कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे कथित किसान, किसान कम और गुंडे ज्यादा है। इस बात का पुख्ता सबूत 26 जनवरी को हुए हिंसा के बाद सभी के समक्ष है, लेकिन हाल ही में किसान आंदोलन के आड़ में एक युवती के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई है। महिला के पिता ने इस मामले में FIR दर्ज कराई है। युवती के साथ रेप सहित अन्य धाराओं में 6 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। हालांकि, 30 अप्रैल को युवती की कोविड की वजह से मौत हो गई।
दरअसल, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर टिकरी बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में पश्चिम बंगाल की 25 वर्षीय युवती ने हिस्सा लिया था। अब खबर आई है कि उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ है। इस मामले में बहादुरगढ़ पुलिस ने दो महिलाओं और चार युवकों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का केस दर्ज किया है। आरोपियों में अनिल मलिक, अनूप सिंह, अंकुश सांगवान, जगदीश बराड़, कविता आर्य और योगिता सुहाग शामिल हैं। आरोपियों पर धारा 376, 354, 365 और 342 के तहत केस दर्ज किया गया है।
बता दें कि, युवती पश्चिम बंगाल की रहने वाली थी। वह पश्चिम बंगाल में किसानों के समर्थन में धरना प्रदर्शन कर रही थी। इस बात का फायदा उठाते हुए अनूप सिंह चानौत और अनिल मालिक ने उसे टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन में आने के लिए झांसा दिया। युवती के पिता के अनुसार, पश्चिम बंगाल से आ रही ट्रेन में भी उसके साथ छेड़ -छाड़ हुई थी। उसके बाद वो 11 अप्रैल को टिकरी बॉर्डर पर आई जहां पर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ। जिसके बाद युवती ने दो महिलाओं को इसके बारे में बताया पर उन दोनों ने उसको मुंह बंद रखने की नसीहत दी। बता दें कि दोनों महिलाओं के ऊपर भी मुकदमा दर्ज हुआ है।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि, अनूप सिंह चानौत आम आदमी पार्टी का नेता था। वह अरविंद केजरीवाल से प्रेरित होकर राजनीति से जुड़ा था। मामले में कुल छह लोगों के ऊपर FIR हुई है और सभी किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरे है। मामले के दो मुख्य आरोपी अनूप सिंह और अनिल मालिक फरार चल रहे हैं।
युवती की मौत 30 अप्रैल को हो गई थी। लेकिन दुष्कर्म के मामले में चर्चा टिकरी बॉर्डर पर पहले दिन से ही चल रही थी। हर कोई संदेह व्यक्त कर रहा था कि युवती के साथ यौन अपराध हुआ है। इसके बावजूद कथित किसान चुप रहे और युवती के साथ दुराचार होने दिया।
Tfi, किसान आंदोलन के पहले दिन से ही सचेत कर रहा हैं कि यह कोई किसान आंदोलन नहीं बल्कि पंजाब और हरियाणा के कुछ बड़े जमीदारों का आंदोलन है। इस आंदोलन का तार सीधे तौर पर खालिस्तानियों से जुड़ा हुआ है। हालिया में हुए दुष्कर्म से एक बार फिर साफ हो गया है कि दिल्ली बॉर्डर पर कब्जा जमाए किसान नहीं बल्कि अराजक तत्त्व हैं वो जो महीनों से किसानों का चोला पहन कर बैठे हैं।