COVID-19 की लड़ाई में DRDO बना रक्षक, संस्था की भूमिका की सराहना की जानी चाहिए

DRDO अब पहले से बेहतर हो गया है

कोरोना के संदिग्ध रोगियों का पता लगाने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) ने एक artificial intelligence (AI) algorithm बनाया है। यह AI छाती के एक्स-रे से covid-19 का पता लगाएगा। इसके डेवलपर्स के अनुसार, चेस्ट एक्स-रे स्क्रीनिंग के लिए Atman AI नाम का टूल 96.73 प्रतिशत की सटीकता दर दिखाता है।

CAIR, DRDO के निदेशक डॉ यू के सिंह ने कहा कि diagnostic tool का विकास डीआरडीओ के प्रयासों का हिस्सा था ताकि चिकित्सकों और फ्रंटलाइन कर्मचारियों में तेजी से से covid-19 का पता लगाया जा सके औए रोगियों के इलाज में मदद मिल सके। देखा जाये तो जब से कोरोना शुरू हुआ है तब से ही DRDO बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और देश को कई क्षेत्रों जैसे अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने से लेकर अपनी तकनीक से कोरोना की जाँच तक में मदद कर रहा है।

जिस तरह से DRDO ने मौके पर अपनी क्षमता और सक्षमता दोनों के स्टैण्डर्ड को बढ़ाया है उससे इस संगठन को शाबाशी मिलनी चाहिए।

DRDO दिल्ली तथा लखनऊ शहर में अस्पताल भी बना चुका है। लखनऊ में 600 बिस्तरों वाले दो अस्पताल स्थापित किए जा रहे हैं। कानपुर रोड पर हज हाउस और फ़ैज़ाबाद रोड पर गोल्डन ब्लॉसम रिज़ॉर्ट के पास ये Make shift अस्पताल बनाया जा रहा है।

डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन दिल्ली एयरपोर्ट के पास कोविड सुविधा वाला 500 बेड का अस्पताल भी बना भी चुका है। पिछले साल जुलाई में DRDO ने इसी स्थान (भारतीय वायु सेना की भूमि) पर 1,000 बिस्तर वाली चिकित्सा सुविधा स्थापित की थी।

25,000 वर्ग मीटर में फैली चिकित्सा सुविधा का युद्धस्तर पर संचालन शुरू किया था। हालाँकि इस साल के शुरू में इसे बंद कर दिया गया था जब COVID-19 मामलों की संख्या में कमी आई थी।
अन्य राज्य की राजधानी जहां DRDO covid ड्यूटी पर लगा हुआ है, वह है अहमदाबाद। यहां पर DRDO द्वारा 900 बेड का अस्पताल स्थापित किया जा रहा है तथा इस अस्पताल में अर्धसैनिक बलों के 25 डॉक्टर और 75 पैरामेडिक्स तैनात किए गए हैं।

संक्रमण की बढ़ती संख्या के कारण, बिहार सरकार ने भी चिकित्सा सहायता के लिए DRDO से अनुरोध किया। इसके साथ ही PM के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बीएचयू स्थित एम्फीथिएटर मैदान में बन रहे अस्थायी कोविड-19 अस्पताल का काम पूरा हो गया है। डीआरडीओ ने युद्ध स्तर पर काम कर इस हाईटेक कोविड अस्पताल को 16 दिनों में तैयार किया है। 750 बेड वाला ये अस्थायी कोविड अस्पताल अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है।

कोरोना के बढ़ते मामलों की संख्या से निपटने के लिए DRDO के और कई अस्थायी अस्पतालों की स्थापना की भी उम्मीद है।

वहीँ ऑक्सीजन की कमी को कम करने के लिए भी DRDO सामने आया। दिल्ली समेत लखनऊ तथा कई अन्य शहरों में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने अस्पतालों में हल्के लड़ाकू विमान तेजस में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक की मदद से ऑक्सीजन के प्लांट्स लगा रहा है जिससे ऑक्सीज़न के मामले में अस्पताल आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

यह तकनीक हल्के लड़ाकू विमान तेजस के लिए विकसित Onboard Oxygen (OBOX) generation system के आधार पर तैयार की गयी है जो वातावरण की हवा से सीधे ऑक्सीजन उत्पन्न करता है। DRDO की इस प्रयोगशाला से अब यह तकनीक मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट ( MOP) के रूप में विकसित होकर कोविड-19 अस्पतालों तक पहुंच रही हैं।
इसके अलावा DRDO ने Non‐Contact Thermal Probe, Multi‐Probe Thermal Scanner, Paper Disinfector तथा UV disinfection tower जैसी तकनीक भी विकसित की है जो कोरोना से लड़ाई में मदद कर रहा है।

इसके साथ ही DRDO ने अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों और COVID-19 रोगियों में सेवारत सैनिकों के लिए एक SpO2- supplemental oxygen delivery system विकसित की है। यह स्वचालित प्रणाली SpO2 (रक्त ऑक्सीजन संतृप्ति) स्तरों के आधार पर supplemental oxygen वितरित करती है और व्यक्ति को हाइपोक्सिया की स्थिति में डूबने से रोकती है, जो कि ज्यादातर मामलों में घातक है।

देखा जाये तो DRDO ने कोरोना से इस लड़ाई में बढ़ चढ़कर भाग लिया है और सरकार की हर तरह से मदद की है। DRDO को अक्सर सुस्ती के लिए जाना जाता था लेकिन जब से पीएम मोदी ने इस संगठन में बदलाव किया है तब से इस संगठन ने न सिर्फ रक्षा अनुसंधान बल्कि अब कोरोना में भी देश की मदद का रहा है। इसके लिए कोविड की लड़ाई में DRDO की भूमिका की सराहना की जानी चाहिए

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