विदेशी सहायता का बड़ा हिस्सा मिलने के बावजूद केजरीवाल कोविड -19 को नियंत्रित करने में नकामयाब रहे

भारत को गिफ्ट किए गए 13 ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट में से दिल्ली आठ प्लांट मिले हैं

जब से कोरोना शुरू हुआ है तब से ही देश की राजधानी दिल्ली सबसे ख़राब तरीके से मैनेज किये जाने वाले राज्यों में रही है। अब कोरोना की दूसरी लहर में दिल्ली की हालत और भी बिगड़ चुकी है और मुख्यमंत्री केजरीवाल से हालत सुधारते नहीं दिखाई दे रहे है। हालाँकि दूसरी लहर में कई अन्य देशों ने भी भारत को मदद भेजी और मदद का सबसे बड़ा हिस्सा दिल्ली को ही मिला, तब भी लोगों को ऑक्सीजन और दवाईयों के लिए भटकना पड़ रहा है।

दिल्ली में अन्य राज्यों से आये लोग भी है, इसी कारण दिल्ली को प्राथमिकता मिल रही है लेकिन अरविन्द केजरीवाल की अक्षमता के कारण सभी प्रयास पर पानी फिर जा रहा है।

दरअसल हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी को विदेशों द्वारा दान की गई कोविड -19 से संबंधित सहायता का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ। रिपोर्ट के अनुसार 14 से अधिक देशों ने अब तक भारत को सहायता भेजी है, और दिल्ली को इन सभी देशों से मिलने वाली सहायता सामग्री प्राप्त हुई है।

राष्ट्रीय राजधानी को अब तक वितरित 2,933 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में से कम से कम 1,432 मिल चुके है।

आंकड़ों के अनुसार, भारत को गिफ्ट किए गए 13 ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट में से दिल्ली आठ प्लांट मिले हैं। बता दें कि विदेश से मिलने वाली मदद को NITI के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता वाली एक अधिकार प्राप्त समिति संभालती है।

बावजूद इसके दिल्ली में बड़ी संख्या में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की कमी की रिपोर्ट सामने आ रही है। ऑक्सीजन की कमी के बीच दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों की मौत हो रही है। हालत इतने गंभीर हो चुकी थी अदालत को भी ऑक्सीजन संकट का संज्ञान लेना पड़ा और केजरीवाल सरकार को फटकार लगायी।

राष्ट्रीय राजधानी में विभिन्न देशों के 1,040 Bi pap/C pap, 334 वेंटिलेटर, 687 ऑक्सीजन सिलेंडर, 24,200 गाउन, 978,000 मास्क और 25,586 remdesivir के डोज शॉट मिले है।

इन सभी को एम्स, सफदरजंग, लेडी हार्डिंग और राम मनोहर लोहिया, डीआरडीओ की सुविधा और दिल्ली स्थित अन्य अस्पतालों में वितरित किये गए हैं।

अमिताभ कान्त ने बताया कि, “विदेशी सहायता का बड़ा हिस्सा दिल्ली और अन्य जगहों पर एम्स को दिया गया है। इस के लिए एक कारण है। एम्स राज्यों में भी हैं और वे कोविड से निपटने के लिए प्रमुख क्षेत्रीय केंद्र हैं। स्थानीय लोग वहां जाते हैं।“

इसके अलावा दिल्ली को अन्य चीजों के साथ 160 पल्स ऑक्सीमीटर, 225 बेडसाइड मॉनिटर, 87,000 से अधिक favipiravir, 70,300 एंटीजन किट और 15,000 coveralls, मिला है।

यानी डाटा के अनुसार विदेशी सहायता का सबसे बड़ा हिस्सा दिल्ली को मिला है फिर भी दिल्ली में हालात सुधर नहीं रहे हैं। कभी ऑक्सीजन की समस्या पैदा होती है तो कभी remdesivir की तो कभी वैक्सीन की। ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल पूरी तरह से अपनी छवि निर्माण में ही लगे हुए हैं और उन्हें दिल्ली की जनता से कोई मतलब नहीं है।

अभी कुछ दिनों पहले ही दिल्ली के एक नामी गिरामी व्यवसायी और खान मार्केट की सबसे फेमस खान चाचा की दुकान के मालिक नवनीत कालरा की दुकानों से दिल्ली पुलिस ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बरामद किये थे। ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर की कालाबाजारी करने के मामले में आप विधायक इमरान हुसैन का नाम भी सामने आया है। ऑक्सीजन की कालाबाजारी के आरोप में इमरान हुसैन को दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस भेज कर जवाब मांगा था।

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ऐसा लगता है कि एक तरफ विदेश से मदद मिल रही है और दूसरी तरफ भ्रष्टाचार भी हो रहा है। कुछ दिनों पहले जब दिल्ली में वैक्सीन की कमी हुई थी तो केजरीवाल यह रोना रो रहे थे दिल्ली में अन्य राज्यों के लोग वैक्सीन लगवा रहे हैं। ऐसा लगता है कि उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि दिल्ली में अन्य राज्यों के लोग भी रहते हैं इसीलिए दिल्ली को विदेशों से आने वाली सहायता या फिर केंद्र द्वारा उपलब्ध करायी गयी मदद का सबसे बड़ा हिस्सा दिल्ली को मिलता है।

इसके बावजूद केजरीवाल की अक्षमता के कारण कोरोना को काबू में नहीं है। यह मुख्यमंत्री केजरीवाल की नाकामी है कि दिल्ली में आज हालात रहने लायक भी नहीं है।

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