विपक्ष और लिबरल ने निशाना बनाया, बिना डरे अदार पूनावाला ने अब Nasal वैक्सीन पर काम शुरू कर दिया है

Nasal वैक्सीन से लिबरलों और आलोचकों को मिलेगा सबसे बड़ा झटका

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The Indian Express

भारतीय वैक्सीन कंपनियों को आंतरिक और बाहरी दोनों सिरों से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। विदेशी भारत में अपना वैक्सीन बिजनेस खत्म होने से खफा हैं, तो भारतीय लिबरल वैक्सीन के प्रोडक्शन की रफ्तार देख भौंचक्के हैं। इन सभी आलोचनाओं के बीच अब भारत में वैक्सीन की उत्पादन करने वाली सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कंपनी के सीईओ आदार पूनावाला ने कोरोना की नेजल वैक्सीन बनाने की ओर अपने कदम बढ़ा दिए हैं। नाक से दी जाने वाली वैक्सीन के प्रथम फेज का ट्रायल ब्रिटेन में शुरू हो चुका है और पूनावाला का ये कदम लिबरलों और आलोचकों के लिए सबसे बड़े झटके की तरह है।

भारत में कोरोना के वैक्सिनेशन में दो भारतीय कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक का बड़ा योगदान है। वहीं देश में सबसे ज्यादा वैक्सीन का उत्पादन कर चुकी सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ आदार पूनावाला अब वैक्सिनेशन की प्रक्रिया को एक नए स्तर पर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल, सीरम अब की कोरोनावायरस की नेजल वैक्सीन बनाने की तैयारी कर चुकी है, इसके लिए पहले चरण का ट्रायल भी ब्रिटेन में शुरू हो चुका है, इसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और आदार पूनावाला की एक नई सफलता के तौर पर देखा जा रहा है।

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इस नेजल वैक्सीन के जरिए लोगों का वैक्सिनेशन एक डोज से ही हो जाएगा।  इसके लिए सीरम द्वारा ब्रिटेन की ही एक कंपनी Codagenix INC के साथ एक वृहद कॉन्ट्रैक्ट किया गया है। खास बात ये है कि सीरम इंस्टीट्यूट ने नेजल वैक्सीन के ट्रायल और टेस्टिंग के लिए ब्रिटेन में 24 करोड़ पाउंड का निवेश किया है। आदार पूनावाला का ये रुख दिखाता है कि वो इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए कितने अधिक संवेदनशील हैं।

इस मुद्दे पर Codagenix INC की तरफ से कहा गया, “सीरम का निवेश क्लीनिक ​​परीक्षणों, रिसर्च, डेवेलपमेन्ट और संभवतः टीकों के उत्पादन में महत्वपूर्ण रहेगा। इससे यूके और दुनिया को कोरोनोवायरस महामारी और अन्य घातक बीमारियों को हराने में मदद मिलेगी। सीरम ने पहले से ही ब्रिटेन में Codagenix INC के साथ कॉन्ट्रैक्ट के जरिए एक-खुराक वाली कोरोना की नेजल वैक्सीन के लिए प्रथम चरण का ट्रायल शुरू कर दिया है।”

भारत में वैक्सिनेशन के लिए अभी तक सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड का सबसे अधिकार प्रयोग किया गया है, जिसके चलते सीरम यहां युद्धस्तर पर वैक्सीन की खुराकों का उत्पादन कर रही है। वहीं अब भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की वैक्सिनेशन प्रकिया शुरू होने के बाद तो सीरम लगातार अपने प्रोडक्शन में बढ़ोतरी कर रहा है। इस मुद्दे पर उन्हें आलोचनाओं से लेकर अनेक लोगों से धमकियों भी मिल रही है। अनेक विपक्षी पार्टियों से लेकर देश का पूरा लिबरल वर्ग उन्हें अपने निशाने पर लिए हुए है। यही कारण है कि गृहमंत्रालय ने उन्हें Y श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है।

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कभी वैक्सीन की विश्वसनीयता तो कभी उत्पादन क्षमता, इन सभी मुद्दों पर भारत में सीरम के सीईओ आदार पूनावाला ने खूब आलोचना झेली है। इसी तरह अमेरिका जैसे देशों की बड़ी वैक्सीन कंपनियों को नकार कर जब सीरम को भारत सरकार ने स्वीकृति दी तो आदार पूनावाला की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचनाएं होने लगीं। ऐसे में अमेरिका ने वैक्सीन बनाने के लिए जरूरी कच्चे माल की आपूर्ति तक पर रोक लगा दी, लेकिन भारतीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की कूटनीति के कारण अमेरिका की हेकड़ी ज्यादा समय न चल सकी।

प्रत्येक परिस्थिति का डटकर मुकाबला करने के बाद अब आदार पूनावाला ब्रिटेन में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के झंडे गाड़ने निकल पड़े हैं। ब्रिटेन में नेजल वैक्सीन के ट्रायल से लेकर निवेश का आदार फ़ैसला कई कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है, क्योंकि सीरम इन सबको केवल भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर कड़ी टक्कर दे रही है।

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