बिहार के पूर्णिया में 19 मई की रात में मुस्लिम भीड़ ने महादलितों के लगभग दो दर्जन से अधिक घरों में आग लगा दी। इस दौरान एक महादलित चौकीदार की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। यही नहीं इस दौरान कई महिलाओं के साथ बदतमीजी और बच्चों को बेरहमी से पीटा भी। इतनी बढ़ी घटना के बावजूद न तो मेन स्ट्रीम मीडिया में कुछ हलचल है और न ही सरकारी गलियारे में। नीतीश कुमार उसी तरह चुप बैठे हैं जैसे उन्हें सांप सूंघ गया हो। बता दें कि यह वारदात पूर्णिया के बायसी थाना के खपड़ा पंचायत के अंतर्गत मझुवा गांव में हुई।
स्थानीय न्यूज़ चैनल कोशी आलोक न्यूज़ चौकीदार के अनुसार भरत राय ने इस मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि मौके पर उनके साथ एक और साथी दिनेश राय मौजूद थे। उन्होंने बताया कि “दिन में थोड़ी बहुत मारपीट हुई थी, जिसके बाद प्रशासन ने उनको समझा कर मामला शांत कर दिया था, लेकिन रात 11:30 बजे लगभग 150 की तादाद में कई गाँवों से भीड़ वहाँ पर पहुँची। यह भीड़ पूरब, उत्तर और दक्षिण, तीनों दिशाओं से आकर वहाँ पर इकट्ठा हुई थी।”
भरत राय ने बताया कि, “सबके हाथ में पेट्रोल का गैलन था। वे घरों पर पेट्रोल डालते गए और आग लगाते गए। इस दौरान जब आदमी घर से निकल कर भागने लगे तो उसे खींच-खींच कर भीड़ मारने लगी। आरोपियों के हाथ में तलवार, फरसा, बलम, लाठी-डंडे, पेट्रोल और मोटरसाइकल वाली चेन भी थी। मोटरसाइकिल की चेन से भी कई आदमियों को घायल किया गया है।“ उन्होंने बताया कि उनके साथी पर भी हमला किया गया और उन्होंने स्पष्ट किया है कि यह भीड़ मुस्लिम समुदाय की ही थी।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भीड़ द्वारा महादलित बस्ती में आग लगा दी गयी, जिसमें 13 घर जलकर राख हो गए। यही नहीं भीड़ ने पूर्व चौकीदार नेवालाल राय की पीट-पीटकर हत्या कर दी और इसके बाद महादलितों की बस्ती में घुसकर महिलाओं के साथ भी मारपीट और बदसलूकी की, जिसमें लगभग 10 महिलाएं घायल हो गई है।
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बिहार के पूर्णिया में इस्लामिक जिहादियों द्वारा हिंसक हमले पर चिंता व्यक्त करते हुए विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने पीड़ित माह-दलित परिवारों को शीघ्र न्याय दिलाने की मांग की है। विहिप के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा है कि, “गत बुधवार आधी रात को सैंकड़ों मुसलमानों की हथियारों से लैस भीड़ ने हमला कर लगभग दो दर्जन घरों को आग के हवाले कर दिया। साथ ही मेवा लाल राय नामक हिन्दू महादलित की नृशंस हत्या कर दी गई, गर्भवती महिला का सिर फोड़ दिया गया और अन्य बहन-बेटियों, बच्चों और बुजुर्गों तक पर अमानवीय अत्याचार तथा धारदार हथियारों से हमले किए गए।”
News 18 की रिपोर्ट के अनुसार विश्व हिंदू परिषद ने आरोप लगाया है कि इन हमलावरों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठिए भी शामिल थे।
हैरानी की बात यह है महादलितों पर हमले की घटना के तीन दिन बीतने पर भी न तो अपराधी पकड़े गए और न ही पीड़ितों की सुरक्षा, सहायता या पुनर्वास के विषय में कुछ हुआ।
विहिप के केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे का कहना है कि लोगों के मन में यह शंका है कि स्थानीय जन-प्रतिनिधियों के दबाव के कारण ही ऐसा हो रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल आयोग तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भी मामले में स्वत: संज्ञान लेकर तत्काल उचित कार्यवाही करने की मांग की है। विहिप महामंत्री ने यह भी कहा कि इस जघन्य हमले ने ‘मीम-भीम’ के नारे की भी पुन: पोल खोल दी है।
बायसी के एसडीएम अमरेंद्र कुमार पंकज ने बताया कि यहां दो पक्षों में जमीन को लेकर काफी पुराना विवाद था। इस जमीन पर वर्ष 2015 में भी एक बार घटना हो चुकी है। इस जघन्य अपराध के बावजूद राजनीतिक गलियारे में शांति है न तो कोई हो हल्ला मचा है और न ही कोई इस मामले का संज्ञान ले रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी इस मामले की गंभीरता को स्पष्ट करती है. ऐसा लगता है कि वे अपने सेक्युलर छवि पर आंच नहीं आने देना चाहते हैं।