भारतीय रिजर्व बैंक की कल जारी हुई वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले साल की तरह वित्त वर्ष 2020-21 में 2,000 रुपए के नए नोटों की कोई सप्लाई नहीं हुई है। विमुद्रीकरण के बाद 2016 में पेश किए गए 2,000 रुपये के नोट को धीरे-धीरे सिस्टम से वापस लिया जा रहा है। इसका अर्थ यह हुआ है कि 2000 के नोट न ही बैन हुआ है और न ही होने जा रहा है, बल्कि धीरे-धीरे RBI द्वारा वापस लिया जा रहा है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब उच्च मूल्य वाले बैंक नोटों पर निर्भरता को कम कर रहा है जिससे बड़े नोटों की जमाखोरी पर नियंत्रण लगाया जा सके।
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2018 तक, 2,000 रुपये के 3,36 करोड़ नोट प्रचलन में थे जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च, 2021 तक घट कर अब 2,45 करोड़ हो चुके हैं। इसका मतलब है कि 2000 के 91 करोड़ बैंक नोट केंद्रीय बैंक ने वापस ले लिया है।
वित्त वर्ष 2021 के अंत तक, 2000 रुपये के नोट के 245 करोड़ बैंक नोट प्रचलन में थे, जो एक साल पहले 273.98 करोड़ से कम था। मूल्य के संदर्भ में देखा जाये तो 4.9 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा 2,000 रुपये के नोट के रूप में मार्च 2021 तक प्रचलन में थे जो मार्च 2020 में 5.48 लाख करोड़ रुपये थी। देश में 2000 के नोट सबसे ज्यादा चलन में वर्ष 2017-18 के दौरान रहे. इस दौरान बाजार में 2000 के 33,630 लाख नोट चलन में थे। इनका कुल मूल्य 6.72 लाख करोड़ रुपये था।
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भारतीय रिजर्व बैंक ने भी अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा था कि अप्रैल 2019 के बाद से अबतक 2000 रुपए का एक भी नोट नहीं छपा है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान 2000 रुपये के कुल 354.2991 करोड़ नोट छापे गए थे। वहीं, वित्त वर्ष 2017-18 में केवल 11.1507 करोड़ नोट छापे गए, जो बाद में वित्त वर्ष 2018-19 में घटकर 4.6690 करोड़ रह गए।
सरकार ने विमुद्रीकरण के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से पुनर्मुद्रीकरण करने के लिए उच्च मूल्यवर्ग का नोट जारी किया था। हालांकि, पिछले तीन वर्षों में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से मुद्रीकृत हो गई है इसलिए 2000 जैसे उच्च मूल्य के नोटों की आवश्यकता नहीं है।
बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक बैकों की एटीएम में जो नोट के कैसेट होते हैं उसमें से भी 2000 रुपए के नोट के कैसेट हटाए जा चुके हैं। 2000 के नोट के कैसेट को 100 रुपए और 200 रुपए के कैसेट से रिप्लेस किया जा चुका है।
दरअसल, सरकार ने 2000 रुपए के नए नोट नहीं छापने का निर्णय इसलिए लिया ताकि जमाखोरी रोकी जा सके और ब्लैकमनी पर लगाम लगाया जा सके। कई विशेषज्ञों ने यह मुद्दा उठाया था कि 2,000 रुपये के नोट काले धन की जमाखोरी का नया ‘साधन’ बन गए हैं। यही कारण है कि RBI और सरकार ने उन्हें प्रचलन से बाहर करने का फैसला किया। इसलिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि 2000 के नोट बैन नहीं हो रहे हैं, बल्कि धीरे-धीरे वापस लिया जा रहा है और इसमें समय लगेगा।