चुनाव समाप्त हो गए, मीडिया वापस लौट गयी, लोग चेन्नई में भीड़ जुटा रहे हैं और CM Stalin गहरी नींद में हैं

बिगड़ते हालात को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं CM स्टालिन

CM Stalin tamilnadu

लोग चेन्नई में भीड़ जुटा रहे हैं और CM Stalin गहरी नींद में हैं

तमिलनाडु में कल कोरोना के 33,658 नए मामले सामने आए हैं। पिछले कुछ दिनों से तमिलनाडु में लगातार तीस हजार से अधिक नए मामले मिल रहे हैं जबकि मौत का आकंड़ा 300 के करीब पहुंच गया है। कल तो 303 लोगों की मौत हुई हैं, लेकिन बिगड़ते हालात के बीच आम जनता को रेमडेसीवीर जैसी अति आवश्यक दवाइयों के लिए इधर उधर दौड़ना पड़ रहा है पर बिगड़ते हालात को CM Stalin नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।

ANI ने ट्वीट कर जानकारी दी की चेन्नई के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम के बाहर रेमडेसीवीर के लिए भारी भीड़ जुटी है। एक स्थानीय महिला ने बताया कि उसका पूरा परिवार हॉस्पिटल में है और 10 दिन से वह रेमडेसीवीर खोज रही है और यह कहीं भी मिल नहीं रहा। महिला ने बताया कि सरकार बेड की व्यवस्था तो कर रही है, लेकिन आवश्यक दवाइयों को नहीं जुटा पा रही।

तमिलनाडु में हालात कितने बिगड़ चुके हैं : मीडिया रिपोर्ट

दो दिन पूर्व की एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि तमिलनाडु में हालात कितने बिगड़ चुके हैं। मंगलवार को तमिलनाडु में 33,272 केस सामने आए जबकि इसके अनुपात में केवल 3,325 बेड ही खाली हुए। चेन्नई में केवल 2 ऑक्सीजन बेड ही उपलब्ध थे। यह अत्यंत चिंता का विषय है, क्योंकि एक ओर तो नए मामलों की संख्या उपलब्ध होने वाले बेड के अनुपात में 10 गुना अधिक है, दूसरी ओर बाजार में आवश्यक दवाइयों की अनुपलब्धता बनी हुई है। यदि दवाइयां नहीं मिलेंगी तो ऐसे मरीज जो सामान्य लक्षण वाले हैं तथा घर पर ही इलाज करवा रहे हैं, अथवा जिनके जल्दी ठीक होने की संभावना है, वह भी समय से ठीक नहीं हो पाएंगे। ऐसे में हॉस्पिटल पर, जहाँ पहले ही बेड उपलब्ध नहीं है और अधिक दबाव बढ़ेगा।

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परिवार की महिला प्रमुख को 1000 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से भत्ता प्रदान करेंगे : CM Stalin

गौरतलब है कि चुनाव के समय में CM Stalin और उनकी पार्टी DMK ने लोकलुभावन वादें किए थे। DMK ने वादा किया था कि हर परिवार की महिला प्रमुख को 1000 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से भत्ता प्रदान करेंगे। तमिलनाडु में लगभग 2 करोड़ परिवार हैं और यदि हर परिवार को लगभग प्रतिमाह 1000 रुपये मिलते हैं, तो राज्य सरकार इस योजना पर कुल 24000 करोड़ रुपये का वार्षिक खर्च करने वाली है। नई सरकार ने आते ही घोषणा की है कि, प्रत्येक राशन कार्डधारक को मदद करने के लिए सरकार 4,000 रुपये प्रदान करेगी।

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एक ओर तो लोगों को आर्थिक मदद करने की बात कही जा रही है, दूसरी ओर रेमडेसीवीर निर्माताओं से संपर्क करके आवश्यकता के अनुसार दवाइयां भी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही हैं। हालांकि, तमिलनाडु के लिए यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि वहाँ फ्री की राजनीति ने पूरे सिस्टम को पंगु बना रखा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तमिलनाडु जैसे राज्य में, जो भारत के सबसे बेहतर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर वाले राज्यों में से एक है, लोगों को दवाइयों के लिए सड़कों पर घूमना पड़ रहा है।

चुनाव के पहले मुफ्त में भत्ता बांटने की बात करने वाले CM Stalin अपने आवास पर आराम फरमा रहे हैं और जनता कोरोना के फैलाव के बीच भीड़ लगाकर दवाइयों का इंतजार कर रही है। ऐसे में संक्रमण और अधिक फैलेगा तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? CM Stalin से यह सवाल किया जाना चाहिए कि क्या लोगों की जान की कीमत 4000 मासिक भत्ता है?

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