की मानसिकता पर क्या पड़ेगा यह आज हम WOKE Generation को देख कर समझ सकते हैं। अगर NCERT में इन सब प्रोपोगेन्डा को निर्धारित करने वालों ने ‘हरी’ के स्थान पर ‘अब्दुल’ नाम रखा होता तो अब तक कितना बड़ा हंगामा हो चुका होता।

बच्चों के मन में सनातन संस्कृति के प्रति घृणा के बीज इसी तरह आज भी डाले जा रहे हैं। सरकार ने पाठ्यक्रमों को बदलने के लिए कदम तो उठाये हैं लेकिन यह अब तक हो जाना चाहिए था। HRD मंत्री रमेश पोखरियाल को अब एक त्वरित कदम उठाना होगा।

NCERT में डाले गए इस कचरे को साफ करना होगा तभी भारत के युवाओं और बच्चों को देश की सांस्कृतिक जड़ों के बारे में पढ़ने का अवसर मिलेगा। पढ़ाई का इस तरह से राजनीतिकरण कर वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को अपनी ही विरासत से दूर करना उनके पतन का कारण बन सकता है। भारत की शिक्षा का भारतीयकरण किया जाना चाहिए।

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